मसूरी: शनिवार को तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा का 84वां जन्मदिन मसूरी में धूमधाम से मनाया गया. तिब्बती समुदाय के लोगों ने बौद्ध मंदिर में विशेष प्रार्थना कर दलाई लामा की लंबी आयु की कामना की. इस दौरान तिब्बत होम्स ग्राउंड पर स्थानीय तिब्बतीय समुदाय के लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किया गया.
तिब्बत वुमन एसोसिएशन के अध्यक्ष नमंगे डौलकर और कैलसंग डोलमा ने बताया कि मसूरी में दलाई लामा की दीर्घायु के लिए विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस मौके पर तिब्बती समुदाय के लोगों ने सरकारी स्कूल में जाकर छात्र-छात्राओं को मिठाई बांटी और उन्हें उपहार दिए.
पढ़ें- जिन नेताओं की गुटबाजी से होती थी पार्टी की किरकिरी, आज वही कर रहे एक-दूसरे की तारीफ
भारत-तिब्बत सहयोग मंच के प्रदेश प्रभारी विजय रमोला ने कहा कि दलाई लामा का जन्मदिन सभी लोग बड़ी धूमधाम के साथ मनाते है. भारत हमेशा से तिब्बत समुदाय का हितैषी रहा है. भारत-तिब्बत सहयोग मंच का मानना है कि तिब्बत की सीमाएं सुरक्षित रहेगी तो भारत भी सुरक्षित रहेगा. क्योंकि, चीन लगातार तिब्बत की सीमाओं से भारत में घुसपैठ करने की कोशिश करता है.
दलाई लामा का इतिहास
बता दें कि 14वें दलाई लामा तेनजिन ग्यात्सो का जन्म 6 जुलाई 1935 को तिब्बत के आमदो क्षेत्र के तक्तसर गांव में एक किसान परिवार में हुआ था. इनका असली नाम ल्हामो दोंडुब है. जब ये दो साल के थे तभी इन्हें 13वें दलाई लामा थुबतेन ग्यात्सो का अवतार माना गया और कुछ समय बाद 14वां दलाई लामा घोषित कर दिया गया. छह वर्ष की उम्र से दलाई लामा को मठ की शिक्षा दी जाने लगी.
पढ़ें- खनन माफिया बेखौफ चीर रहे धरती का सीना, एक ट्रैक्टर ट्रॉली सीज
14वें दलाई लामा के रूप में वह 29 मई 2011 तक तिब्बात के राष्ट्राध्यक्ष रहे थे. इस दिन उन्होंने अपनी सारी शक्तियां तिब्बत की सरकार को दे दी थी और आज वह सिर्फ तिब्बती धर्मगुरु हैं. वर्ष 1949 में चीन ने तिब्बत पर हमला किया और इस हमले के एक वर्ष बाद यानी वर्ष 1950 में दलाई लामा से तिब्बत की राजनीतिक विरासत को संभालने के लिए अनुरोध किया गया.