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युवाओं के रोल मॉडल बनेंगे सेना के ये अफसर, सफलता के लिए चुनौतियों का किया सामना

सेना में लेफ्टिनेंट रैंक से शुरुआत करने वाले युवाओं ने अपनी मेहनत और परिश्रम से इस मुकाम को हासिल किया है. इसमें कई युवा ऐसे भी हैं जो पारिवारिक कठिनाईयों को कमजोरी नहीं, बल्कि हथियार बनाकर आगे बढ़े.

रोल मॉडल बनेंगे सेना के ये अफसर
रोल मॉडल बनेंगे सेना के ये अफसर
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Published : Jun 12, 2021, 8:21 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 10:20 PM IST

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी में पहले पग के साथ सेना में लेफ्टिनेंट रैंक से शुरुआत करने वाले युवाओं ने अपनी मेहनत और परिश्रम से इस मुकाम को हासिल किया है. इसमें कई युवा ऐसे भी हैं जो पारिवारिक कठिनाईयों को कमजोरी नहीं, बल्कि हथियार बनाकर आगे बढ़े. जिसके बाद अब ये अफसर युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में हर युवा अफसर के साथ कोई ना कोई कठिनाई या परिश्रम की कहानी जुड़ी हुई है. ईटीवी भारत आज कुछ ऐसे ही युवा अफसर से आपको रूबरू कराएगा, जिन्होंने पारिवारिक कठिनाइयों को अपनी मजबूती बनाया और आज सेना में अफसर बन गए.

सबसे पहले बात तुषार भारद्वाज की करेंगे, जो गाजियाबाद के रहने वाले हैं. तुषार के पिता किराने की दुकान चलाते हैं और बेहद परिश्रम के साथ परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. तुषार कहते हैं कि उन्होंने 2019 में अकादमी में डायरेक्ट एंट्री पाई और आज वे सेना का अंग बन रहे हैं. खुशी की बात यह है कि आज न केवल उनके पिता और परिवार का सपना पूरा हुआ, बल्कि क्षेत्र के लिए भी तुषार मिसाल बन गए हैं.

युवाओं के रोल मॉडल बनेंगे सेना के ये अफसर.

अकादमी से पास आउट होने वाले युवा अधिकारी अजय प्रताप ग्वालियर के रहने वाले हैं. अजय प्रताप के पिता किसान हैं और एक किसान के बेटे ने जिस तरह से अकादमी में प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने का सपना पूरा किया है, वो गौरवान्वित करने वाला है.

उत्तरकाशी के रहने वाले अमन रमोला ने भी अपनी 4 साल की मेहनत के बाद इस मुकाम को हासिल किया है. उनके पिता का निधन हो चुका है, परिवार पर जब दुख का पहाड़ टूटा, उस समय अमन 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. अमन की माता ने ही पूरे परिवार को संभाला और अमन की अच्छी शिक्षा दी. अमन कहते हैं कि यह उनके परिवार के लिए गर्व की बात है कि आज उनका सपूत सेना में अफसर बना है. इसका क्रेडिट वो अपनी माता को देना चाहते हैं, जिन्होंने पूरी लगन से उनकी पढ़ाई पूरी करवाई और यहां तक पहुंचने में मदद की.

ये भी पढ़ें: चुनौतियों के लिए तैयार सेना के नये 'शूरवीर', प्रथम पग पार कर भरी नई उड़ान

अनुज प्रताप सिंह के पिता सरकारी शिक्षक हैं. वह भी खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि जिस तरह से भारतीय सेना ने 21 साल की उम्र में उन्हें इस काबिल समझकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है, उसके लिए वह सभी का धन्यवाद करते हैं. अजय प्रताप कहते हैं कि काफी मुश्किलों के साथ उन्होंने प्रशिक्षण को पूरा किया है, लेकिन आज इसी वक्त के लिए पूरे परिश्रम और कठिनाई को किया था.

अल्मोड़ा के दीपक सिंह जिन्होंने अकादमी में अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल पाया है. उन्होंने बताया कि उनके पिता सेना में हवलदार पद पर रहे और अब वे अपने पिता वाली यूनिट यानी 9th कुमाऊं में ही ज्वाइन करने की इच्छा रखते हैं. मुकेश कुमार को अकादमी में ओवर ऑल प्रदर्शन के लिए स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिला है. राजस्थान निवासी मुकेश के पिता सेना से रिटायर्ड नायक हैं. वे अपने परिवार के पहले सैन्य अफसर बनकर उभरे हैं.

सुमित भट्ट उत्तरकाशी के सीमांत क्षेत्र से आते हैं. उनके पिता भी सेना में हवलदार हैं. सीमांत क्षेत्र से आने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई को बखूबी पूरा किया. साथ ही प्रशिक्षण के दौरान भी पूरी मेहनत के साथ अकादमी के नियम कायदों का पालन करते हुए सेना में अफसर बन गए हैं.

देहरादून: भारतीय सैन्य अकादमी में पहले पग के साथ सेना में लेफ्टिनेंट रैंक से शुरुआत करने वाले युवाओं ने अपनी मेहनत और परिश्रम से इस मुकाम को हासिल किया है. इसमें कई युवा ऐसे भी हैं जो पारिवारिक कठिनाईयों को कमजोरी नहीं, बल्कि हथियार बनाकर आगे बढ़े. जिसके बाद अब ये अफसर युवाओं के रोल मॉडल बन गए हैं. भारतीय सैन्य अकादमी में हर युवा अफसर के साथ कोई ना कोई कठिनाई या परिश्रम की कहानी जुड़ी हुई है. ईटीवी भारत आज कुछ ऐसे ही युवा अफसर से आपको रूबरू कराएगा, जिन्होंने पारिवारिक कठिनाइयों को अपनी मजबूती बनाया और आज सेना में अफसर बन गए.

सबसे पहले बात तुषार भारद्वाज की करेंगे, जो गाजियाबाद के रहने वाले हैं. तुषार के पिता किराने की दुकान चलाते हैं और बेहद परिश्रम के साथ परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. तुषार कहते हैं कि उन्होंने 2019 में अकादमी में डायरेक्ट एंट्री पाई और आज वे सेना का अंग बन रहे हैं. खुशी की बात यह है कि आज न केवल उनके पिता और परिवार का सपना पूरा हुआ, बल्कि क्षेत्र के लिए भी तुषार मिसाल बन गए हैं.

युवाओं के रोल मॉडल बनेंगे सेना के ये अफसर.

अकादमी से पास आउट होने वाले युवा अधिकारी अजय प्रताप ग्वालियर के रहने वाले हैं. अजय प्रताप के पिता किसान हैं और एक किसान के बेटे ने जिस तरह से अकादमी में प्रशिक्षण पूरा कर अफसर बनने का सपना पूरा किया है, वो गौरवान्वित करने वाला है.

उत्तरकाशी के रहने वाले अमन रमोला ने भी अपनी 4 साल की मेहनत के बाद इस मुकाम को हासिल किया है. उनके पिता का निधन हो चुका है, परिवार पर जब दुख का पहाड़ टूटा, उस समय अमन 11वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे. अमन की माता ने ही पूरे परिवार को संभाला और अमन की अच्छी शिक्षा दी. अमन कहते हैं कि यह उनके परिवार के लिए गर्व की बात है कि आज उनका सपूत सेना में अफसर बना है. इसका क्रेडिट वो अपनी माता को देना चाहते हैं, जिन्होंने पूरी लगन से उनकी पढ़ाई पूरी करवाई और यहां तक पहुंचने में मदद की.

ये भी पढ़ें: चुनौतियों के लिए तैयार सेना के नये 'शूरवीर', प्रथम पग पार कर भरी नई उड़ान

अनुज प्रताप सिंह के पिता सरकारी शिक्षक हैं. वह भी खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि जिस तरह से भारतीय सेना ने 21 साल की उम्र में उन्हें इस काबिल समझकर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है, उसके लिए वह सभी का धन्यवाद करते हैं. अजय प्रताप कहते हैं कि काफी मुश्किलों के साथ उन्होंने प्रशिक्षण को पूरा किया है, लेकिन आज इसी वक्त के लिए पूरे परिश्रम और कठिनाई को किया था.

अल्मोड़ा के दीपक सिंह जिन्होंने अकादमी में अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रेसिडेंट गोल्ड मेडल पाया है. उन्होंने बताया कि उनके पिता सेना में हवलदार पद पर रहे और अब वे अपने पिता वाली यूनिट यानी 9th कुमाऊं में ही ज्वाइन करने की इच्छा रखते हैं. मुकेश कुमार को अकादमी में ओवर ऑल प्रदर्शन के लिए स्वॉर्ड ऑफ ऑनर मिला है. राजस्थान निवासी मुकेश के पिता सेना से रिटायर्ड नायक हैं. वे अपने परिवार के पहले सैन्य अफसर बनकर उभरे हैं.

सुमित भट्ट उत्तरकाशी के सीमांत क्षेत्र से आते हैं. उनके पिता भी सेना में हवलदार हैं. सीमांत क्षेत्र से आने के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई को बखूबी पूरा किया. साथ ही प्रशिक्षण के दौरान भी पूरी मेहनत के साथ अकादमी के नियम कायदों का पालन करते हुए सेना में अफसर बन गए हैं.

Last Updated : Jun 12, 2021, 10:20 PM IST
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