देहरादून: उत्तराखंड में इन दिनों फ्री बिजली के वादों और दावों की राजनीति हो रही है. तमाम दल अपनी-अपनी तरह से जनता को इसे लेकर आश्वसत कर रहे हैं. मगर भाजपा सरकार शायद इसे लेकर खुद में ही तालमेल नहीं बिठा पा रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि हरेला के मौके पर ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री एक ही मंच पर खड़े होकर इस पर अलग-अलग बयान देते नजर आए.
2022 के विधानसभा चुनाव से पहले उत्तराखंड में फ्री बिजली का मुद्दा जोर पकड़ रहा है. जहां एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने देहरादून में आकर उत्तराखंड सरकार की नाक के नीचे फ्री बिजली का वादा करके लौट गए. वहीं सरकार की तरफ से भी ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने मौके पर चौका मारते हुए फ्री बिजली का दावा जनता से कर बैठे.
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मगर फ्री बिजली को लेकर सरकार के सुप्रीमो यानी मुख्यमंत्री पुष्कर धामी फ्री बिजली के वादे पर स्पष्ट रूप से कुछ भी कहने से बचते नजर आए. ऊर्जा मंत्री हरक सिंह और सीएम धामी के इन अलग अलग बयानों को लेकर जनता के मन में कहीं ना कहीं ऊहापोह की स्थिति है.
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शुक्रवार को एक ही मंच पर ऊर्जा मंत्री और मुख्यमंत्री दोनों फ्री बिजली के सवाल पर अलग-अलग बयान देते नजर आये. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फ्री बिजली पर अपना बयान दोहराते हुए कहा कि उत्तराखंड में वह बेहतर बिजली दे रहे हैं. उन्होंने कहा जनता के हित में जो काम होगा वो किया जाएगा. वहीं, ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत ने इस मामले में कहा कि वे इस मामले में पूरा होमवर्क कर चुके हैं. वह लगातार विभागीय अधिकारियों के साथ बैठकर इस बात को सुनिश्चित कर रहे हैं कि वह जनता को 100 यूनिट मुफ्त बिजली देंगे.
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सवाल यह है कि जब सरकार एक है, सरकार की मंशा एक है और सरकार में मौजूद मंत्रियों का मकसद भी जनता को लाभ पहुंचाने का है तो ऐसे में अलग-अलग बयान क्यों?