देहरादून: शासन ने भले ही रोडवेज कर्मियों को एक साथ डीए, ग्रेजुएटी और मानदेय जैसी तीन सौगातें दी हो, लेकिन उसके बावजूद रोडवेज कर्मचारियों ने शासनादेश पर अपनी नाराजगी जाहिर की है. रोडवेज कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने शासनादेश को तोड़-मरोड़कर पेश किया है, जिसकी घोर निंदा की जानी चाहिए.
निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश गुसाईं ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि संघ का राज्य सरकार के खिलाफ नोटिस चल रहा था. 30 मई 2018 को ग्रेजुएटी लागू हो चुकी थी, लेकिन शासन के आदेशानुसार उनकी ग्रेजुएटी मई 2019 से लगाई जा रही है. ऐसे में कर्मचारियों में खासा रोष है. साथ ही इस शासनादेश का सारा श्रेय सचिव अमित नेगी को दिया है.
उन्होंने संघ के द्वारा सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सरकार ने इस शासनादेश को तोड़-मरोड़कर पेश किया है, जिसकी घोर निंदा की जानी चाहिए. उत्तराखंड सरकार आज अंधों के समान कार्य कर रही है. संघ के द्वारा लगातार संघर्ष के बाद ही सरकार ने इसे अब लागू किया है, जिसका खामियाजा सभी कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है.
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दरअसल, रोडवेज कर्मचारियों को तीन सौगातें एक साथ मिली है, जिसमें कर्मचारियों के डीए में 5 प्रतिशत का इजाफा किया गया है. साथ ही ग्रेजुएटी की सीमा भी 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख कर दी गई है. वहीं, संविदा पर कार्यरत चालक और परिचालकों के मानदेय में भी वृद्धि की गई है.
निगम कर्मचारियों का कहना है कि संघ द्वारा लगातार संघर्ष के बाद अब ये सौगात दी जा रही है जिसमें सरकार क्रेडिट लेने की कोशिश कर रही है.