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22 मार्च से शुरू होगा ऐतिहासिक झंडा मेला, 90 फीट ऊंचे ध्वजदंड को लेकर श्री दरबार साहिब पहुंची संगत

देहरादून का ऐतिहासिक झंडा मेला आगामी 22 मार्च से शुरू होने जा रहा है. झंडा मेला के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश और राज्य के विभिन्न हिस्सों से पैदल संगत श्री दरबार साहिब पहुंच रही हैं.

Jhanda Mela in Dehradun
ऐतिहासिक झंडा मेला
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Published : Mar 19, 2022, 5:57 PM IST

देहरादून: आगामी 22 मार्च को श्री दरबार साहिब में ऐतिहासिक झंडे जी के आरोहण के साथ झंडा मेला का शुभारंभ हो जाएगा. झंडा मेला के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश और राज्य के विभिन्न हिस्सों से पैदल संगत श्री दरबार साहिब पहुंच रही हैं. वहीं, शनिवार को संगत बॉम्बे बाग पहुंचीं, जहां से श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने करीब 90 फीट लंबे ध्वजदंड की विधिवत पूजा और अरदास की.

उसके बाद संगतों ने नए ध्वजदंड को कंधों पर उठाकर जयकारों के साथ श्री दरबार साहिब पहुंचाया. जहां पर श्रद्धालुओं ने ध्वजदंड के पहुंचते ही ढोल नगाड़ों की थाप पर नृत्य कियाय झंडा मेले के लिए नए ध्वजदंड का निर्माण पिछले 4 महीने से कारीगर कर रहे थे. यह ध्वजदंड साल की लकड़ी का है.

ऐतिहासिक झंडा मेला.

झंडा मेला के लिए पहुंची संगतों को श्री दरबार साहिब में श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने दर्शन दिए और उनको आशीर्वाद दिया. बताया कि दो वर्षों से कोरोनाकाल के कारण झंडा मेला का आयोजन बहुत सूक्ष्म किया गया था, तो वहीं इस वर्ष 90 फीट लंबे झंडा जी का आरोहण के साथ ही विधिवत रूप से 22 मार्च को ऐतिहासिक झंडा मेला का शुभारंभ हो जाएगा.
पढ़ें- पूजा-अर्चना के साथ शुरू हुआ मां पूर्णागिरि मेला, श्रद्धालुओं को कोविड नियमों का करना होगा पालन

झंडा मेला आयोजन समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि दरबार साहिब प्रबंधन की ओर से संगतों की ठहरने की पूरी व्यवस्था की गई है. श्री गुरुराम राय बिंदाल स्कूल, राजा रोड, भंडारीबाग सहित पटेल नगर और देहरादून के विभिन्न धर्मशालाओं में संगतों का रुकने का इंतजाम किया गया है. साथ ही एक दर्जन ज्यादा छोटे-बड़े लंगरों की व्यवस्था है. सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए मेला थाना और मेला अस्पताल बनाए गए हैं.

इस साल श्री दरबार साहिब में भित्ति चित्र भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी. इन भित्ति चित्रों को पानी, धूल, प्रदूषण धूप से बचाने के विशेष तकनीक का प्रयोग किया गया है. साथ ही बीते कुछ महीनों से भित्ति चित्रों को सरंक्षित करने के लिए एक विशेष टीम श्री दरबार साहिब में काम कर रही है. श्री दरबार साहिब के करीब 346 वर्षों के इतिहास को यह भित्ति चित्र कई उदाहरणों से सजीव करने का काम कर रहे हैं. इसमें इतिहास के साथ ही टिहरी की नथ का भी सजीव चित्रण किया गया है.

देहरादून: आगामी 22 मार्च को श्री दरबार साहिब में ऐतिहासिक झंडे जी के आरोहण के साथ झंडा मेला का शुभारंभ हो जाएगा. झंडा मेला के लिए पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश और राज्य के विभिन्न हिस्सों से पैदल संगत श्री दरबार साहिब पहुंच रही हैं. वहीं, शनिवार को संगत बॉम्बे बाग पहुंचीं, जहां से श्री दरबार साहिब के सज्जादानशीन श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने करीब 90 फीट लंबे ध्वजदंड की विधिवत पूजा और अरदास की.

उसके बाद संगतों ने नए ध्वजदंड को कंधों पर उठाकर जयकारों के साथ श्री दरबार साहिब पहुंचाया. जहां पर श्रद्धालुओं ने ध्वजदंड के पहुंचते ही ढोल नगाड़ों की थाप पर नृत्य कियाय झंडा मेले के लिए नए ध्वजदंड का निर्माण पिछले 4 महीने से कारीगर कर रहे थे. यह ध्वजदंड साल की लकड़ी का है.

ऐतिहासिक झंडा मेला.

झंडा मेला के लिए पहुंची संगतों को श्री दरबार साहिब में श्रीमहंत देवेंद्र दास महाराज ने दर्शन दिए और उनको आशीर्वाद दिया. बताया कि दो वर्षों से कोरोनाकाल के कारण झंडा मेला का आयोजन बहुत सूक्ष्म किया गया था, तो वहीं इस वर्ष 90 फीट लंबे झंडा जी का आरोहण के साथ ही विधिवत रूप से 22 मार्च को ऐतिहासिक झंडा मेला का शुभारंभ हो जाएगा.
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झंडा मेला आयोजन समिति के व्यवस्थापक केसी जुयाल ने बताया कि दरबार साहिब प्रबंधन की ओर से संगतों की ठहरने की पूरी व्यवस्था की गई है. श्री गुरुराम राय बिंदाल स्कूल, राजा रोड, भंडारीबाग सहित पटेल नगर और देहरादून के विभिन्न धर्मशालाओं में संगतों का रुकने का इंतजाम किया गया है. साथ ही एक दर्जन ज्यादा छोटे-बड़े लंगरों की व्यवस्था है. सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए मेला थाना और मेला अस्पताल बनाए गए हैं.

इस साल श्री दरबार साहिब में भित्ति चित्र भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेंगी. इन भित्ति चित्रों को पानी, धूल, प्रदूषण धूप से बचाने के विशेष तकनीक का प्रयोग किया गया है. साथ ही बीते कुछ महीनों से भित्ति चित्रों को सरंक्षित करने के लिए एक विशेष टीम श्री दरबार साहिब में काम कर रही है. श्री दरबार साहिब के करीब 346 वर्षों के इतिहास को यह भित्ति चित्र कई उदाहरणों से सजीव करने का काम कर रहे हैं. इसमें इतिहास के साथ ही टिहरी की नथ का भी सजीव चित्रण किया गया है.

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