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सूरजकुंड चिंतन शिविर में साइबर इश्यू पर हुई बात, DGP अशोक कुमार ने दिया प्रेजेंटेशन - DGP Ashok Kumar

सूरजकुंड चिंतन शिविर के दूसरे दिन गृह मंत्रालय ने चार राज्यों को साइबर इश्यू पर प्रेजेंटेशन देने को चुना. जिसमें उत्तराखंड को भी शामिल किया गया. जिसमें पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने उत्तराखंड राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए साइबर विषयों पर प्रेजेंटेशन दिया.

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सूरजकुंड चिंतन शिविर
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Published : Oct 28, 2022, 10:47 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा सूरजकुंड में गृह मंत्रालय के चिंतन शिविर में प्रतिभाग किया. गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित चिंतन शिविर के द्वितीय दिन गृह मंत्रालय द्वारा चार राज्यों को साइबर इश्यू पर प्रजेंटेशन देने हेतु चुना गया. जिसमें उत्तराखंड राज्य भी शामिल था. इस क्रम में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व, मार्गदर्शन एंव दिशा निर्देशन में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा उत्तराखंड राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए साइबर विषयों का प्रस्तुतिकरण समस्त राज्यों के सामने किया गया.

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने वर्तमान में प्रचलित उत्तराखंड के ई-सुरक्षा के मॉडल को विस्तार से बताया गया. जिसके उनके द्वारा साल 2021 के पॉवर बैंक घोटाले एवं साल 2022 में फर्जी चाइनीज वेबसाइट के माध्यम से घोटालों में उत्तराखंड द्वारा पूरे देशभर में अभियोगों का अनावरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया. उत्तराखंड राज्य द्वारा कुछ अच्छी पहलों पर भी प्रकाश डाला गया. जैसे कि राज्य में साइबर थाने में शून्य अभियोग पंजीकृत करना जिससे कि पीड़ित को तत्काल अभियोग पंजीकरण कर उस पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया जा सके.

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टीम द्वारा साइबर समस्याओं के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये. जैसे कि साईबर अपराध की विवेचना की शक्ति उप निरीक्षक स्तर अधिकारियों को देना. जिससे कि विवेचनाओं का समयबद्ध विधिक निस्तारण किया जा सके. आईटी एक्ट कानून को मजबूत करने हेतु सजा का प्रावधान और कठोर किया जाना सम्बन्धी जिससे अभियुक्तगण को शीघ्र जमानत न मिल सके व अपराध की पुर्नावृत्ति न कर सके तथा बढ़ते हुए साइबर अपराधों की चुनौतियों के क्रम में नये साइबर कानून की आवश्यकता लाना.

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वहीं, भारत सरकार की पहल 1930 को 112 से जोड़ा गया व उक्त हेल्पलाइन नंबर को प्रभावी करने हेतु बैंकों एवं इस प्रकार के वित्तीय कम्पनियों को प्रभावी रुप से प्रेरित करने हेतु निर्देश जारी करना. कानून व्यवस्था को बाधित करने हेतु ब्लक सन्देशों (Bulk SMS) पर लगाम लगाने हेतु भी कुछ सुझाव प्रस्तुत किये गये.

पढे़ं- उत्तराखंड में IAS और IPS अधिकारियों का ट्रांसफर, तीन जिलों के डीएम बदले गए

इस मौके पर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा वोकल फॉर लोकल मूल मंत्र के उदेश्य से प्रेरणा लेकर उत्तराखंड राज्य द्वारा द्वितीय हैकॉथान चरण से क्रिप्टो करेंसी डार्क नेट और रोड दुर्घटना रोकने हेतु स्वदेशी समाधान मिलेंगे. जिससे देश के अन्य राज्यों की भी मदद होगी. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर प्रकाशित फर्जी खबर व भड़काऊ पोस्ट पर भी सख्ती से कानून बनाया जाने तथा ऐसी पोस्ट को तत्काल सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाने की त्वरित प्रक्रिया करने संबंधी सुझाव भी प्रस्तुत किये गये.

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरियाणा सूरजकुंड में गृह मंत्रालय के चिंतन शिविर में प्रतिभाग किया. गृह मंत्रालय भारत सरकार द्वारा आयोजित चिंतन शिविर के द्वितीय दिन गृह मंत्रालय द्वारा चार राज्यों को साइबर इश्यू पर प्रजेंटेशन देने हेतु चुना गया. जिसमें उत्तराखंड राज्य भी शामिल था. इस क्रम में मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व, मार्गदर्शन एंव दिशा निर्देशन में उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार द्वारा उत्तराखंड राज्य पुलिस का प्रतिनिधित्व करते हुए साइबर विषयों का प्रस्तुतिकरण समस्त राज्यों के सामने किया गया.

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक ने वर्तमान में प्रचलित उत्तराखंड के ई-सुरक्षा के मॉडल को विस्तार से बताया गया. जिसके उनके द्वारा साल 2021 के पॉवर बैंक घोटाले एवं साल 2022 में फर्जी चाइनीज वेबसाइट के माध्यम से घोटालों में उत्तराखंड द्वारा पूरे देशभर में अभियोगों का अनावरण का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया गया. उत्तराखंड राज्य द्वारा कुछ अच्छी पहलों पर भी प्रकाश डाला गया. जैसे कि राज्य में साइबर थाने में शून्य अभियोग पंजीकृत करना जिससे कि पीड़ित को तत्काल अभियोग पंजीकरण कर उस पर कार्यवाही करते हुए पीड़ित को न्याय दिलाया जा सके.

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टीम द्वारा साइबर समस्याओं के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये. जैसे कि साईबर अपराध की विवेचना की शक्ति उप निरीक्षक स्तर अधिकारियों को देना. जिससे कि विवेचनाओं का समयबद्ध विधिक निस्तारण किया जा सके. आईटी एक्ट कानून को मजबूत करने हेतु सजा का प्रावधान और कठोर किया जाना सम्बन्धी जिससे अभियुक्तगण को शीघ्र जमानत न मिल सके व अपराध की पुर्नावृत्ति न कर सके तथा बढ़ते हुए साइबर अपराधों की चुनौतियों के क्रम में नये साइबर कानून की आवश्यकता लाना.

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