देहरादून: देश-दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से कारोबार पर बुरा असर हुआ है. लॉकडाउन की वजह से अधिकतर कामकाज ठप हैं. रोजगार का संकट बढ़ गया है. वहीं, कस्टमर्स नहीं होने की वजह से बाजार में भी आर्थिक मंदी का का दौर चल रहा है. कोरोना वायरस की मार से देहरादून शहर में बुटीक कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हुआ है.
लॉकडाउन और कोरोना का असर उन कारोबारियों पर भी पड़ा है, जिनका सीधा संबंध हमारे पहनावे से जुड़ा हुआ है. देहरादून में अनलॉक के तीसरे चरण में अब जिंदगी काफी हद तक पटरी पर आ चुकी है. लेकिन बाजारों में पसरे सन्नाटा की वजह से बुटीक कारोबारी टूट चुके हैं.
ETV BHARAT से खास बातचीत में देहरादून की बुटीक संचालिका मंजू हरनाल बताती हैं कि 25 साल के व्यवसाय में कोरोना जैसा संकट कभी नहीं आया. बाजार में ग्राहक की मौजूदगी न के बराबर है. जिसकी वजह से कारोबारियों को आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मंजू हरनाल के मुताबिक, आर्थिक संकट को देखते हुए उन्हें मजबूरी में स्टाफ की कटौती करनी पड़ी है. पहले उनके बुटीक में 8 से 10 लोग काम किया करते थे. वहीं, मौजूदा समय में महज 5 लोग ही काम कर रहे हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद भले ही कृषि क्षेत्र हो. लेकिन, वर्तमान समय में भारतीय अर्थव्यवस्था में विकास के पीछे मिडिल क्लास और लोअर मिडल क्लास का भी सबसे बड़ा हाथ है. यही कारण है कि भारत को एक 'मिडिल इनकम ग्रुप' की अर्थव्यवस्था के रूप में परिभाषित किया जाता रहा है. लेकिन कोरोना काल में सभी को सीमित कर दिया है.
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देहरादून में बुटीक का कारोबार
देहरादून शहर में लगभग 200 बुटिक मौजूद हैं. लेकिन, कोरोना संकट के बीच 30% बुटीक बंद हो चुके हैं. ईटीवी भारत के सामने अपना दर्द बयां करते हुए बुटीक संचालकों ने बताया कि सामान्य दिनों में अक्सर उनके पास ऑर्डर्स की भरमार रहती थी. लेकिन कोरोना ने स्थिति को बद से बदतर हो चुकी है. मौजूदा समय में अधिकतर बुटीक पर एक भी ऑर्डर नहीं आ रहे हैं. जो लोग ऑर्डर देने आते भी हैं, वे सिर्फ ब्राइडियल लहंगा और सामान्य ड्रेस ही लेने आ रहे हैं. कोरोना संकट के बीच लोगों की आर्थिकी पर भी बुरा असर पड़ा है, जिसकी वजह से अब ग्राहक बुटीक में शॉपिंग करने से बच रहे हैं.
व्यवसाय बढ़ाने में सोशल मीडिया सहायक?
देहरादून के कुछ बुटीक संचालकों ने कोरोना संकट से हुए नुकसान से उबरने के लिए सोशल मीडिया का भी सहारा लेने का प्रयास किया, जो खास काम नहीं आ सका. बुटीक संचालकों का मानना है कि कोरोना संकट काल में हर आम और खास की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर हुआ है. जिसकी वजह से सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोग डिजाइनर ड्रेसेस खरीदने में कोई खास रुचि नहीं दिखा रहे हैं. दूसरी तरफ कोई भी ग्राहक ड्रेस खरीदने से पहले उस ड्रेस के फैब्रिक को परख कर पसंद करना चाहते हैं. जो सोशल मीडिया की वजह से संभव नहीं हो सकता है. इसलिए सोशल मीडिया के माध्यम से भी वह अपनी आय बढ़ाने में सफल नहीं हो सके.
थोड़ी मिली राहत
कोरोना संकट काल के बीच बुटीक संचालकों को थोड़ी राहत मिली है. इस दौर में एक नया ट्रेंड जरूर शुरू हो गया है. बुटीक संचालकों के मुताबिक अब जो गिने-चुने ऑर्डर जा रहे हैं. उसमें लोग उस ड्रेस के साथ का मैचिंग मास्क भी जरूर बनवा रहे हैं. ऐसे में या तो ड्रेस के साथ फेस मास्क मुफ्त दिया जा रहा है या फिर मैचिंग मास्क तैयार के लिए मात्र 50 रुपए ही लिए जा रहे हैं.
जिस तरह से उत्तराखंड में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. उसे देखते हुए बुटीक संचालकों को लगता नहीं कि जल्द स्थितियां सामान्य हो पाएंगी. ऐसे में कारोबारियों का कहना है कि बुटीक कारोबार नवंबर या दिसंबर तक ही संभल पाएगा.