देहरादून: उत्तराखंड में बीते कुछ महीनों में अचानक से आपराधिक घटनाओं (Increasing cases of crime in Uttarakhand) में बढ़ोतरी हुई है. अब विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) से राज्य संभाला नहीं जा रहा है. राज्य में अपराधी बेलगाम घूम रहे हैं. यह अपराधी ना केवल आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं बल्कि बेखौफ भी घूम रहे हैं. इतना ही नहीं अब तो बीजेपी शासन काल में नौकरियों से जुड़े अपराध भी सामने आए हैं. जिस पर विपक्ष के साथ ही आम जनता में भी हमलावर है.
कुंडा कांड से उधमसिंह नगर में मचा हड़कंप: उत्तराखंड में बीते कुछ महीनों में लगातार आपराधिक घटनाओं में जिस तरह से इजाफा हुआ है उसके बाद यह सवाल खड़ा हो रहा है कि उत्तराखंड की शांत वादियां जो हमेशा से आध्यात्म धर्म-कर्म की गवाह बना करती थी अब वह बड़े अपराधों की भी शरण स्थली बन रही हैं. इन अपराधों से ना केवल सरकार की छवि खराब हो रही है बल्कि सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि राज्य में अपराध पुलिस की लाख सतर्कता के बाद भी क्यों पैर पसार रहा है.
सबसे पहले बात कर लेते हैं हाल ही में हुए उधम सिंह नगर कांड की. जहां खनन माफिया की दबिश के लिए आई पुलिस ने अंधाधुंध फायरिंग की. जिसमें एक महिला की मौत हो गई. सवाल यह खड़ा होता है कि उत्तर प्रदेश का खनन माफिया उत्तराखंड में क्या कर रहा था? पुलिस और दूसरी जांच एजेंसियों का काम यही है कि कोई आपराधिक किस्म का व्यक्ति राज्य में इस तरह से खुला ना घूमे और इस पूरे मामले के बाद उत्तराखंड पुलिस और उत्तर प्रदेश पुलिस में जिस तरह से तलवारे खींची हैं. वह सबके सामने है.
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वहीं, रही सही कसर इस घटना के अगली सुबह काशीपुर में ही हुई पूर्व प्रधान और खनन कारोबारी की हत्या ने पूरी कर दी. जहां खुलेआम दो बाइक सवार लोग पूर्व प्रधान के घर में घुसते हैं और गोलियों से व्यापारी को मौत के घाट उतार देते हैं. यह क्षेत्र ऐसा क्षेत्र है, जहां से कई मंत्री और जिले के बड़े अधिकारी बैठते हैं. कुमाऊं में सबसे बड़ा जिला कहे जाने वाला उधम सिंह नगर बीते कुछ महीनों में अपराध की शरण स्थली बना है.
अंकिता हत्याकांड से हुई खूब किरकिरी: इससे पहले राज्य सरकार की खूब किरकिरी अगर किसी कार्रवाई में हुई तो वह अंकिता हत्याकांड(ankita murder case) था. अंकिता हत्याकांड में जिस तरह से बीजेपी के पूर्व दर्जा धारी मंत्री के बेटे का नाम आया उससे यह हाईप्रोफाइल मामला बन गया. उसके बाद मामले में रात में ही रिजॉर्ट तोड़ने की कार्रवाई ने धामी सरकार को बैकफुट पर ला दिया. उसके बाद भी कई तरह के सवाल खड़े हुए. अंकिता हत्याकांड के बाद बीजेपी ने अपनी तरफ से एक्शन लिया. तमाम दावों के बाद भी मामले में राज्य सरकार की भी खूब फजीहत हुई. विधायक की मौजूदगी में तोड़े गए रिजॉर्ट को लोगों ने जहां गलत बताया. वहीं, पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए.
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शराबकांड भी 10 लोगों की मौत: हरिद्वार जिला पंचायत चुनाव में जिस तरह से अंधाधुंध जहरीली शराब की खेप गांव-गांव घरों घरों में पहुंचाई जा रही थी, उसने भी राज्य के सिस्टम को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया. इस पूरे मामले में लगभग 10 लोगों की मौत हुई. हालांकि, बाद में जो आरोपी प्रत्याशी थे वह न केवल चुनाव जीते बल्कि पुलिस ने उन्हें बाद में गिरफ्तार भी किया. इस घटना से भी सवाल यह उठ रहा है कि आखिरकार सरकार के विभाग क्यों सही से काम नहीं कर रहे हैं? अगर आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन की मुस्तैदी इन गांव में चुनावों के समय में होती तो शायद इस घटना को रोका जा सकता था.
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कुमाऊं में बढ़ा अपराध का ग्राफ: अगर छोटी घटनाओं की बात करें तो अल्मोड़ा में भी बीते महीने दलित युवक जगदीश की हत्या कर दी गई. ऐसा ही मामला नैनीताल जनपद से सामने आया. जहां पर चंदन नाम के युवक की हत्या कर दी गई. नैनीताल के ही हल्दुचौड़ में नाबालिग अंजली उर्फ प्रिया आर्य की गला काटकर 3 अगस्त को हत्या कर दी गई. वहीं, हल्द्वानी के मुखानी थाना क्षेत्र में सुनता नाम के युवक की धारदार हथियार से हत्या कर दी गई. इतना ही नहीं हरिद्वार में भी इसी तरह के कई बड़े अपराध लूट डकैती हत्या जैसे सामने आए हैं.
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महिलाओं से जुड़ी अपराध की घटनाएं बढ़ी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और कैबिनेट के कई मंत्री कुमाऊं मंडल से आते हैं. ऐसे में अकेले कुमाऊं मंडल की अगर बात करें तो महिलाओं से जुड़ी वारदात भी बढ़ी हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, 9 महीने में 320 घटनाओं से अधिक बलात्कार की घटनाएं पुलिस की डायरी में दर्ज की गई हैं. वहीं, अकेले उधम सिंह नगर में ही 6 महिलाओं की हत्या हुई है.
उत्तराखंड में भर्ती घोटला बना नासूर: इसके अलावा भर्ती घोटाले में भी राज्य की खूब किरकिरी हुई. फिर वह चाहे यूकेएसएससी हो या विधानसभा भर्ती मामला. इन मामलों ने जिस तरह से राज्य की छवि नेशनल और इंटरनेशनल प्लेटफार्म पर धूमिल की, वह वाकई में सोचने वाली बात है. हालांकि, इन मामलों पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कई लोगों को जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया, मगर अब भी लोगों में इसे लेकर आक्रोश है.
विपक्ष भी उठा रहा है सवाल: इन तमाम मामलों और घटनाओं को लेकर विपक्ष भी सवाल खड़े कर रहा है. उत्तराखंड में नेता विपक्ष यशपाल आर्य कहते हैं कि राज्य में जंगलराज चल रहा है. ऐसा लगता है जैसे अपराधियों को किसी का डर ही नहीं है. यहां आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर अपराधी फरार हो जाते हैं, वह सोचनीय है. बीते कुछ महीनों में ये सिलसिला लगातार बढ़ रहा है. वो कहते हैं कि सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए. उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही इन आपराधिक घटनाओं को देखते हुए राज्य सरकार को यह चाहिए कि अपना पुलिस तंत्र और मजबूत करें, ताकि उत्तराखंड की धूमिल होती छवि को बचाया जा सके.