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जंग-ए-आजादी में चार बार दून जेल में रहे थे कैद, हर दास्तां बयां करता है नेहरू वार्ड

आज पूरा देश प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जंयती मना रहा है. इसी कड़ी में हम आपको देहरादून शहर में मौजूद एक जेल के बारे में बताएंगे जहां आजादी के दौरान पंडित नेहरू को बंदी बनाकर रखा गया था.

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Published : Nov 14, 2019, 3:32 PM IST

देहरादून: 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी चाचा नेहरू का जन्मदिन मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में हम आपको देहरादून शहर में मौजूद एक जेल के बारे में बताएंगे जहां आजादी के दौरान पंडित नेहरू को बंदी बनाकर रखा गया था. इस जेल का वो कमरा आज नेहरू वार्ड के नाम से राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल है. जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवन के कुछ साल नेहरू वार्ड में बिताए थे.

पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद कर रहा पूरा देश.

देश की आजादी की लड़ाई के दौरान ब्रिटिश काल में पंडित जवाहरलाल नेहरू को देहरादून स्थित पुरानी जेल में कई बार कैद किया गया था. सबसे पहले साल 1932 में पंडित नेहरू को इस जेल में भेजा गया था. वो करीब 14 माह तक जेल में रहे थे. इसके बाद 1934, 1940 और 1941 में भी जेल भेजे गए थे. कुल मिलाकर देश की आजादी की खातिर वह देहरादून की इस जेल में चार बार कैद रहे थे. पुरानी जेल की कोठरी में वर्ष 1932 से 1941 के बीच वह 878 दिन कैद रहे.

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पंडित जवाहरलाल नेहरू की कुछ यादों को भी संजोया गया

दरअसल, दून जेल में लाने से पहले नेहरू को बरेली की जेल में रखा गया था, लेकिन गर्मी बर्दाश्त न कर पाने की वजह से उनकी नाक से खून बहने लगा. उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें ठंडे स्थान पर मौजूद देहरादून जेल में शिफ्ट करने का फैसला लिया.

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चाचा नेहरू के जन्मदिन को सेलिब्रेट करते बच्चे

नेहरू की बेटी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसी वार्ड में उनसे मिलने आती थीं. नेहरू के दोनों नाती राजीव और संजय गांधी देहरादून के ही दून स्कूल में पढ़े थे. वर्ष 1939 में 'इंदिरा गांधी के नाम' नामक पत्र भी उन्होंने इसी जेल से लिखा था.

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महात्मा गांधी के साथ जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर

पढ़ें- बाल दिवस स्पेशल: 'दिव्य ज्ञान' की मिसाल ये दो नन्हें भाई, अद्भुत और अकल्पनीय हैं इनके कारनामे

हालांकि, नेहरू वार्ड की बात करें तो यहां शयन कक्ष के भीतर बिस्तर और कुर्सी-टेबल मौजूद हैं. इसके साथ ही नेहरू वार्ड में स्नान घर, शौचालय, भंडार गृह और पाठशाला भी मौजूद है. वार्ड की दीवारों पर पंडित जवाहरलाल नेहरू की कुछ यादों को भी संजोया गया है. यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति लगाई गई है, जहां हर साल 14 नवंबर को कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

देहरादून स्थित इस राष्ट्रीय धरोहर की देखरेख संस्कृति विभाग कर रहा है लेकिन नेहरू वार्ड के भीतर पहले जो फूलों की क्यारियां थीं वो लगभग खत्म हो गई हैं. यहां तक कि पहले वहां गुलाब के फूल के कई पेड़ मौजूद थे जो अब कहीं दिखाी नहीं देते. जबकि गुलाब के फूल हमेशा नेहरू के पास रहता था.

नेहरू वार्ड इसलिए भी इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि नेहरू को अपनी विख्यात पुस्तक ‘भारत एक खोज’ लिखने की प्रेरणा यहीं से मिली थी. उस पुस्तक के अधिकांश हिस्से इसी वार्ड में लिखे गए थे. नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित और करीबी रिश्तेदार बीके नेहरू ने देहरादून के राजपुर रोड स्थित अपने घरों पर जीवन की अंतिम सांसें ली थी.

देहरादून से रहा है खास लगाव
पंडित नेहरू को देहरादून का सर्किट हाउस (वर्तमान में राजभवन) काफी पसंद था. जब भी वह देहरादून आते थे, यहीं रुकते थे. 160 एकड़ भूभाग में फैले सर्किट हाउस की सुंदरता का उल्लेख उन्होंने विजिटर बुक में भी किया है.

मृत्यु से एक दिन पहले 26 मई को नेहरू देहरादून आए थे. वह यहां सर्किट हाऊस में कुछ देर के लिए रुके थे. इसके बाद वह बेटी इंदिरा और अन्य परिवारवालों के साथ सहस्रधारा गए. यहां उन्होंने स्नान किया था.

देहरादून: 14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी चाचा नेहरू का जन्मदिन मनाया जा रहा है. इसी कड़ी में हम आपको देहरादून शहर में मौजूद एक जेल के बारे में बताएंगे जहां आजादी के दौरान पंडित नेहरू को बंदी बनाकर रखा गया था. इस जेल का वो कमरा आज नेहरू वार्ड के नाम से राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल है. जवाहरलाल नेहरू ने अपने जीवन के कुछ साल नेहरू वार्ड में बिताए थे.

पंडित जवाहर लाल नेहरू को याद कर रहा पूरा देश.

देश की आजादी की लड़ाई के दौरान ब्रिटिश काल में पंडित जवाहरलाल नेहरू को देहरादून स्थित पुरानी जेल में कई बार कैद किया गया था. सबसे पहले साल 1932 में पंडित नेहरू को इस जेल में भेजा गया था. वो करीब 14 माह तक जेल में रहे थे. इसके बाद 1934, 1940 और 1941 में भी जेल भेजे गए थे. कुल मिलाकर देश की आजादी की खातिर वह देहरादून की इस जेल में चार बार कैद रहे थे. पुरानी जेल की कोठरी में वर्ष 1932 से 1941 के बीच वह 878 दिन कैद रहे.

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पंडित जवाहरलाल नेहरू की कुछ यादों को भी संजोया गया

दरअसल, दून जेल में लाने से पहले नेहरू को बरेली की जेल में रखा गया था, लेकिन गर्मी बर्दाश्त न कर पाने की वजह से उनकी नाक से खून बहने लगा. उसके बाद अंग्रेजों ने उन्हें ठंडे स्थान पर मौजूद देहरादून जेल में शिफ्ट करने का फैसला लिया.

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चाचा नेहरू के जन्मदिन को सेलिब्रेट करते बच्चे

नेहरू की बेटी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी इसी वार्ड में उनसे मिलने आती थीं. नेहरू के दोनों नाती राजीव और संजय गांधी देहरादून के ही दून स्कूल में पढ़े थे. वर्ष 1939 में 'इंदिरा गांधी के नाम' नामक पत्र भी उन्होंने इसी जेल से लिखा था.

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महात्मा गांधी के साथ जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर

पढ़ें- बाल दिवस स्पेशल: 'दिव्य ज्ञान' की मिसाल ये दो नन्हें भाई, अद्भुत और अकल्पनीय हैं इनके कारनामे

हालांकि, नेहरू वार्ड की बात करें तो यहां शयन कक्ष के भीतर बिस्तर और कुर्सी-टेबल मौजूद हैं. इसके साथ ही नेहरू वार्ड में स्नान घर, शौचालय, भंडार गृह और पाठशाला भी मौजूद है. वार्ड की दीवारों पर पंडित जवाहरलाल नेहरू की कुछ यादों को भी संजोया गया है. यहां पंडित जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति लगाई गई है, जहां हर साल 14 नवंबर को कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

देहरादून स्थित इस राष्ट्रीय धरोहर की देखरेख संस्कृति विभाग कर रहा है लेकिन नेहरू वार्ड के भीतर पहले जो फूलों की क्यारियां थीं वो लगभग खत्म हो गई हैं. यहां तक कि पहले वहां गुलाब के फूल के कई पेड़ मौजूद थे जो अब कहीं दिखाी नहीं देते. जबकि गुलाब के फूल हमेशा नेहरू के पास रहता था.

नेहरू वार्ड इसलिए भी इतिहास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि नेहरू को अपनी विख्यात पुस्तक ‘भारत एक खोज’ लिखने की प्रेरणा यहीं से मिली थी. उस पुस्तक के अधिकांश हिस्से इसी वार्ड में लिखे गए थे. नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित और करीबी रिश्तेदार बीके नेहरू ने देहरादून के राजपुर रोड स्थित अपने घरों पर जीवन की अंतिम सांसें ली थी.

देहरादून से रहा है खास लगाव
पंडित नेहरू को देहरादून का सर्किट हाउस (वर्तमान में राजभवन) काफी पसंद था. जब भी वह देहरादून आते थे, यहीं रुकते थे. 160 एकड़ भूभाग में फैले सर्किट हाउस की सुंदरता का उल्लेख उन्होंने विजिटर बुक में भी किया है.

मृत्यु से एक दिन पहले 26 मई को नेहरू देहरादून आए थे. वह यहां सर्किट हाऊस में कुछ देर के लिए रुके थे. इसके बाद वह बेटी इंदिरा और अन्य परिवारवालों के साथ सहस्रधारा गए. यहां उन्होंने स्नान किया था.

Intro:नोट- फीड ftp से भेजी गई है.....
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14 नवंबर को देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में आज भी वो जेल मौजूद है जहाँ आजादी के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू को बंदी बनाया गया था। जो आज नेहरू वार्ड के नाम से राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के जीवन के कुछ साल जो नेहरू वार्ड में बिताए थे, देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट......


Body:देश की आजादी की लड़ाई के दौरान ब्रिटिश काल में पंडित जवाहरलाल नेहरू को देहरादून स्थित पुरानी जेल में कई बार कैद किया गया था। सबसे पहले साल 1932 में पहली बार पंडित जवाहरलाल नेहरू को इस जेल में कैद किया गया था। और करीब 14 माह तक जेल में रहे थे इसके बाद 1934,1940 और 1941 में भी जेल भेजे गए थे। और पंडित जवाहरलाल नेहरु देहरादून स्थित इस पुरानी जेल कि जिस वार्ड में रखे गए थे वह वार्ड आज भी मौजूदा जिसे नेहरू वार्ड के नाम से जाना जाता है।


हालांकि नेहरू वार्ड की बात करें तो नेहरू वार्ड में शयन कक्ष के भीतर बिस्तर और कुर्सी-टेबल मौजूद है। इसके साथ ही नेहरू वार्ड में स्नान घर, शौचालय, भंडार गृह और पाठशाला भी मौजूद है। साथी दीवारों पर पंडित जवाहरलाल नेहरु की कुछ यादें को भी संजोया गया है। और पंडित जवाहरलाल नेहरू की मूर्ति लगाई गई है जहां हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाते हुए कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।




Conclusion:देहरादून स्थित इस राष्ट्रीय धरोहर को संस्कृति विभाग संभाल रहा है लेकिन नेहरू वार्ड के भीतर जो पहले क्यारी या फिर फूलों की झाड़ियां थी और लगभग खत्म हो गई है। यहां तक की वहां गुलाब के फूल का एक भी पेड़ मौजूद नहीं है जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरू हमेशा गुलाब की फूल को अपने पास रखते थे। ऐसे में कहीं ना कहीं संस्कृति विभाग इस व्यवस्था पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
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