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IFS अफसरों को जबरन रिटायरमेंट की फाइल पर सालभर बाद भी सुनवाई नहीं, शासन से सीएम ऑफिस के बीच अटके आदेश - जबरन रिटायर करने का फैसला

उत्तराखंड के दो आईएफएस अधिकारियों को जबरन रिटायरमेंट देने का फैसला एक साल से शासन और सीएम कार्यालय के बीच अटका हुआ है. इनमें से एक अधिकारी रिटायर हो चुके हैं. जबकि दूसरे अधिकारी को उप वन संरक्षक बना दिया गया है.

Uttarakhand Forest Department
उत्तराखंड वन विभाग
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Published : Aug 12, 2023, 8:54 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में करीब 1 साल पहले दो इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (आईएफएस) अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति (जबरन सेवानिवृत) को लेकर तैयार हुई फाइल अब तक अपने अंजाम पर नहीं पहुंच पाई है. हैरत की बात यह है कि 2 आईएफएस अधिकारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए विभागीय स्तर से अनुमोदन हो चुका था, लेकिन ये फाइल शासन से मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच लटकी हुई है. उधर इस बीच इनमें से एक आईएफएस अधिकारी किशन चंद तो निश्चित समय पर ही सेवानिवृत भी हो चुके हैं और दूसरे अधिकारी को टीआर बीजूलाल को उप वन संरक्षक बना दिया गया है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में 11 आईएफएस अधिकारियों और कई रेंजरों की जांच की फाइल मंगवाई है. बताया गया है कि इन सभी अधिकारियों की विभिन्न मामलों में जांच लटकी हुई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री फिर से इन जांचों को खुलवाने के साथ विभिन्न मामलों में कार्रवाई किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित कर चुके हैं. जिन आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच लंबित है, उनमें रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी, जेएस सुहाग, राहुल, किशन चंद का नाम शामिल है. यह सभी वह अधिकारी हैं जो कॉर्बेट में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण को लेकर आरोपित किए गए हैं. इनमें अधिकारी राहुल के अलावा अन्य तीनों अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.

इन अधिकारियों पर भी आरोप: मुख्य वन संरक्षक मानसिंह पर अवैध पेड़ कटान का आरोप है, टीआर बीजूलाल पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है. अशोक कुमार गुप्ता पर अवैध कार्यों में संयुक्त का आरोप है. एचके सिंह पर वन आरक्षी परीक्षा में अनियमितता बरतने का आरोप है, साथ ही गुर्जर पुनर्वास में भी धन आवंटन में अनियमितता के आरोपी हैं. इसके अलावा तनुजा परिहार पर भी सोलर फेंसिंग कार्यों में राजकीय धन के दुरुपयोग का आरोप है. बाकी दो अधिकारी भी हैं लेकिन इन पर वित्तीय अनियमितता या बेहद गंभीर आरोप नहीं हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के दो IFS अफसरों पर गिर सकती है गाज, गंभीर आरोपों के चलते विदाई तय

1 साल से नहीं हुई फाइलों पर सुनवाई: एक तरफ मुख्यमंत्री कार्यालय ने तमाम अधिकारियों की अनियमितता और गंभीर आरोपों से जुड़ी फाइल मंगवाई है तो दूसरी तरफ वन विभाग में विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद भी 2 आईएफएस अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृति की फाइल पर कोई सुनवाई नहीं हुई. हालांकि, इन दो आईएएस अधिकारियों में से किशनचंद अपने निश्चित समय पर ही सेवानिवृत हो चुके हैं, उधर टीआर बीजू लाल को उप वन संरक्षक बना दिया गया है.
ये भी पढ़ेंः HC ने PCCF राजीव भरतरी और टीआर बिजुलाल को जारी किया अवमानना नोटिस

देहरादूनः उत्तराखंड में करीब 1 साल पहले दो इंडियन फॉरेस्ट सर्विस (आईएफएस) अधिकारियों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति (जबरन सेवानिवृत) को लेकर तैयार हुई फाइल अब तक अपने अंजाम पर नहीं पहुंच पाई है. हैरत की बात यह है कि 2 आईएफएस अधिकारियों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए विभागीय स्तर से अनुमोदन हो चुका था, लेकिन ये फाइल शासन से मुख्यमंत्री कार्यालय के बीच लटकी हुई है. उधर इस बीच इनमें से एक आईएफएस अधिकारी किशन चंद तो निश्चित समय पर ही सेवानिवृत भी हो चुके हैं और दूसरे अधिकारी को टीआर बीजूलाल को उप वन संरक्षक बना दिया गया है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश में 11 आईएफएस अधिकारियों और कई रेंजरों की जांच की फाइल मंगवाई है. बताया गया है कि इन सभी अधिकारियों की विभिन्न मामलों में जांच लटकी हुई थी. ऐसे में मुख्यमंत्री फिर से इन जांचों को खुलवाने के साथ विभिन्न मामलों में कार्रवाई किए जाने के लिए अधिकारियों को निर्देशित कर चुके हैं. जिन आईएफएस अधिकारियों के खिलाफ विभिन्न मामलों में जांच लंबित है, उनमें रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी राजीव भरतरी, जेएस सुहाग, राहुल, किशन चंद का नाम शामिल है. यह सभी वह अधिकारी हैं जो कॉर्बेट में अवैध पेड़ कटान और अवैध निर्माण को लेकर आरोपित किए गए हैं. इनमें अधिकारी राहुल के अलावा अन्य तीनों अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं.

इन अधिकारियों पर भी आरोप: मुख्य वन संरक्षक मानसिंह पर अवैध पेड़ कटान का आरोप है, टीआर बीजूलाल पर वित्तीय अनियमितता का आरोप है. अशोक कुमार गुप्ता पर अवैध कार्यों में संयुक्त का आरोप है. एचके सिंह पर वन आरक्षी परीक्षा में अनियमितता बरतने का आरोप है, साथ ही गुर्जर पुनर्वास में भी धन आवंटन में अनियमितता के आरोपी हैं. इसके अलावा तनुजा परिहार पर भी सोलर फेंसिंग कार्यों में राजकीय धन के दुरुपयोग का आरोप है. बाकी दो अधिकारी भी हैं लेकिन इन पर वित्तीय अनियमितता या बेहद गंभीर आरोप नहीं हैं.
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1 साल से नहीं हुई फाइलों पर सुनवाई: एक तरफ मुख्यमंत्री कार्यालय ने तमाम अधिकारियों की अनियमितता और गंभीर आरोपों से जुड़ी फाइल मंगवाई है तो दूसरी तरफ वन विभाग में विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद भी 2 आईएफएस अफसरों की अनिवार्य सेवानिवृति की फाइल पर कोई सुनवाई नहीं हुई. हालांकि, इन दो आईएएस अधिकारियों में से किशनचंद अपने निश्चित समय पर ही सेवानिवृत हो चुके हैं, उधर टीआर बीजू लाल को उप वन संरक्षक बना दिया गया है.
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