देहरादूनः केंद्र सरकार देश के युवाओं को हर क्षेत्र में कुशल ट्रेनिंग यानी युवाओं के स्किल डेवलपमेंट के लिए कौशल विकास योजना के तहत तमाम योजनाएं संचालित कर रही है. इसी क्रम में उत्तराखंड में भी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना संचालित (Skill Development Scheme in Uttarakhand) की जा रही है. इसके तहत युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में ट्रेनिंग देकर उनकी स्किल को डेवलप किया जा रहा है, ताकि उन्हें रोजगार उपलब्ध हो सके. इसके लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत फंड भी जारी करती है.
ये है पूरा मामला: लेकिन उत्तराखंड के अधिकारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट कौशल विकास योजना पर पलीता लगा रहे हैं. जिस कारण प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना उत्तराखंड में मझधार में लटकी नजर आ रही है. दरअसल, 4 साल पहले प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना-2 के तहत 7 कंपनियों को चयनित किया गया था. जिन्हें ट्रेनिंग प्रोवाइडर के रूप में राशि भी जारी की गई. लेकिन उक्त राशि का उपयोग ही नहीं हो पाया. क्योंकि जिन बच्चों को इन कंपनियों के पास ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था, वह बच्चे पास नहीं हो पाए. इस पर ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनियों को फंड वापस करना चाहिए था लेकिन उन्होंने नहीं किया. यह राशि करीब 16 करोड़ रुपए है.
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16 करोड़ रुपए दबाने वाली कंपनियों को नोटिस: वहीं, अब 4 साल बाद कौशल विकास विभाग के अधिकारी जागे हैं. ऐसे में अब करीब 16 करोड़ रुपए की रिकवरी को लेकर कौशल विकास विभाग ने उन सभी ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनियों को नोटिस जारी किया है. हालांकि, इस पूरे मामले का संज्ञान खुद कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा ने ली है. इसके बाद अधिकारियों में सक्रियता दिखाई दी है.
रिकवरी नहीं होगी तो मुकदमा दर्ज होगा: ज्यादा जानकारी देते हुए कौशल विकास मंत्री सौरभ बहुगुणा (Skill Development Minister Saurabh Bahuguna) ने बताया कि 16 करोड़ रुपए का 4 साल पुराना और 7 ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनियों से जुड़ा मामला है. इसके बाद कौशल विकास के सचिव से बात कर इन सभी ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनियों को नोटिस भिजवाया गया था. इसमें से मात्र एक ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनी ने ही नोटिस का जवाब दिया है. ऐसे में अब जिलाधिकारी के माध्यम से पूरे पैसे की रिकवरी कराई जाएगी. अगर पैसे की रिकवरी नहीं हो पाती है तो इन ट्रेनिंग प्रोवाइडर कंपनियों के ऊपर मुकदमा दर्ज कराया जाएगा.