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Bulli Bai App: 18 से 21 साल के हैं गिरफ्तार चारों आरोपी, साइबर क्रिमिनल्स का टारगेट बने युवा

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Published : Jan 6, 2022, 8:11 PM IST

Updated : Jan 7, 2022, 3:58 PM IST

बुली बाई ऐप मामला देशभर में चर्चाओं में है. इस ऐप के जरिये मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी. इसमें उन मुस्लिम महिलाओं का नाम इस्तेमाल हो रहा था जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. इस मामले में अबतक कुल 4 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें से दो उत्तराखंड से हैं. ये दोनों ही 18 से 21 साल के युवा हैं. इस मामले में हाल के कुछ दिनों में साइबर अपराधों में युवाओं की बढ़ी सक्रियता पर सवाल उठाए हैं. आइए वो कारण जानते हैं जिस वजह से युवाओं को आधुनिक युग के इन अपराधों में धकेला जा रहा है...

bulli bai app case in Uttarakhand
उत्तराखंड से जुड़े बुली बाई ऐप मामले के तार.

देहरादून: देशभर में चर्चा का केंद्र बने मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले बुली बाई ऐप मामले के तार उत्तराखंड (bulli bai app case uttarakhand connection) से भी जुड़े हैं. मामले में बुधवार तड़के उत्तराखंड के कोटद्वार से मयंक रावत (21) को गिरफ्तार किया गया है जबकि एक दिन पहले ही रुद्रपुर से श्वेता सिंह (18) को मुंबई साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इससे पहले इंजीनियरिंग के एक छात्र विशाल कुमार झा (21) को सोमवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में मुंबई स्पेशल सेल ने चौथी गिरफ्तारी करते हुए कथित मास्टरमाइंड 21 साल के नीरज बिश्नोई को भी पकड़ा है. इन गिरफ्तारियों पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि सभी आरोपी 18 से 21 साल के युवा हैं. अब सवाल ये उठता है कि जिस उम्र में इन युवाओं को अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर भविष्य मजबूत करना चाहिए उस उम्र में ये लोग अपराध की दुनिया में एंट्री ले चुके हैं.

युवा हैं सॉफ्ट टारगेट: साइबर क्राइम में युवाओं की बढ़ती सक्रियता को अधिक समझने के लिए ईटीवी भारत से उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस कॉप डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने विशेष बातचीत की. अंकुश मिश्रा ने बताया कि, बुली बाई ऐप जैसा कोई साइबर क्राइम तो उत्तराखंड में अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन हर दिन राज्यभर से दर्जनों अलग-अलग किस्म के साइबर क्राइम की शिकायतें सामने आती हैं. जैसे- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने से लेकर चेहरों को एडिट कर अश्लील वीडियो व फोटोग्राफ्स सहित नए-नए तरीकों से फाइनेंशियल फ्रॉड जैसे मामले.

डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि, साइबर क्राइम में इस्तेमाल होने वाले कोई ऐप वेबसाइट या लिंक से जो भी अपराध हो रहे हैं उसमें अधिकतर इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट टारगेट कॉलेज छात्र, युवा और स्कूली छात्र-छात्राएं होते हैं. ये इसलिए होता है क्योंकि यही वर्ग सबसे ज्यादा इंटरनेट डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहता है और उन्हें साइबर की दुनिया में होने वाले अपराध का अंदाजा नहीं होता. ऐसे में उनका तरह-तरह से ब्रेनवॉश या कन्वेंशन कर इस तरह के ऑनलाइन साइबर क्राइम में इस्तेमाल करना आसान होता है.

उत्तराखंड से जुड़े बुली बाई ऐप मामले के तार.

पढ़ें- Bulli Bai App: उत्तराखंड से हुई दूसरी गिरफ्तारी से मचा हड़कंप, मुंबई पुलिस ने कोटद्वार से छात्र को पकड़ा

सोशल मीडिया पर बढ़ी सक्रियता बनी वजह: उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के अनुसार, सोशल मीडिया में क्या कंटेंट शेयर करना है और क्या नहीं, इसका अंदाजा युवा पीढ़ी को जागरुकता की कमी की वजह से नहीं होता है. आज के समय में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिन रात युवा वर्ग सक्रिय रहता है. इसी का फायदा उठाकर साइबर क्राइम से जुड़े लोग आसानी से उन्हें अपनी जाल में फंसा लेते हैं.

दूसरी तरफ युवा वर्ग से ऊपर वाले उम्रदराज लोग फिर भी अपने जीवन के अनुभव के मुताबिक सोशल मीडिया में होने वाले क्राइम को लेकर अधिक जागरुक हैं. यही वजह है कि इस वर्ग के लोग किसी भी पोस्ट या कंटेंट को फॉरवर्ड करने से पहले सत्यापन और जानकारी लेने वाली बातचीत कर ऐसे क्राइम खुद को बचा लेते हैं.

विवादित कंटेट से बचें: डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि, सभी वर्ग के लोगों को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर जागरुक होना पड़ेगा. किसी भी विवादित कंटेंट, भावनाओं को भड़काने व धर्म समुदाय या किसी के भी व्यक्तिगत जीवन से जुड़े मामलों में ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट या संदेश से बचना होगा. वर्ना यह बहुत भारी पड़ सकता है.

उत्तराखंड में पोर्नोग्राफी वेबसाइट ज्यादा प्रचलित: बुली बाई ऐप (Bulli Bai App case) की तर्ज पर होने वाले अन्य तरह साइबर क्राइम को लेकर उत्तराखंड साइबर क्राइम के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा बताते हैं कि राज्य में पोर्नोग्राफी से जुड़ी क्राइम की कई शिकायतें आती हैं. देहरादून साइबर क्राइम पुलिस के पास पोर्नोग्राफी टिप लाइन करके एक सिस्टम है, जिसके जरिये किसी के भी व्यक्तिगत चेहरे या वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर पोर्नोग्राफी जैसे मामले को पकड़ने में उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस देश के चौथे स्थान पर है. इस तरह के ऐप और वेबसाइट में किसी की भी व्यक्तिगत छवि को बिगाड़ने के प्रयास में कई तरह शिकायतों पर देहरादून साइबर क्राइम पुलिस ने बड़ी संख्या में आती है. इन मामलों में दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की गई है.

पढ़ें- Bulli Bai App : गिरफ्तार हुए आरोपी छात्र को यूनिवर्सिटी ने किया सस्पेंड

काउंसलिंग जरूरी: ऐसे मामलों में लोगों को साइबर अपराध से बाहर लाने के लिए काउंसलिंग की आवश्यकता होती है. दूसरी ओर इस तरह के अपराध से पैसा बनाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है. साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक आज के दौर में सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर बेहद जागरूक होकर उसे इस्तेमाल करने की आवश्यकता है. ऐसे में किसी भी तरह के विवादित पोस्ट, भड़काऊ संदेश या अन्य तरह की अश्लील फोटो वीडियो संचालित करने वाले ऐप और वेबसाइट के लोगों से बचना चाहिए. वर्ना जागरूकता की कमी के कारण जेल की हवा खाना पड़ सकता है.

क्या है बुली बाई ऐप मामला: पिछले कुछ दिनों से देश में बुली बाई (Bulli Bai app case) की चर्चा खूब हो रही है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर क्या है यह बुली बाई ऐप और क्यों इसे लेकर इतना बखेड़ा खड़ा हो रहा है. बुली बाई एप (Bulli Bai app) गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) या ऐप स्टोर (App Store) पर नहीं मिलता. यह गिटहब (Github) नाम के प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.

आसान शब्दों में कहें तो यहां मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी. जब आप इस ऐप को ओपन करते हैं तो स्क्रीन पर मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) का चेहरा नजर आता है, जिसे बुली बाई नाम दिया गया है. इसमें उन मुस्लिम महिलाओं का नाम यूज किया जा रहा है जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. इन मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को प्राइसटैग (Muslim Women Bidding) के साथ साझा किया गया है.

यही नहीं, बुली बाई नाम के एक ट्विटर (Twitter) हैंडल से इसे प्रमोट भी किया जा रहा था. इस हैंडल पर मुस्लिम महिलाओं को बुक करने की भी बात लिखी गई थी. हालांकि भारत सरकार (Indian Government) के दखल के बाद अब इस ऐप (App) और इस ट्विटर हैंडल (Twitter handle) को हटा दिया गया है.

गिटहब (Github) क्या है: बुली बाई ऐप गिटहब (Github) प्लेटफॉर्म पर ही मौजूद था. ऐसे में यहां ये भी समझना जरूरी है कि आखिर गिटहब क्या है. गिटहब एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म (Open Source Platform) है और यह अपने यूजर्स को कोई भी ऐप क्रिएट करने और उन्हें शेयर करने का ऑप्शन देता है. आप यहां पर्सनल या प्रोफेशनल किसी भी तरह का ऐप शेयर करने के साथ ही उसे बेच भी सकते हैं.

सुल्ली डील्स की तरह बुली बाई: अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उस हिसाब से बुली बाई ऐप बिल्कुल सुल्ली डील्स (Sulli Deals) की तरह है. सुल्ली डील्स पिछले साल सुर्खियों में आया था. उसमें भी मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों का मिसयूज किया गया था. खास बात ये है कि सुल्ली डील्स को भी गिटहब प्लेटफॉर्म पर ही चलाया गया था. हालांकि शिकायत मिलते ही दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की थी और एक बार फिर बुली बाई ऐप मामले में भी दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई है. पुलिस ने गिटहब से इसे बनाने वाले की जानकारी मांगी है. साथ ही ट्विटर से उस अकाउंट की डिटेल मांगी गई है, जिसने पहली बार इसे ट्वीट किया था.

देहरादून: देशभर में चर्चा का केंद्र बने मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाने वाले बुली बाई ऐप मामले के तार उत्तराखंड (bulli bai app case uttarakhand connection) से भी जुड़े हैं. मामले में बुधवार तड़के उत्तराखंड के कोटद्वार से मयंक रावत (21) को गिरफ्तार किया गया है जबकि एक दिन पहले ही रुद्रपुर से श्वेता सिंह (18) को मुंबई साइबर क्राइम पुलिस ने गिरफ्तार किया था. इससे पहले इंजीनियरिंग के एक छात्र विशाल कुमार झा (21) को सोमवार को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में मुंबई स्पेशल सेल ने चौथी गिरफ्तारी करते हुए कथित मास्टरमाइंड 21 साल के नीरज बिश्नोई को भी पकड़ा है. इन गिरफ्तारियों पर गौर करेंगे तो देखेंगे कि सभी आरोपी 18 से 21 साल के युवा हैं. अब सवाल ये उठता है कि जिस उम्र में इन युवाओं को अपनी पढ़ाई और करियर पर ध्यान केंद्रित कर भविष्य मजबूत करना चाहिए उस उम्र में ये लोग अपराध की दुनिया में एंट्री ले चुके हैं.

युवा हैं सॉफ्ट टारगेट: साइबर क्राइम में युवाओं की बढ़ती सक्रियता को अधिक समझने के लिए ईटीवी भारत से उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस कॉप डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने विशेष बातचीत की. अंकुश मिश्रा ने बताया कि, बुली बाई ऐप जैसा कोई साइबर क्राइम तो उत्तराखंड में अभी तक सामने नहीं आया है लेकिन हर दिन राज्यभर से दर्जनों अलग-अलग किस्म के साइबर क्राइम की शिकायतें सामने आती हैं. जैसे- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने से लेकर चेहरों को एडिट कर अश्लील वीडियो व फोटोग्राफ्स सहित नए-नए तरीकों से फाइनेंशियल फ्रॉड जैसे मामले.

डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि, साइबर क्राइम में इस्तेमाल होने वाले कोई ऐप वेबसाइट या लिंक से जो भी अपराध हो रहे हैं उसमें अधिकतर इस्तेमाल होने वाले सॉफ्ट टारगेट कॉलेज छात्र, युवा और स्कूली छात्र-छात्राएं होते हैं. ये इसलिए होता है क्योंकि यही वर्ग सबसे ज्यादा इंटरनेट डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहता है और उन्हें साइबर की दुनिया में होने वाले अपराध का अंदाजा नहीं होता. ऐसे में उनका तरह-तरह से ब्रेनवॉश या कन्वेंशन कर इस तरह के ऑनलाइन साइबर क्राइम में इस्तेमाल करना आसान होता है.

उत्तराखंड से जुड़े बुली बाई ऐप मामले के तार.

पढ़ें- Bulli Bai App: उत्तराखंड से हुई दूसरी गिरफ्तारी से मचा हड़कंप, मुंबई पुलिस ने कोटद्वार से छात्र को पकड़ा

सोशल मीडिया पर बढ़ी सक्रियता बनी वजह: उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के अनुसार, सोशल मीडिया में क्या कंटेंट शेयर करना है और क्या नहीं, इसका अंदाजा युवा पीढ़ी को जागरुकता की कमी की वजह से नहीं होता है. आज के समय में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिन रात युवा वर्ग सक्रिय रहता है. इसी का फायदा उठाकर साइबर क्राइम से जुड़े लोग आसानी से उन्हें अपनी जाल में फंसा लेते हैं.

दूसरी तरफ युवा वर्ग से ऊपर वाले उम्रदराज लोग फिर भी अपने जीवन के अनुभव के मुताबिक सोशल मीडिया में होने वाले क्राइम को लेकर अधिक जागरुक हैं. यही वजह है कि इस वर्ग के लोग किसी भी पोस्ट या कंटेंट को फॉरवर्ड करने से पहले सत्यापन और जानकारी लेने वाली बातचीत कर ऐसे क्राइम खुद को बचा लेते हैं.

विवादित कंटेट से बचें: डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा ने बताया कि, सभी वर्ग के लोगों को सोशल मीडिया के दुरुपयोग को लेकर जागरुक होना पड़ेगा. किसी भी विवादित कंटेंट, भावनाओं को भड़काने व धर्म समुदाय या किसी के भी व्यक्तिगत जीवन से जुड़े मामलों में ठेस पहुंचाने वाले पोस्ट या संदेश से बचना होगा. वर्ना यह बहुत भारी पड़ सकता है.

उत्तराखंड में पोर्नोग्राफी वेबसाइट ज्यादा प्रचलित: बुली बाई ऐप (Bulli Bai App case) की तर्ज पर होने वाले अन्य तरह साइबर क्राइम को लेकर उत्तराखंड साइबर क्राइम के डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा बताते हैं कि राज्य में पोर्नोग्राफी से जुड़ी क्राइम की कई शिकायतें आती हैं. देहरादून साइबर क्राइम पुलिस के पास पोर्नोग्राफी टिप लाइन करके एक सिस्टम है, जिसके जरिये किसी के भी व्यक्तिगत चेहरे या वीडियो के साथ छेड़छाड़ कर पोर्नोग्राफी जैसे मामले को पकड़ने में उत्तराखंड साइबर क्राइम पुलिस देश के चौथे स्थान पर है. इस तरह के ऐप और वेबसाइट में किसी की भी व्यक्तिगत छवि को बिगाड़ने के प्रयास में कई तरह शिकायतों पर देहरादून साइबर क्राइम पुलिस ने बड़ी संख्या में आती है. इन मामलों में दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की गई है.

पढ़ें- Bulli Bai App : गिरफ्तार हुए आरोपी छात्र को यूनिवर्सिटी ने किया सस्पेंड

काउंसलिंग जरूरी: ऐसे मामलों में लोगों को साइबर अपराध से बाहर लाने के लिए काउंसलिंग की आवश्यकता होती है. दूसरी ओर इस तरह के अपराध से पैसा बनाने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाती है. साइबर क्राइम पुलिस डिप्टी एसपी अंकुश मिश्रा के मुताबिक आज के दौर में सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर बेहद जागरूक होकर उसे इस्तेमाल करने की आवश्यकता है. ऐसे में किसी भी तरह के विवादित पोस्ट, भड़काऊ संदेश या अन्य तरह की अश्लील फोटो वीडियो संचालित करने वाले ऐप और वेबसाइट के लोगों से बचना चाहिए. वर्ना जागरूकता की कमी के कारण जेल की हवा खाना पड़ सकता है.

क्या है बुली बाई ऐप मामला: पिछले कुछ दिनों से देश में बुली बाई (Bulli Bai app case) की चर्चा खूब हो रही है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर क्या है यह बुली बाई ऐप और क्यों इसे लेकर इतना बखेड़ा खड़ा हो रहा है. बुली बाई एप (Bulli Bai app) गूगल प्ले स्टोर (Google Play Store) या ऐप स्टोर (App Store) पर नहीं मिलता. यह गिटहब (Github) नाम के प्लेटफॉर्म पर मौजूद है.

आसान शब्दों में कहें तो यहां मुस्लिम महिलाओं की बोली लगाई जा रही थी. जब आप इस ऐप को ओपन करते हैं तो स्क्रीन पर मुस्लिम महिलाओं (Muslim Women) का चेहरा नजर आता है, जिसे बुली बाई नाम दिया गया है. इसमें उन मुस्लिम महिलाओं का नाम यूज किया जा रहा है जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव हैं. इन मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों को प्राइसटैग (Muslim Women Bidding) के साथ साझा किया गया है.

यही नहीं, बुली बाई नाम के एक ट्विटर (Twitter) हैंडल से इसे प्रमोट भी किया जा रहा था. इस हैंडल पर मुस्लिम महिलाओं को बुक करने की भी बात लिखी गई थी. हालांकि भारत सरकार (Indian Government) के दखल के बाद अब इस ऐप (App) और इस ट्विटर हैंडल (Twitter handle) को हटा दिया गया है.

गिटहब (Github) क्या है: बुली बाई ऐप गिटहब (Github) प्लेटफॉर्म पर ही मौजूद था. ऐसे में यहां ये भी समझना जरूरी है कि आखिर गिटहब क्या है. गिटहब एक ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म (Open Source Platform) है और यह अपने यूजर्स को कोई भी ऐप क्रिएट करने और उन्हें शेयर करने का ऑप्शन देता है. आप यहां पर्सनल या प्रोफेशनल किसी भी तरह का ऐप शेयर करने के साथ ही उसे बेच भी सकते हैं.

सुल्ली डील्स की तरह बुली बाई: अभी तक जो जानकारी सामने आई है, उस हिसाब से बुली बाई ऐप बिल्कुल सुल्ली डील्स (Sulli Deals) की तरह है. सुल्ली डील्स पिछले साल सुर्खियों में आया था. उसमें भी मुस्लिम महिलाओं की तस्वीरों का मिसयूज किया गया था. खास बात ये है कि सुल्ली डील्स को भी गिटहब प्लेटफॉर्म पर ही चलाया गया था. हालांकि शिकायत मिलते ही दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई की थी और एक बार फिर बुली बाई ऐप मामले में भी दिल्ली पुलिस सक्रिय हो गई है. पुलिस ने गिटहब से इसे बनाने वाले की जानकारी मांगी है. साथ ही ट्विटर से उस अकाउंट की डिटेल मांगी गई है, जिसने पहली बार इसे ट्वीट किया था.

Last Updated : Jan 7, 2022, 3:58 PM IST
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