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करोड़ों के ऑडोटोरियम पर लटक रहा ताला, पहाड़ी लुक के चक्कर में रुका उद्घाटन

सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ऑडोटोरियम तो बना दिया गया लेकिन अभी तक इसका उद्घाटन नहीं हो सका.

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Published : Nov 21, 2019, 11:03 PM IST

देहरादूनः संस्कृति विभाग के करोड़ों की लागत से बने ऑडिटोरियम पर ताला लटका हुआ है. न तो इसका शुभारंभ किया जा रहा है और न ही इसको शुरू करने के लिए कोई तारीख ही तय की गई है. नतीजतन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए संस्कृति कर्मियों को दूसरे संस्थानों का मुंह ताकना पड़ रहा है.

बता दें कि शहर के बीचों-बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ऑडोटोरियम तो बना दिया गया लेकिन इसका निर्माण होने के लंबे समय बाद भी इसको खोला नहीं जा सका है. दरअसल उत्तराखंड संस्कृति साहित्य कला परिषद के कार्यालय परिसर में ही ऑडिटोरियम का निर्माण करवाया गया है.

ताले में बंद करोड़ों का ऑडोटोरियम

ये भी पढ़ेंःई-कैबिनेट शुरू होने में अभी लगेगा वक्त, चल रही हैं तैयारियां

वहीं, साल 2011 से ऑडोटोरियम का काम शुरू हुआ जोकि 1 साल पहले ही पूरा कर लिया गया था. लेकिन इसके बाहर के निर्माण को पहाड़ी लुक देने की कोशिश के चलते अब तक न तो इस पर कोई काम हो पाया है, न ही तैयार ऑडोटोरियम से ताला ही हट सका. वहीं, इसके निर्माण में चार करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च हुई है.

मामले में निदेशक संस्कृति बीना भट्ट ने बताया कि संस्कृति विभाग खुद इस ऑडिटोरियम के शुभारंभ को लेकर उत्सुक है, लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इसके बाहरी इलाके को पहाड़ी लुक देने के प्रयास के तहत फिलहाल डीपीआर तैयार की गई है. ऐसे में अब निर्णय शासन स्तर पर होना है.

देहरादूनः संस्कृति विभाग के करोड़ों की लागत से बने ऑडिटोरियम पर ताला लटका हुआ है. न तो इसका शुभारंभ किया जा रहा है और न ही इसको शुरू करने के लिए कोई तारीख ही तय की गई है. नतीजतन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए संस्कृति कर्मियों को दूसरे संस्थानों का मुंह ताकना पड़ रहा है.

बता दें कि शहर के बीचों-बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ऑडोटोरियम तो बना दिया गया लेकिन इसका निर्माण होने के लंबे समय बाद भी इसको खोला नहीं जा सका है. दरअसल उत्तराखंड संस्कृति साहित्य कला परिषद के कार्यालय परिसर में ही ऑडिटोरियम का निर्माण करवाया गया है.

ताले में बंद करोड़ों का ऑडोटोरियम

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वहीं, साल 2011 से ऑडोटोरियम का काम शुरू हुआ जोकि 1 साल पहले ही पूरा कर लिया गया था. लेकिन इसके बाहर के निर्माण को पहाड़ी लुक देने की कोशिश के चलते अब तक न तो इस पर कोई काम हो पाया है, न ही तैयार ऑडोटोरियम से ताला ही हट सका. वहीं, इसके निर्माण में चार करोड़ से ज्यादा की धनराशि खर्च हुई है.

मामले में निदेशक संस्कृति बीना भट्ट ने बताया कि संस्कृति विभाग खुद इस ऑडिटोरियम के शुभारंभ को लेकर उत्सुक है, लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इसके बाहरी इलाके को पहाड़ी लुक देने के प्रयास के तहत फिलहाल डीपीआर तैयार की गई है. ऐसे में अब निर्णय शासन स्तर पर होना है.

Intro:फीड एफटीपी से भेजी गई है....

folder name--uk_deh_02_culture_auditorium_pkg_7206766


summary- संस्कृति विभाग का करोड़ों की लागत से बना ऑडिटोरियम लंबे समय से ताले में बंद है..न तो इसका शुभारंभ किया जा रहा है और न ही इसको शुरू करने के लिए कोई तारीख ही तय की गई है...नतीजतन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए संस्कृति कर्मियों को दूसरे संस्थानों का मुंह ताकना पड़ रहा है..


Body:देहरादून शहर के बीचों बीच सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए ऑडोटोरियम तो बना दिया गया लेकिन इसका निर्माण पूरा होने के लंबे समय बाद भी इसको खोला नही जा सका है..दरअसल उत्तराखंड संस्कृति साहित्य कला परिषद के कार्यालय परिसर में ही ऑडिटोरियम का निर्माण करवाया गया है.. करीब साल 2011 से ओडोटोरियम का काम शुरू हुआ जो कि 1 साल पहले ही पूरा कर लिया गया था.. लेकिन इसके बाहर के निर्माण को पहाड़ी लुक देने की कोशिश के चलते अब तक न तो इसपर कोई काम हो पाया, और न ही तैयार ऑडोटोरियम से ताला ही हट सका.. आपको बता दें कि ऑडिटोरियम का निर्माण करीब चार करोड़ से ज्यादा की धनराशि से किया गया है... और फिलहाल ओडोटोरियम को पहाड़ी लुक देने के लिए नई डीपीआर शासन में घूम रही है.. एसबीआई यह कहना मुश्किल है कि कब तक ही ऑडिटोरियम संस्कृति कर्मियों को कार्यक्रमों के लिए मिल सकेगा... उधर निदेशक संस्कृति बीना भट्ट बताती है कि संस्कृति विभाग खुद इस ऑडिटोरियम के शुभारंभ को लेकर उत्सुक है लेकिन मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इसके बाहरी इलाके को पहाड़ी लुक देने के प्रयास के तहत फिलहाल डीपीआर तैयार की गई है.. और अब निर्णय शासन स्तर पर होना है।

बाइट-बीना भट्ट, निदेशक, संस्कृति

इस मामले में खास बात यह है कि भले ही इसके बाहरी क्षेत्र को पहाड़ी लुक दिया जा रहा हो, लेकिन बावजूद इसके ऑडिटोरियम का इस्तेमाल इसके पूरा होने के बाद से ही किया जा सकता था.. लेकिन आलीशान ऑडिटोरियम में कीमती कुर्सियों और लाखों की लाइट और साउंड सिस्टम को ताले में बंद कर दिया गया है.. इससे न केवल संस्कृति कर्मियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि संस्कृति विभाग को भी राजस्व का नुकसान झेलना पड़ रहा है... एक तरफ संस्कृति विभाग को अपने कार्यक्रमों के लिए बाहर पैसा अदा कर कार्यक्रम करने पड़ रहे हैं, तो दूसरी तरफ जिस आलीशान ऑडिटोरियम के जरिए कार्यक्रमों को करवा कर राजस्व की प्राप्ति की जा सकती थी..वो भी नही हो पा रही है...


Conclusion:
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