देहरादून: आज सुविधाओं और व्यवस्थाओं से लैस, आधुनिक दिखने वाले देहरादून रेलवे स्टेशन का अपना अलग इतिहास रहा है. ये रेलवे स्टेशन दशकों का सफर पूरा करने वाली लाहौरी एक्सप्रेस के स्वर्णिम इतिहास का गवाह रहा है. आजादी की लड़ाई हो या बंटवारे का दौर, ये स्टेशन और लाहौरी एक्सप्रेस हमेशा एक दूसरे के पूरक बने रहे. लाहौरी एक्सप्रेस का सफर 1906-07 में शुरू हुआ. तब अंग्रेजों ने उत्तराखंड के धार्मिक महत्व, चार धाम और हरिद्वार की महत्ता को देखते हुए देहरादून, हरिद्वार को रेल गाड़ियों से जोड़ा. तब से ही देहरादून रेलवे स्टेशन अस्तिव भी में आया.
1899 में बना देहरादून रेलवे स्टेशन: देहरादून पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में बसा एक खूबसूरत और ऐतिहासिक शहर है. ब्रिटिशकाल में ये शहर अंग्रेजों को इतना पसंद था कि उन्होंने इसे ट्रेन से जोड़ा. 19वीं सदी का शुरुआती दौर में जब नॉर्दन रेलवे के विस्तारीकरण की प्रक्रिया चल रही थी, तब मुरादाबाद मंडल के अंतर्गत 1899 में देहरादून रेलवे स्टेशन की नींव रखी गई थी. संयुक्त भारत वर्ष को जोड़ने के लिए सभी धार्मिक और आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए भारतीय रेलवे विभाग के अधिकारियों ने इस रेलवे स्टेशन को बनाया.
पढ़ें-लोक गायक 'नेगी दा' को मिल सकता है पद्म पुरस्कार, केंद्र से अनुरोध करेगी राज्य सरकार
1906-07 में किया गया लाहौरी एक्सप्रेस का संचालन: तब पूरे उत्तर भारत को जोड़ने के लिए देहरादून से तब के भारत में पंजाब प्रांत में पड़ने वाले लाहौर शहर तक तकरीबन 1906-07 में एक रेलगाड़ी चलाई गई, जिसका नाम रखा गया लाहौरी एक्सप्रेस था. तकरीबन 50 साल से थोड़ा कम समय तक लाहौरी एक्सप्रेस लाहौर तक चली. तब पाकिस्तान के मुल्तान, सरगोधा से हरिद्वार और देहरादून तक अनाज लाया जाता था. उस दौरा में हरिद्वार और देहरादून में कई धर्मशालाएं थी, जहां के लिए पाकिस्तान से अनाज लाया जाता था.
आज भी बन्नू बिरादरी के लोग यहां मौजूद: तब बन्नू बिरादरी के लोग देहरादून और आसपास के इलाकों में बसते थे, जो तब इस ट्रेन के जरिये ही सफर करते थे. आज भी बन्नू बिरादरी का देहरादून रेस कोर्स में एक बड़ा स्कूल भी है. बन्नू बिरादरी के पूर्वज भी इसी रेलवे स्टेशन से सफर करते थे.
पढ़ें- जन्मदिन विशेष: उत्तराखंड का ऐसा गायक जिसके गीतों ने दो मुख्यमंत्रियों की गद्दी पलट दी
लाहौरी एक्सप्रेस और देहरादन रेलवे स्टेशन का नाता: तब के दौर में देहरादून रेलवे स्टेशन दूर-दराज का सफर करने वालों का अड्डा हुआ करता था. यहां से चलने वाली लाहौरी एक्सप्रेस के साथ नाता जुड़ने से देहरादून रेलवे स्टेशन भी इसी ट्रेन की तरह इतिहास के पन्नों में शामिल है. ये पैसेंजर रेलगाड़ी बंटवारे से पहले तक देहरादून से सीधी लाहौर तक चलती थी, मगर बंटवारे के बाद इसका संचालन अमृतसर तक ही किया जाने लगा.
इतिहास के पन्नों में हुआ शामिल: दरअसल, बंटवारे के बाद पाकिस्तान से लाहौरी एक्सप्रेस में रिफ्यूजी, दंगों के बाद की लाशें लेकर भारत की सीमा में दाखिल हुईं. उस दिन के बाद ही इस ट्रेन के सफर को अमृतसर में ही रोकने का फरमान सुना दिया. अब लोग इस ट्रेन को देहरादून-अमृतसर एक्सप्रेस से जानते हैं. रेलवे स्टेशन के कागजों में इसका नंबर भी बदल दिया गया है. आज ये ट्रेन यहां से चंडीगढ़ होते हुए अमृतसर तक जाती है.
पढ़ें- गोदियाल को रास नहीं आया 12 हजार करोड़ की ऑल वेदर रोड का कॉन्सेप्ट, पैसों की बर्बादी बताया
इस ट्रेन के बदलने के बदलने के साथ-साथ ही देहरादून रेलवे स्टेशन में भी बदलाव हुए. तब के रेववे स्टेशन आज आधुनिक सुविधाओं और व्यवस्थाओं से लैस है. आज यहां के दर्जनों ट्रेनों का संचालन होता है. उत्तराखंड में ये रेलवे स्टेशन पर्यटन का एक बड़ा जरिया है. इसे इस क्षेत्र के पर्यटन, औद्योगीक, ट्रांसपोर्ट की रीढ़ की हड्डी कहा जाए तो गलत नहीं होगा.
वर्तमान में दून से संचालित ट्रेनें
- देहरादून-नई दिल्ली जन शताब्दी (प्रतिदिन)
- देहरादून-उज्जैन एक्सप्रेस (मंगल, बुध)
- देहरादून-इंदौर एक्सप्रेस (शुक्र, शनि)
- देहरादून-ओखा उत्तरांचल एक्सप्रेस प्रत्येक (रविवार )
- देहरादून-कोचिविली एक्सप्रेस (सोमवार)
- देहरादून-मदुरई एक्सप्रेस (सोमवार, शुक्रवार)
- देहरादून-सहारनपुर पैसेंजर (प्रतिदिन)
- देहरादून-बांद्रा एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-इलाहाबाद लिंक एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-मुजफ्फरपुर एक्सप्रेस (शनिवार)
- देहरादून-गोरखपुर राप्ती गंगा एक्सप्रेस (मंगल, गुरुवार)
- देहरादून-नई दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-अमृतसर एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-हावड़ा एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-दिल्ली मसूरी एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-हावड़ा उपासना एक्सप्रेस (बुध, शनि)
- देहरादून-काठगोदाम एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-नई दिल्ली नंदा देवी एक्सप्रेस (प्रतिदिन)
- देहरादून-काठगोदाम नैनी-दून एक्सप्रेस (सोम, मंगल, बुध, शुक्र, शनि)
बदल रहा ऐतिहासिक रेलवे स्टेशन: दून रेलवे स्टेशन में आज प्रतीक्षालय (वेटिंग रूम), दिव्यांग शौचालय, आरक्षण केंद्र, स्टेशन की सफाई की पूरी व्यवस्था है. साथ ही दिव्यांगजनों के लिए संचालित योजनाओं-सुविधाओं को लेकर भी यहां व्यवस्थाएं हैं. आने वाले दिनों में दून रेलवे स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित किया जाना है, जिसके लिए यहां अत्याधुनिक सुविधाएं यात्रियों को मुहैया कराने की योजना बनाई गई है.
इसमें पिक एंड ड्रॉप प्वाइंट, रिवॉल्विंग रेस्टोरेंट के साथ ही तमाम सुविधाओं से लैस मल्टी शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का निर्माण होना है. स्टेशन परिसर के पास रेलवे की जमीन पर ही 15 मंजिला आवासीय भवन का भी निर्माण भी यहां किया जाना है, जो रेलवे के अधिकारियों-कर्मचारियों के अलावा आमजन के लिए आवंटित किये जाएंगे.
पढ़ें- उत्तराखंड STF ने 'गजनी' को किया गिरफ्तार, कई डकैतियों का रहा है मास्टरमाइंड
टैक्सी चालकों और कारोबारियों का चलता है रोजगार: राजधानी देहरादून से रोजाना तकरीबन 15 ट्रेन का संचालन होता है. करीब 15000 यात्री रोजाना देहरादून से आते और जाते हैं. ऐसे में लगातार यात्रियों की आवाजाही की वजह से स्थानीय लोगों को काफी कारोबार मिलता है. पुराने जमाने से ही देहरादून रेलवे स्टेशन अंग्रेजों, यात्रा करने वालों के लिए खास रहा है.
यहां आने वाले यात्रियों के कारण इसके आस-पास लोगों को रोजगार मिला. आज भी यहां कई टैक्सी चालकों और कारोबारियों का इस रेलवे स्टेशन के कारण रोजगार चलता है. बदलते दौर के साथ देहरादून रेलवे स्टेशन भी आधुनिक हो रहा है. दून रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास स्टेशन के तौर पर विकसित करने के लिए योजनाओं पर हर दिन काम हो रहा है.