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उत्तराखंडः कुपोषित हुई मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना, राशन की दुकानों में शिकायतों का अंबार

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Published : Feb 24, 2020, 2:46 PM IST

सूबे की जनता को सस्ते दामों में दाल उपलब्ध करवाने के लिए मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का शुभारंभ किया गया, लेकिन आज ये योजना बदहाली का हाल रो रही है.

chief minister pulses nutrition scheme
कुपोषित हुई मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना

देहरादून: लोगों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का शुभारंभ तो कर दिया गया. लेकिन सूबे में चार महीने भी ये योजना पूरी तरह से काम नहीं कर पाई. दरअसल, सस्ते गल्ले की दुकानों में कई बार लोगों को सस्ती दाल तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसके लिए शिकायतें शासन तक पहुंच रही हैं.

कुपोषित हुई मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना

मामला मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का है. जिसमें योजना के शुरू हुए मात्र चार महीने में ही लोगों की शिकायतें सस्ते गल्ले की दुकानों में दाल न मिलने को लेकर शुरू हो गई हैं. बता दें कि सितंबर 2019 में मुख्यमंत्री ने इस योजना का शुभारंभ किया था और तब से चार महीनों में लगातार दुकानों में सस्ती दाल न मिल पाने की शिकायतें आ रही हैं. कई सस्ते-गल्ले की दुकानों में तो दो महीने में एक बार ही दाल ग्राहकों को दी जा रही है.

ये भी पढ़ें: बीजेपी नेता ने लगाई न्याय की गुहार, कहा- नहीं मिला इंसाफ तो कर लूंगा परिवार समेत आत्महत्या

खाद्य सचिव सुशील कुमार भी इस बात को मान रहे हैं कि लोगों की तरफ से दालें उपलब्ध न होने को लेकर शिकायतें मिल रही हैं. हालांकि उन्होंने विभाग का बचाव करते हुए कहा कि सभी 13 जिलों में दालों के उठान का काम करवाया जा रहा है. साथ ही राशन डीलर को भी इस योजना को सही से लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं.

देहरादून: लोगों में प्रोटीन की कमी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का शुभारंभ तो कर दिया गया. लेकिन सूबे में चार महीने भी ये योजना पूरी तरह से काम नहीं कर पाई. दरअसल, सस्ते गल्ले की दुकानों में कई बार लोगों को सस्ती दाल तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है. इसके लिए शिकायतें शासन तक पहुंच रही हैं.

कुपोषित हुई मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना

मामला मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना का है. जिसमें योजना के शुरू हुए मात्र चार महीने में ही लोगों की शिकायतें सस्ते गल्ले की दुकानों में दाल न मिलने को लेकर शुरू हो गई हैं. बता दें कि सितंबर 2019 में मुख्यमंत्री ने इस योजना का शुभारंभ किया था और तब से चार महीनों में लगातार दुकानों में सस्ती दाल न मिल पाने की शिकायतें आ रही हैं. कई सस्ते-गल्ले की दुकानों में तो दो महीने में एक बार ही दाल ग्राहकों को दी जा रही है.

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खाद्य सचिव सुशील कुमार भी इस बात को मान रहे हैं कि लोगों की तरफ से दालें उपलब्ध न होने को लेकर शिकायतें मिल रही हैं. हालांकि उन्होंने विभाग का बचाव करते हुए कहा कि सभी 13 जिलों में दालों के उठान का काम करवाया जा रहा है. साथ ही राशन डीलर को भी इस योजना को सही से लोगों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं.

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