देहरादून: उत्तराखंड में ऐसे कई वन क्षेत्र और पंचायतें हैं, जो कि जैव विविधता को लेकर बेहद अनुकूल है. इसी को लेकर उत्तराखंड सरकार इन दिनों राज्य में जैव विविधता वाले क्षेत्रों को विरासत के रूप में स्थापित करने के लिए प्रयास में जुटी है. इसमें राज्य से कुल 10 क्षेत्रों पर विचार किया जा रहा है, लेकिन पिथौरागढ़ का थलकेदार जैव विविधता को विरासत के रूप में स्थापित किए जाने को लेकर सबसे अपडेट स्थिति में है.
उधर, टिहरी के देवलसारी क्षेत्र को भी जैव विविधता विरासत के रूप में स्थापित करने के लिए प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. इसके अलावा दूसरे प्रस्ताव भी हैं, जिन पर जैव विविधता बोर्ड के अधिकारी लगातार मंथन कर रहे हैं. प्रमुख वन संरक्षक राजीव भरतरी के मुताबिक राज्य में ऐसे क्षेत्रों को विरासत के रूप में घोषित करने के लिए फिलहाल विचार किया जा रहा है. तमाम प्रस्तावों पर अंतिम निर्णय लिए जाने के बाद शासन को उसके प्रस्ताव भेजे जाएंगे.
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इस मामले में जैव संसाधनों का व्यवसायिक उपयोग करने वाली कंपनियों से भी लाभांश की राशि लेकर जय विविधता समितियों को वितरित किए जाने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है. बता दें, राज्य में करीब 1236 कंपनियां हैं, जिनसे लाभांश लिया जाएगा. इस लाभांश को करीब 3 फीसदी तक लिए जाने की बात कही जा रही है. माना जा रहा है कि 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस तक कुछ क्षेत्रों को विरासत के रूप में घोषित किए जाने की संभावना है.