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देहरादून की 'कोरोना कर्मवीर' अर्शिता की पहल, घर बैठे ही कर रहीं देश का भला - arshita sharma making masks in dehradun

देहरादून की अर्शिता शर्मा अपने दो बच्चों और पति के सहयोग से इन दिनों घर पर ही मास्क बनाकर उसे निशुल्क बांटकर समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभा रही है.

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देशहित में काम कर रही देहरादून की अर्शिता
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Published : Apr 16, 2020, 5:40 PM IST

Updated : Apr 18, 2020, 5:59 PM IST

देहरादून: कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचाव को लेकर जहां लॉकडाउन के दौरान अधिकांश लोग घरों में कैद हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस संकट की घड़ी में कोरोना से निजात पाने की लड़ाई में घर से ही जनसेवा कर अपना सहयोग दे रहे हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर के सहारनपुर चौक इलाके की अर्शिता शर्मा अपने दो बच्चों और पति के सहयोग से इन दिनों घर पर ही मास्क बनाकर उसे निशुल्क बांटकर समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभा रही हैं.

देहरादून की 'कोरोना कर्मवीर' अर्शिता की पहल.

कोरोना से बचाव को लेकर प्रथम दृष्टया सबसे महत्वपूर्ण रूप में काम आने वाले मास्क को अर्शिता पिछले 8 दिनों से अपने घर पर ही कॉटन, कैरी बैग और सिलाई-कढ़ाई में अतिरिक्त बचने वाले सूती कपड़ों से बना रही हैं. अभी तक 300 से अधिक मास्क बनाकर अर्शिता इन्हें अपने आस-पास के क्षेत्रों में निशुल्क बांट चुकी हैं.

इस संकट में कुछ न कुछ सहयोग करना जरूरी

ईटीवी भारत को जब कोरोना की लड़ाई में सहयोग करने वाली अर्शिता के इस सराहनीय सहयोग के बारे में पता चलने पर ईटीवी भारत ने यह जानने का प्रयास किया कि उनको कैसे इस कार्य को करने की प्रेरणा मिली. अर्शिता ने बताया कि लॉकडाउन के काफी दिन गुजरने के बाद जब उनको यह विचार आया कि कैसे हम घर बैठकर देशव्यापी इस मुहिम में अपना योगदान कर सकते हैं तो उन्हें कहीं से पता चला कि मास्क की बाजार में काफी शॉर्टेज (किल्लत) चल रही है. यही सोचकर उन्होंने घर पर ही मास्क बनाना शुरू कर दिया.

अर्शिता के मुताबिक, कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से जहां देश के लोग अकल्पनीय संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में सरकार, शासन-प्रशासन की व्यवस्थाओं में खामियां निकालने के बजाय हमें घर बैठकर ही ऐसा कुछ करना चाहिए, जिससे इस महामारी से जल्द से जल्द निजात पाया जा सके. अर्शिता बताती हैं कि जिस तरह से इन दिनों कुछ लोग अपने घरों में मोदी किचन बनाकर गरीब असहाय मजदूरों के लोगों का पेट भर रहे हैं. वैसे ही वह भी निशुल्क मास्क बनाकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने में जुटी है.

पढ़े: लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं, पैरामिलिट्री फोर्स को किया तैनात

इस महामारी में छोटा सा सहयोग देशहित के बराबर

वहीं, अर्शिता की बेटी पूर्वी भी अपनी मां से प्रेरणा लेकर उनका हाथ बंटा रही हैं. पूर्वी का कहना है कि आज पूरा देश जहां एकजुट होकर इस महामारी से निजात पाने के लिए कोशिश कर रहा है, ऐसे में उनकी मां की तर्ज पर सिलाई-कढ़ाई करने वाली महिलाओं को निशुल्क मास्क बनाकर दूसरों के जीवन को सुरक्षित बनाने में अपना सराहनीय सहयोग देना चाहिए. पूर्वी के मुताबिक, मास्क बनाने में कोई विशेष कपड़े या खर्चे की जरूरत नहीं होती सिर्फ जनहित में थोड़ा वक्त देकर मेहनत की जरूरत है.

देहरादून: कोरोना वायरस जैसी महामारी से बचाव को लेकर जहां लॉकडाउन के दौरान अधिकांश लोग घरों में कैद हैं. वहीं, कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस संकट की घड़ी में कोरोना से निजात पाने की लड़ाई में घर से ही जनसेवा कर अपना सहयोग दे रहे हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून शहर के सहारनपुर चौक इलाके की अर्शिता शर्मा अपने दो बच्चों और पति के सहयोग से इन दिनों घर पर ही मास्क बनाकर उसे निशुल्क बांटकर समाज के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभा रही हैं.

देहरादून की 'कोरोना कर्मवीर' अर्शिता की पहल.

कोरोना से बचाव को लेकर प्रथम दृष्टया सबसे महत्वपूर्ण रूप में काम आने वाले मास्क को अर्शिता पिछले 8 दिनों से अपने घर पर ही कॉटन, कैरी बैग और सिलाई-कढ़ाई में अतिरिक्त बचने वाले सूती कपड़ों से बना रही हैं. अभी तक 300 से अधिक मास्क बनाकर अर्शिता इन्हें अपने आस-पास के क्षेत्रों में निशुल्क बांट चुकी हैं.

इस संकट में कुछ न कुछ सहयोग करना जरूरी

ईटीवी भारत को जब कोरोना की लड़ाई में सहयोग करने वाली अर्शिता के इस सराहनीय सहयोग के बारे में पता चलने पर ईटीवी भारत ने यह जानने का प्रयास किया कि उनको कैसे इस कार्य को करने की प्रेरणा मिली. अर्शिता ने बताया कि लॉकडाउन के काफी दिन गुजरने के बाद जब उनको यह विचार आया कि कैसे हम घर बैठकर देशव्यापी इस मुहिम में अपना योगदान कर सकते हैं तो उन्हें कहीं से पता चला कि मास्क की बाजार में काफी शॉर्टेज (किल्लत) चल रही है. यही सोचकर उन्होंने घर पर ही मास्क बनाना शुरू कर दिया.

अर्शिता के मुताबिक, कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से जहां देश के लोग अकल्पनीय संकट के दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में सरकार, शासन-प्रशासन की व्यवस्थाओं में खामियां निकालने के बजाय हमें घर बैठकर ही ऐसा कुछ करना चाहिए, जिससे इस महामारी से जल्द से जल्द निजात पाया जा सके. अर्शिता बताती हैं कि जिस तरह से इन दिनों कुछ लोग अपने घरों में मोदी किचन बनाकर गरीब असहाय मजदूरों के लोगों का पेट भर रहे हैं. वैसे ही वह भी निशुल्क मास्क बनाकर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को निभाने में जुटी है.

पढ़े: लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों की खैर नहीं, पैरामिलिट्री फोर्स को किया तैनात

इस महामारी में छोटा सा सहयोग देशहित के बराबर

वहीं, अर्शिता की बेटी पूर्वी भी अपनी मां से प्रेरणा लेकर उनका हाथ बंटा रही हैं. पूर्वी का कहना है कि आज पूरा देश जहां एकजुट होकर इस महामारी से निजात पाने के लिए कोशिश कर रहा है, ऐसे में उनकी मां की तर्ज पर सिलाई-कढ़ाई करने वाली महिलाओं को निशुल्क मास्क बनाकर दूसरों के जीवन को सुरक्षित बनाने में अपना सराहनीय सहयोग देना चाहिए. पूर्वी के मुताबिक, मास्क बनाने में कोई विशेष कपड़े या खर्चे की जरूरत नहीं होती सिर्फ जनहित में थोड़ा वक्त देकर मेहनत की जरूरत है.

Last Updated : Apr 18, 2020, 5:59 PM IST
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