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सिडकुल घोटालाः DIG गढ़वाल की जांच अधिकारियों को दिया फाइनल अल्टीमेटम, निस्तारण के लिए 3 दिन का मौका

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Published : May 10, 2022, 4:04 PM IST

उत्तराखंड सिडकुल घोटाले मामले में देहरादून और उधम सिंह नगर के जांच अधिकारी अभी तक जांच की फाइलें दबाए बैठे हैं. जिस पर डीआईजी गढ़वाल केएस नगन्याल ने सख्ती दिखाई है. उन्होंने साफ लहजे में कहा कि जांच की फाइलें 3 दिन के भीतर निस्तारित नहीं हुई तो जांच अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. जानिए क्या है उत्तराखंड सिडकुल घोटाला...

SIDCUL scam case
DIG गढ़वाल की जांच अधिकारियों को अंतिम अल्टीमेटम

देहरादूनः बहुचर्चित सिडकुल घोटाले मामले की जांच को 5 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक एसआईटी जांच की फाइलें लंबित चल रही है. जबकि, पिछले 3 सालों से संबंधित जिलों के एसपी-एसएसपी को बार बार जांच की फाइलें निस्तारित करने की चेतावनी दी जा चुकी है, बावजूद देहरादून और उधम सिंह नगर के अधिकारी फाइल दबाए बैठे हैं. जिसकी वजह से सिडकुल घोटाले जांच की फाइलें निस्तारित हो पा रही है.

ऐसे में डीआइजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल (DIG Karan Singh Nagnyal) ने लेटलतीफी पर सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने देहरादून और उधम सिंह नगर एसआईटी जांच अधिकारियों को अगले 3 दिन में जांच की फाइलें निस्तारण करने का फाइनल अल्टीमेटम दिया है. अगर इसके बावजूद भी फाइलों का निस्तारण नहीं होता तो संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

ये भी पढ़ेंः सिडकुल का करोड़ों का घोटाला: देहरादून और उधम सिंह नगर के SSP को DIG की फटकार

बता दें कि उधम सिंह नगर जिले में सिडकुल घोटाले से जुड़ी 25 फाइलें और देहरादून जिले से जांच की 5 फाइलें काफी समय से लंबित चल रही है. उन्हें कई बार अल्टीमेटम भी दिया जा चुका है. कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन कोई वाजिब जवाब नहीं दिया है. लिहाजा, उत्तराखंड सिडकुल घोटाला (Uttarakhand Sidcul scam) जांच मामले में एसआईटी टीम के साथ डीआइजी गढ़वाल केएस नगन्याल ने समीक्षा बैठक की.

इन जांच अधिकारियों को अंतिम चेतावनीः उधम सिंह नगर से जांच अधिकारी इंस्पेक्टर नीरज सिंह, सलाउद्दीन, आशुतोष और सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार को अगले 3 दिन में सिडकुल घोटाले से जुड़ी जांच की फाइलें निस्तारण करने की अंतिम चेतावनी दी है. वहीं, देहरादून जिले से भी एसआईटी टीम के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर नीरज कठैत और ज्योति प्रसाद को भी विभागीय कार्रवाई की चेतावनी देते हुए अगले तीन दिनों में जांच की फाइलें निस्तारित करने को कहा है.

क्या है सिडकुल घोटालाः बता दें कि साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल यानी राज्य औद्योगिक विकास निगम उत्तराखंड लिमिटेड (State Industrial Development Corporation Uttarakhand Limited) की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में निर्माण कार्य कराए गए थे. आरोप है कि इनमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण विभाग को ठेके दिए गए. इन्हीं निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर काफी अनियमितताएं सामने आए. साथ ही 500 करोड़ से अधिक का घोटाला भी उजागर हुआ.

ये भी पढ़ेंः 500 करोड़ का सिडकुल घोटाला: जांच रिपोर्ट की बन चुकी हैं 224 फाइलें, फिर भी अधूरी है इन्वेस्टिगेशन

इतना ही नहीं सरकारी धन का दुरुपयोग के अलावा सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले में भी भारी अनिमितताएं पाई गई. ऐसे में इस मामले में 2017 में शासन आदेश पर गढ़वाल रेंज डीआईजी के नेतृत्व में संबंधित जिलों के सिडकुल घोटाले जांच को लेकर एसआईटी (SIT) टीम गठित की गई. करीब 304 घोटाले से जुड़ी जांच की फाइलें के लिए प्रत्येक जिले में एसआईटी जांच अधिकारी नियुक्त किए.

घोटाले से जुड़ी सबसे अधिक जांच की फाइलें हरिद्वार, उधम सिंह नगर, देहरादून, पौड़ी जैसे जिलों की है. अब सिडकुल घोटाले एसआईटी जांच के 5 साल गुजर जाने के बावजूद उधम सिंह नगर की 25 और देहरादून की 5 जांच की फाइलें लंबित चल रही है. जिस पर उच्चाधिकारी कई बार जांच अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं. बावजूद इसके अधिकारी फाइल टेबल पर रखने को तैयार ही नहीं हैं.

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देहरादूनः बहुचर्चित सिडकुल घोटाले मामले की जांच को 5 साल से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अभी तक एसआईटी जांच की फाइलें लंबित चल रही है. जबकि, पिछले 3 सालों से संबंधित जिलों के एसपी-एसएसपी को बार बार जांच की फाइलें निस्तारित करने की चेतावनी दी जा चुकी है, बावजूद देहरादून और उधम सिंह नगर के अधिकारी फाइल दबाए बैठे हैं. जिसकी वजह से सिडकुल घोटाले जांच की फाइलें निस्तारित हो पा रही है.

ऐसे में डीआइजी गढ़वाल करन सिंह नगन्याल (DIG Karan Singh Nagnyal) ने लेटलतीफी पर सख्त रुख अपनाया है. उन्होंने देहरादून और उधम सिंह नगर एसआईटी जांच अधिकारियों को अगले 3 दिन में जांच की फाइलें निस्तारण करने का फाइनल अल्टीमेटम दिया है. अगर इसके बावजूद भी फाइलों का निस्तारण नहीं होता तो संबंधित जांच अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.

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बता दें कि उधम सिंह नगर जिले में सिडकुल घोटाले से जुड़ी 25 फाइलें और देहरादून जिले से जांच की 5 फाइलें काफी समय से लंबित चल रही है. उन्हें कई बार अल्टीमेटम भी दिया जा चुका है. कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन कोई वाजिब जवाब नहीं दिया है. लिहाजा, उत्तराखंड सिडकुल घोटाला (Uttarakhand Sidcul scam) जांच मामले में एसआईटी टीम के साथ डीआइजी गढ़वाल केएस नगन्याल ने समीक्षा बैठक की.

इन जांच अधिकारियों को अंतिम चेतावनीः उधम सिंह नगर से जांच अधिकारी इंस्पेक्टर नीरज सिंह, सलाउद्दीन, आशुतोष और सब इंस्पेक्टर अशोक कुमार को अगले 3 दिन में सिडकुल घोटाले से जुड़ी जांच की फाइलें निस्तारण करने की अंतिम चेतावनी दी है. वहीं, देहरादून जिले से भी एसआईटी टीम के जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर नीरज कठैत और ज्योति प्रसाद को भी विभागीय कार्रवाई की चेतावनी देते हुए अगले तीन दिनों में जांच की फाइलें निस्तारित करने को कहा है.

क्या है सिडकुल घोटालाः बता दें कि साल 2012 से 2017 के बीच सिडकुल यानी राज्य औद्योगिक विकास निगम उत्तराखंड लिमिटेड (State Industrial Development Corporation Uttarakhand Limited) की ओर से उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में निर्माण कार्य कराए गए थे. आरोप है कि इनमें मानकों के विपरीत उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण विभाग को ठेके दिए गए. इन्हीं निर्माण कार्यों के दौरान ऑडिट कराए जाने पर काफी अनियमितताएं सामने आए. साथ ही 500 करोड़ से अधिक का घोटाला भी उजागर हुआ.

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इतना ही नहीं सरकारी धन का दुरुपयोग के अलावा सिडकुल में वेतन निर्धारण और अलग-अलग पदों में भर्ती संबंधी मामले में भी भारी अनिमितताएं पाई गई. ऐसे में इस मामले में 2017 में शासन आदेश पर गढ़वाल रेंज डीआईजी के नेतृत्व में संबंधित जिलों के सिडकुल घोटाले जांच को लेकर एसआईटी (SIT) टीम गठित की गई. करीब 304 घोटाले से जुड़ी जांच की फाइलें के लिए प्रत्येक जिले में एसआईटी जांच अधिकारी नियुक्त किए.

घोटाले से जुड़ी सबसे अधिक जांच की फाइलें हरिद्वार, उधम सिंह नगर, देहरादून, पौड़ी जैसे जिलों की है. अब सिडकुल घोटाले एसआईटी जांच के 5 साल गुजर जाने के बावजूद उधम सिंह नगर की 25 और देहरादून की 5 जांच की फाइलें लंबित चल रही है. जिस पर उच्चाधिकारी कई बार जांच अधिकारियों को फटकार लगा चुके हैं. बावजूद इसके अधिकारी फाइल टेबल पर रखने को तैयार ही नहीं हैं.

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