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देवभूमि में तेजी से पैर फैला रहा CYBER CRIME, जानें 2019 के आंकड़े

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Published : Dec 24, 2019, 7:02 AM IST

Updated : Dec 24, 2019, 8:06 AM IST

साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं.

Dehradun news
देवभूमि में तेजी से पैर फैला रहा साइबर क्राइम.

देहरादून: देवभूमि अपनी शांत फिजा के लिए जानी जाती है. लेकिन विगत वर्षों से प्रदेश में लगातार अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. वहीं बढ़ते अपराधों को रोकना पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहा हैं. इसकी तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं. साल दर साल अपराध घटने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कब साइबर क्राइम से प्रदेश मुक्त होगा?

देवभूमि में तेजी से पैर फैला रहा साइबर क्राइम.
क्या है साइबर क्राइम
साल 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं. साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानि इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें-निजी दौरे पर मसूरी पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मीडिया से बनाई दूरी

उत्तराखंड पुलिस हुई हाई टेक

यहीं कारण है कि जैसे-जैसे देश और दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर क्राइम के मामले भी लगातार बढ़ रहे है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस भी हाई टेक हुई है. इसके लिए उत्तराखंड में साइबर थाने भी खोला गया है.

जागरुकता की कमी

साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. जागरुकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं. जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.

संसाधनों का अभाव

साइबर अपराध से लड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इसी वजह से प्रदेश में साइबर थाना भी खोला गया था. लेकिन संसाधनों के अभाव और पुलिस कर्मियों में दक्षता की कमी के कारण ये उतने कारगर रुप से काम नहीं कर पा रहे है.

साइबर क्राइम पुलिस की कमान संभाल रही डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती हैं कि आज साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोगों में जागरूकता की कमी है. इसके अलावा अन्य कारणों के चलते रिपोर्ट लिखाने में पीड़ित पक्ष कोताही बरतते हैं. जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार हुए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. ताकि पुलिस उन लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे और इस तरह के अपराधों पर लगाम लगा सके.

OLX के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी

डीआईजी अग्रवाल के मुताबकि हाल फिलहाल में ओएलएक्स (OLX) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है. साइबर ठग आसानी से OLX पर सामान दिखाकर लोगों के साथ ठगी कर लेते है. दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे कई राज्यों में ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं.

ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी

ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के साथ खूब ठगी की जा रही है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किसी के मोबाइल पर ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई लिंक भेजते है. जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिंक करता है. बैंक अकाउंट की सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है और वे उसके खाते से सारे पैसे निकाल लेते है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक को क्लिंक न करें, जिसके बारे में आपको पता न हो.

नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय

डीआईजी अग्रवाल ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ई-मेल समेत अन्य सोशल मीडिया पर नाइजीरियन गिरोह लंबे सयम से सक्रिय है. इस गिरोह के निशाने पर ज्यादातर महिलाएं होती है. पहले ये गिरोह सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती करता है. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें लोक लुभावनी बातों में फंसाकर उनसे पैसे निकलवाता है. उत्तराखंड पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

2015 से लेकर 2019 तक सोशल मीडिया पर साइबर ठगी के मामले

साल मुकदमों की संख्या

  • 2015 में 35
  • 2016 में 63
  • 2017 में 79
  • 2018 में 87
  • 2019 में अबतक 89


पांच सालों में एटीएम से ठगी के मामले

  • 2015- 24
  • 2016- 23
  • 2017- 219
  • 2018- 214
  • 2019 में अबतक 89



5 सालों में इंटरनेट हैकिंग के मामले

  • 2015- 2
  • 2016- 6
  • 2017- 5
  • 2018- 7
  • 2019 में अबतक 7


साइबर क्राइम ने अन्य मामले

  • 2015- 5
  • 2016- 8
  • 2017- 35
  • 2018- 21
  • 2019 में अबतक 33

देहरादून: देवभूमि अपनी शांत फिजा के लिए जानी जाती है. लेकिन विगत वर्षों से प्रदेश में लगातार अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. वहीं बढ़ते अपराधों को रोकना पुलिस के लिए चुनौती बनते जा रहा हैं. इसकी तस्दीक आंकड़े कर रहे हैं. साल दर साल अपराध घटने की बजाय बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर कब साइबर क्राइम से प्रदेश मुक्त होगा?

देवभूमि में तेजी से पैर फैला रहा साइबर क्राइम.
क्या है साइबर क्राइमसाल 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं. साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानि इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.

पढ़ें-निजी दौरे पर मसूरी पहुंची राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मीडिया से बनाई दूरी

उत्तराखंड पुलिस हुई हाई टेक

यहीं कारण है कि जैसे-जैसे देश और दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर क्राइम के मामले भी लगातार बढ़ रहे है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस भी हाई टेक हुई है. इसके लिए उत्तराखंड में साइबर थाने भी खोला गया है.

जागरुकता की कमी

साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. जागरुकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं. जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.

संसाधनों का अभाव

साइबर अपराध से लड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इसी वजह से प्रदेश में साइबर थाना भी खोला गया था. लेकिन संसाधनों के अभाव और पुलिस कर्मियों में दक्षता की कमी के कारण ये उतने कारगर रुप से काम नहीं कर पा रहे है.

साइबर क्राइम पुलिस की कमान संभाल रही डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती हैं कि आज साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोगों में जागरूकता की कमी है. इसके अलावा अन्य कारणों के चलते रिपोर्ट लिखाने में पीड़ित पक्ष कोताही बरतते हैं. जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार हुए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. ताकि पुलिस उन लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे और इस तरह के अपराधों पर लगाम लगा सके.

OLX के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी

डीआईजी अग्रवाल के मुताबकि हाल फिलहाल में ओएलएक्स (OLX) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है. साइबर ठग आसानी से OLX पर सामान दिखाकर लोगों के साथ ठगी कर लेते है. दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे कई राज्यों में ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं.

ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी

ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के साथ खूब ठगी की जा रही है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किसी के मोबाइल पर ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई लिंक भेजते है. जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिंक करता है. बैंक अकाउंट की सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है और वे उसके खाते से सारे पैसे निकाल लेते है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक को क्लिंक न करें, जिसके बारे में आपको पता न हो.

नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय

डीआईजी अग्रवाल ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ई-मेल समेत अन्य सोशल मीडिया पर नाइजीरियन गिरोह लंबे सयम से सक्रिय है. इस गिरोह के निशाने पर ज्यादातर महिलाएं होती है. पहले ये गिरोह सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती करता है. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें लोक लुभावनी बातों में फंसाकर उनसे पैसे निकलवाता है. उत्तराखंड पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

2015 से लेकर 2019 तक सोशल मीडिया पर साइबर ठगी के मामले

साल मुकदमों की संख्या

  • 2015 में 35
  • 2016 में 63
  • 2017 में 79
  • 2018 में 87
  • 2019 में अबतक 89


पांच सालों में एटीएम से ठगी के मामले

  • 2015- 24
  • 2016- 23
  • 2017- 219
  • 2018- 214
  • 2019 में अबतक 89



5 सालों में इंटरनेट हैकिंग के मामले

  • 2015- 2
  • 2016- 6
  • 2017- 5
  • 2018- 7
  • 2019 में अबतक 7


साइबर क्राइम ने अन्य मामले

  • 2015- 5
  • 2016- 8
  • 2017- 35
  • 2018- 21
  • 2019 में अबतक 33
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देहरादून: देवभूमि में लगातार बढ़ते साइबर क्राइम के मामले पुलिस के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं. साइबर क्राइम का ग्राफ बढ़ता जा रहा है. तमाम नई टेक्नोलॉजी के बावजूद साइबर क्राइम से पार पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है. साल 2015 से लेकर 2019 तक के आंकड़ों पर नजर डाले तो उत्तराखंड में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं.

क्या है साइबर क्राइम

साइबर क्राइम को कम्प्यूटर क्राइम के नाम से भी जाना जाता है. कम्प्यूटर्स और इंटरनेट से की गई किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधियां साइबर क्राइम की श्रेणी में आती हैं. कॉल स्पूफिंग यानि इंटरनेट के जरिए दूसरों के मोबाइल और लैंडलाइन नंबर की फेक कॉल के माध्यम से किसी को परेशान करना भी साइबर अपराध के दायरे में आता है. इसके अलावा सरकारी या महत्वपूर्ण कारोबारी दस्तावेजों या फिर किसी की निजी जानकारी को इंटरनेट और कम्प्यूटर के माध्यम से चुराना भी साइबर अपराध की श्रेणी में आता है.

उत्तराखंड पुलिस हुई हाई टेक

यहीं कारण है कि जैसे-जैसे देश और दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल बढ़ रहा है वैसे ही साइबर क्राइम के मामले भी लगातार बढ़ रहे है. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए उत्तराखंड पुलिस भी हाई टेक हुई है. इसके लिए उत्तराखंड में साइबर थाने भी खोला गया है.

जागरुकता की कमी

साइबर अपराध के बढ़ते ग्राफ की एक प्रमुख वजह लोगों में जागरुकता की कमी है. जागरुकता के अभाव में हर तबके के लोग आए दिन बड़ी आसानी से साइबर क्राइम का शिकार हो जाते हैं. जानकारों की माने तो आने वाले दिनों में साइबर अपराध और तेजी के साथ पैर पसारेगा.

संसाधनों का अभाव

साइबर अपराध से लड़ने के लिए उत्तराखंड पुलिस लगातार प्रयास कर रही है. इसी वजह से प्रदेश में साइबर थाना भी खोला गया था. लेकिन संसाधनों के अभाव और पुलिस कर्मियों में दक्षता की कमी के कारण ये उतने कारगर रुप से काम नहीं कर पा रहे है.

साइबर क्राइम पुलिस की कमान संभाल रही डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल कहती हैं कि आज साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन इन मामलों में ठगी के शिकार लोगों में जागरूकता की कमी है. इसके अलावा अन्य कारणों के चलते रिपोर्ट लिखाने में पीड़ित पक्ष कोताही बरतते हैं. जबकि किसी भी तरह के ठगी के शिकार हुए व्यक्ति को तत्काल नजदीकी थाने या फिर साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज करानी चाहिए. ताकि पुलिस उन लोगों तक जल्द से जल्द पहुंचे और इस तरह के अपराधों पर लगाम लगा सके.

OLX के नाम पर हुई सबसे ज्यादा ठगी

डीआईजी अग्रवाल के मुताबकि हाल फिलहाल में ओएलएक्स (OLX) के माध्यम से सबसे ज्यादा ठगी हुई है. साइबर ठग आसानी से OLX पर सामान दिखाकर लोगों के साथ ठगी कर लेते है. दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार जैसे कई राज्यों में ओएलएक्स के माध्यम से ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं.

ऑनलाइन शॉपिंग में पेमेंट लिंक के नाम पर ठगी

ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर भी लोगों के साथ खूब ठगी की जा रही है. आपराधिक प्रवृत्ति के लोग किसी के मोबाइल पर ऑनलाइन शॉपिंग के नाम पर कई लिंक भेजते है. जैसे ही कोई व्यक्ति उस लिंक पर क्लिंक करता है. बैंक अकाउंट की सारी जानकारी उन तक पहुंच जाती है और वे उसके खाते से सारे पैसे निकाल लेते है. पुलिस के मुताबिक, ऐसे किसी भी अनजान या संदिग्ध लिंक को क्लिंक न करें, जिसके बारे में आपको पता न हो.

नाइजीरियन साइबर ठग लंबे समय से सक्रिय

डीआईजी अग्रवाल ने बताया कि फेसबुक, व्हाट्सएप और ई-मेल समेत अन्य सोशल मीडिया पर नाइजीरियन गिरोह लंबे सयम से सक्रिय है. इस गिरोह के निशाने पर ज्यादातर महिलाएं होती है. पहले ये गिरोह सोशल मीडिया पर उससे दोस्ती करता है. उसके बाद धीरे-धीरे उन्हें लोक लुभावनी बातों में फंसाकर उनसे पैसे निकलवाता है. उत्तराखंड पुलिस इस गिरोह के सदस्यों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है.

2015 से लेकर 2019 तक सोशल मीडिया पर साइबर ठगी के मामले

साल    मुकदमों की संख्या

2015    35

2016    63

2017    79

2018    87

2019 में अब तक    89

पांच सालों में एटीएम से ठगी के मामले

2015    24

2016    23

2017    219

2018    214

2019 में अबतक    89

5 सालों में इंटरनेट हैकिंग के मामले

2015    2

2016    6

2017    5

2018    7

2019 में अब तक    7

साइबर क्राइम ने अन्य मामले

2015    5

2016    8

2017    35

2018    21

2019 में अब तक    33


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Last Updated : Dec 24, 2019, 8:06 AM IST
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