देहरादून: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी के सख्त निर्देशों के बावजूद भी देहरादून आरटीओ शहर में डीजल संचालित पब्लिक ट्रांसपोर्ट खासतौर से थ्री व्हीलर पर प्रतिबंध अब तक नहीं लगा पाया है. इसके पीछे की असल वजह देहरादून आरटीओ द्वारा की गई अधूरी तैयारी रही. दरअसल देहरादून आरटीओ द्वारा शहर में डीजल संचालित थ्री व्हीलर ऑटो विक्रम को प्रतिबंधित करने से पहले थ्री व्हीलर ऑटो संचालकों को अपने विश्वास में नहीं लिया गया. ना ही व्यावहारिक समस्याओं पर ध्यान दिया.
कोर्ट से ऑटो चालकों को मिली राहत: देहरादून आरटीओ ने सीधे 1 अप्रैल से देहरादून में ऑटो, थ्री व्हीलर, विक्रम जितने भी वाहन डीजल से संचालित होते थे, उनको लेकर प्रतिबंध का आदेश जारी कर दिया. जिसके बाद देहरादून ऑटो एसोसिएशन कोर्ट में इस मामले को ले गई. कोर्ट ने ऑटो रिक्शा संचालकों की व्यवस्था को समझते हुए इस मामले पर फिलहाल रोक लगा दी. यही वजह है कि अब तक देहरादून आरटीओ शहर में डीजल संचालित थ्री व्हीलर, ऑटो रिक्शा बैन करने में कारगर साबित नहीं हो पाया है.
प्रतिबंध को लेकर क्या थी व्यावहारिक दिक्कतें? ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए देहरादून ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि देहरादून आरटीओ एनजीटी के 2018 के आदेशों का हवाला देते हुए, देहरादून में डीजल संचालित ऑटो रिक्शा बैन करने पर तुला हुआ है. लेकिन ऑटो रिक्शा संचालकों का कहना है कि 2018 के बाद से आरटीओ ने इस संबंध में जानकारी क्यों नहीं दी. 2018 के बाद भी लगातार गरीब चालकों द्वारा ऑटो रिक्शा खरीदे गए. कई लोगों द्वारा लोन पर ऑटो रिक्शा खरीदे गए. अब अचानक प्रतिबंध लगाने से ऐसे लोगों का क्या होगा. इसी को ग्राउंड बनाते हुए कोर्ट ने भी इस मामले में ऑटो रिक्शा संचालकों को कुछ समय के लिए राहत दी है.
लॉकडाउन से पड़ी ऑटो रिक्शा संचालकों पर मार: देहरादून ऑटो रिक्शा संचालक एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा का कहना है कि कई लोगों द्वारा 2018 के बाद भी लोन लेकर ऑटो रिक्शा खरीदे गए हैं. इसके बाद 2020 में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के चलते लोगों की आजीविका पर संकट आ गया था. वहीं अब अचानक से आरटीओ ने अपना फरमान जारी किया, जिसके बाद ऑटो रिक्शा संचालकों के पास न्यायालय में जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था. यही वजह है कि न्यायालय से उन्हें स्टे मिला. साथ ही ऑटो रिक्शा संचालकों का यह कहना है कि हमारे द्वारा केवल समय मांगा जा रहा है. जैसे-जैसे लोन पर ली गई गाड़ी का कर्ज उतरेगा और वह फ्री होगी, वैसे ही सीएनजी संचालित ऑटो रिक्शा को बाजार में उतारा जाएगा.
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देहरादून में चल रहे 750 CNG ऑटो: दून ऑटो रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज अरोड़ा ने बताया कि उनके एसोसिएशन में 2,398 ऑटो देहरादून में चल रहे हैं, जिसमें से केवल 1,200 डीजल संचालित थे. उनमें से भी 750 ऑटो को सीएनजी में चेंज करवाया जा चुका है. धीरे-धीरे बाकियों को भी सीएनजी में बदला जा रहा है. वहीं इसके अलावा देहरादून शहर में 795 डीजल संचालित ऑटो विक्रम चल रहे हैं. इतने ही टाटा मैजिक भी शहर में चल रहे हैं.