देहरादून: उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. आए दिन साइबर क्रिमिनल नए-नए हथकंडे अपनाकर आम से लेकर खास तबके के लोगों को किसी न किसी तरह के जाल में फंसाकर ऑनलाइन साइबर ठगी का शिकार बना रहे हैं. देशभर में हाईटेक क्राइम के रूप में तेजी से फैलते हुए साइबर अपराध में अब सबसे बड़ी विडंबना इस बात की सामने आ रही है कि अब इसमें बैंक कर्मी भी खाताधारकों के अकाउंट में सेंधमारी कर लाखों की जमा पूंजी में डाका डालते नजर आ रहे हैं. उत्तराखंड में पिछले कुछ समय में लगभग आधा दर्जन से अधिक बैंक अधिकारी कर्मचारी साइबर क्रिमिनल के रूप में अपराध कर जेल जा चुके हैं. हाल के दिनों में देहरादून से लेकर दिल्ली तक के तीन बैंक मैनेजर खाताधारकों की इंटरनेट जानकारी जुटाकर 31 लाख से अधिक की धोखाधड़ी को अंजाम दे चुके हैं.
उत्तराखंड में बढ़े साइबर फ्रॉड के मामले: ऐसे में बात अगर बैंक खाताधारकों से धोखाधड़ी की करें तो आखिर जमा पूंजी और बचत के लिए लोग कहां अपनी पूंजी को सुरक्षित करें यह एक बड़ा सवाल है. उत्तराखंड में एक के बाद एक बैंक कर्मियों की साइबर ठगी को लेकर मामले सामने आ रहे हैं. हालांकि अब उत्तराखंड साइबर क्राइम और एसटीएफ पुलिस साइबर गिरोहों के साथ ही बैंकों पर भी इस अपराध के तहत शिकंजा कस रही है. ऐसे में बैंक फ्रॉड से कैसे बचे और इसके लिए किन-किन बातों का ग्राहक ध्यान रखें इसे लेकर ईटीवी भारत ने उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के सुपर कॉप डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा से विशेष बातचीत की.
इसे भी पढ़ें- उत्तराखंड में बढ़ते साइबर फ्रॉड को मामलों में एक्शन, पांच सालों में 27 करोड़ से अधिक की रिकवरी
बैंक कर्मी भी कर रहे फ्रॉड: ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए उत्तराखंड में साइबर क्राइम पर लंबे समय से Good work करने वाले डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि यह बेहद चिंता का विषय है कि अब साइबर क्रिमिनल की तरह कुछ बैंकर्स भी खाताधारकों की जमा पूंजी पर डाका डाल रहे हैं. इसका ताजा उदाहरण पिछले दिनों एक साथ देहरादून से लेकर दिल्ली तक के तीन बैंक मैनेजर के इस अपराध में सीधे तौर पर लिप्त होने के रूप में सामने आया. साइबर क्राइम अपराध में इससे पहले भारी तादात में बैंक कर्मियों और अधिकारियों की लापरवाही की बातें सामने आती थी, लेकिन अब जिस तरह से बैंक मैनेजर ही अपने व्यक्तिगत लाभ के चलते खाता धारकों की जमा पूंजी हड़प रहे हैं, यह चिंता का विषय है.
पासबुक में करें एंट्री: ऐसे में इसके लिए बैंक खाता धारकों को बेहद सतर्क होने की आवश्यकता है. जब भी पैसा जमा या निकाला जाये उसकी पासबुक एंट्री बेहद जरूरी है. साथ ही इस बात की भी निगरानी अवश्य करनी चाहिए कि जितने भी बैंक से लेनदेन होते हैं, उनकी नियमित रूप में पासबुक एंट्री अपडेट और खासकर मैसेज अलर्ट जरूर अपने पास रखिए. जिस खाताधारक के पास यह सुविधा नहीं है वो बैंक से अपने खाते में मोबाइल नंबर तत्काल अपडेट कर हर ट्रांजैक्शन के मैसेज पर अपडेट लेता रहे.
इसे भी पढ़ें- अब 1930 हुआ वित्तीय साइबर हेल्पलाइन नंबर, जानें ऑनलाइन ठगी से बचने के तरीके
अकाउंट से पैसे उड़ें तो ये करें: अगर बैंक से किसी तरह का फ्रॉड हो जाता है तो इसकी जानकारी तत्काल बैंक के संबंधित अधिकारी और उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस के फाइनेंशियल फ्रॉड हेल्पलाइन नंबर 1930 में देनी आवश्यक है. ताकि समय रहते जमा पूंजी को रिकवरी करने के लिए कार्रवाई की जा सके. अक्सर ऐसा देखा जाता है कि बैंक या अन्य तरफ से ऑनलाइन साइबर ठगी होने की काफी देर बाद शिकायत दर्ज कराई जाती है. जिसके कारण सबसे बड़ी समस्या धोखाधड़ी में गंवाई गई धनराशि को रिकवरी करने में आती है. साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक बैंक से किसी तरह का भी फ्रॉड होने पर तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 से साइबर क्राइम पुलिस को सूचना मिलेगी. उसके तत्काल बाद ही कार्रवाई शुरू हो जाएगी. उस क्राइम में बैंक कर्मी भी शामिल होता है तो उसे भी गिरफ्तार जेल भेजा जाएगा.
ऑनलाइन बैंकिंग एप के जरिए भी होती है साइबर ठगी: साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक वर्तमान समय में अधिकांश बैंक ऑनलाइन काम कर रहे हैं. इसमें ग्राहक को बैंक एप के जरिए ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधा मिलती है. बैंक के एप के जरिए भी साइबर क्रिमिनल सेंधमारी कर जमा पूंजी उड़ा ले जाते हैं. ऐसे में बैंक खाता धारक जब भी संबंधित बैंक का एप ऑनलाइन बैंकिंग के लिए डाउनलोड करें उसको अपने अधिकृत बैंक अधिकारी से पूछताछ कर ही डाउनलोड करें. अधिकांशतया ऐसा देखा जाता है कि लोग बैंक एप को गूगल, याहू, सर्च इंजन में जाकर डाउनलोड करते हैं. यह पूरी तरह से खतरनाक और असुरक्षित है.
पढ़ें- क्रेडिट कार्ड का बिल चुकाने को सैन्य कर्मी ने गूगल से लिया नंबर, कॉल करते ही उड़े साढ़े तीन लाख
एप डाउनलोड करने से पहले ये जान लें: वहीं, दूसरी तरफ रिजर्व बैंक की गाइडलाइन के अनुसार हर एक बैंक के ऑनलाइन एप को डाउनलोड करने के लिए कई तरह की सुरक्षित रहने वाली जानकारियां भी एप से संबंधित दी जाती हैं. मसलन संबंधित बैंक एप का ओरिजिनल Logo बैंक से जुड़े स्पेशल कंटेंट जैसे आवश्यक जानकारी वास्तविक एप की पहचान हैं. वहीं, बैंक के ऑरिजनल एप डाउनलोड करने में एक और जानकारी आवश्यक है जो बैंक की वास्तविक ऐप होगी उसकी डाउनलोड की संख्या हजारों और लाखों में होगी, जबकि फेक एप जो इंटरनेट सर्च इंजन से डाउनलोड होता है, उसकी संख्या महज 200-300 तक हो सकती है. ऐसे संबंधित ऑनलाइन बैंक एप डाउनलोड करने का तरीका बैंक जाकर ऑफिशल एप को डाउनलोड करने में सुरक्षा है.
प्रोडक्ट लोन एप से सावधान: ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड से बचने के साथ-साथ बाजार में इन दिनों प्रोडक्ट लोन एप की भरमार चल रही है. इंटरनेट के जरिए स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाले लोगों को बाजार से ऑनलाइन खरीदारी के लिए loan एप के लोक लुभावने ऑफर देकर लिंक भेजे जा रहे हैं. इस विषय को लेकर साइबर क्राइम कंट्रोल डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा बताते हैं कि बाजार में लोन के नाम पर एप देने वाले लोगों से बचना बेहद जरूरी है. तरह-तरह के ऑफर देकर जो लोन वाले एप आ रहे हैं, इनमें फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड भारी संख्या में हो रहे हैं.
वित्त मंत्रालय और आरबीआई को भेजी जा रही रिपोर्ट: वर्तमान में बैंक कर्मचारियों द्वारा साइबर फाइनेंशल फ्रॉड के मामलों की रिपोर्ट अब लगातार उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस द्वारा रिजर्व बैंक और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय को भेजी जा रही है. बैंक में खाताधारकों की जानकारी जुटाकर फ्रॉड करने वाले बैंक की पूरी रिपोर्ट भारत सरकार की संबंधित एजेंसी को भेजी जा रही है, ताकि बैंकों के क्रियाकलाप पर उच्च स्तर से कार्रवाई की जा सके. इतना ही नहीं लंबे समय से बैंक कर्मचारियों की लापरवाही व नेग्लिजेंस की वजह से होने वाले साइबर फ्रॉड की रिपोर्ट भी संबंधित बैंक के खिलाफ उच्च स्तर केंद्र में भेजे जा रहे हैं.