देहरादून: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने देशभर में हो रही दुर्घटनाओं में मौत के आंकड़े जारी किए हैं. जारी की गई रिपोर्ट में एनसीआरबी ने दुघर्टनाओं को दो हिस्सों में बांटा है. पहला प्राकृतिक घटनाएं और दूसरा अन्य कारणों से होने वाली दुर्घटनाएं.
साल 2019 में देशभर में दुर्घटना से 4 लाख 21,104 लोगों की आकस्मिक मौत हुई थी. जबकि साल 2018 में 4 लाख 11,824 लोगों की मौत हुई थी. अगर उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत के आकड़ों की बात करें तो यहां भी हर साल सैकड़ों लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा रहे हैं.
उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. हालत ये है कि प्रदेश में हर दिन लगभग तीन लोगों की मौत सड़क हादसों में हो रही है. यानी हर साल एक हजार से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा रहे हैं, जो प्रदेश में अपराधिक घटनाओं में होने वाली हत्याओं से कई गुना ज्यादा है. एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में सड़क दुर्घटना में 1,073 लोगों की मौत हुई थी, जबकि साल 2019 में 867 लोगों ने अपनी जान गंवाई है.
सड़क दुर्घटनाओं पर सरकार चिंतित नहीं
आपको जानकर हैरानी होगी कि 20 साल के उत्तराखंड में 26 हजार से ज्यादा लोगों की मौत सड़क हादसों में हो चुकी है. इसके बावजूद सरकार इसको लेकर गंभीर नहीं है. न ही इन हादसों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं. साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को बढ़ते सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद उत्तराखंड सचिव ने कई बार संबंधित विभागों को सामंजस्य बनाकर जमीनी स्तर पर कार्रवाई करने के निर्देश भी दिए हैं. लेकिन अभी तक मात्र सड़क सुरक्षा सप्ताह कार्यक्रम के अलावा धरातल पर कोई दूसरा ठोस कार्य देखने को नहीं मिला है.
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भूस्खलन से मौत के मामले में उत्तराखंड दूसरे पायदान पर-
सड़क दुर्घटनाओं में 15 फीसदी तक की कमी- डीजी
डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार ने बताया कि पिछले साल सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए तमाम कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. साथ ही हॉट स्पॉट्स, ब्लैक स्पॉट्स और एक्सीडेंटल प्रोन एरिया को चिन्हित किया गया है. साथ ही प्रशासन के साथ मिलकर इन क्षेत्रों की संवेदनशीलता को कम करने का काम किया गया है. इसके साथ ही वाहन चलाते वक्त लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई करने के लिए इंफोर्समेंट बढ़ाया गया है, जिसके चलते साल 2019 में साल 2018 की तुलना में सड़क दुर्घटनाओं में करीब 15 फीसदी तक कमी आई है.