हल्द्वानी: सर्दियों की शुरुआत होते ही गुड़ की डिमांड भी बढ़ गई हैं. लोगों की पहली पसंद गांव में तैयार होने वाले पारंपरिक कोल्हू से बने गुड़ की होती है. नैनीताल जिले के मोटाहल्दू के रहने वाले काश्तकार महेश चंद्र कबड़वाल के गुड़ के लोग मुरीद हैं. महेश चंद्र कबड़वाल पिछले कई सालों से पारंपरिक तरीके से गुड़ बना रहे हैं. जहां उनकी गुड़ की डिमांड उत्तराखंड के साथ-साथ विदेशों तक है.
काश्तकार महेश चंद्र कबड़वाल ने बताया कि उनका गुड़ उत्तराखंड के साथ-साथ दुबई के अलावा अन्य देशों तक पहुंच रहा है. उन्होंने बताया कि उनकी गुड़ की खासियत है कि लोगों के सामने गुड़ तैयार होता है, जहा हाथों हाथ गुड़ की बिक्री भी होती है. गुड़ खाने वाले लोगों का कहना है कि कोल्हू से तैयार गुड़ बिल्कुल शुद्ध देसी तरीके से तैयार किया जाता है. इसमें कहीं भी किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं होता है. हालांकि बैल की जगह अब कोल्हू इंजन से चलता है.
लेकिन बाकी सारा कार्य पारंपरिक तरीके से ही किया जाता है. बिना केमिकल और मिलावट के तैयार इस गुड़ की लोकप्रियता पूरे कुमाऊं सहित कई राज्यों में है. कई देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीय अपने नाते रिश्तेदारों के माध्यम से यहां से यहां की गुड़ मंगवाते हैं. कोल्हू के मालिक महेश चंद्र का कहना है कि उनके कोल्हू में तैयार किया गया गुड़ पूरी तरह से शुद्ध और बिना मिलावट का है. अपना गुड़ बेचने के लिए किसी मंडी या मार्केट की जरूरत नहीं पड़ती, बल्कि लोग खुद ही उनसे गुड़ लेने के आ आते हैं.
उनके द्वारा तैयार किया गया शुद्ध सादा और ड्राई फूड गुड़ की डिमांड खूब हो रही है.काश्तकार महेश चंद कबड़वाल का दावा है कि अन्य फैक्ट्रियों में गन्ने के रस को साफ करने के लिए रसायन इत्यादि का उपयोग किया जाता है, उनके यहां गुड़ बनाने के दौरान रस की सफाई के लिए भिंडी की राल मिलाई जाती है. उन्होंने बताया कि शुद्ध और पारंपरिक तरीके से बनाए गए गुड की रोजाना कई कुंतल की डिमांड रहती है. बाजार में जहां गुड़ की सामान्य गुड़ की कीमत कीमत ₹40 ₹45 किलो के आसपास है तो वहीं उनके कोल्हू में तैयार सादे गुड़ की कीमत ₹60 प्रति किलो है.
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