ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में मंगलवार को देश की पहली एजोरियन मॉडल कैथ लैब का विधिवत शुभारंभ हो गया. एम्स के हृदय रोग विभाग में इस कैथ लैब की स्थापना से संस्थान में हृदय रोगियों के उपचार में अब और अधिक सहूलियत हो जाएगी. जिससे मरीजों को जल्द उपचार मिलने में सुविधा होगी.
मंगलवार को एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत, नीति आयोग के सदस्य व आयोग की टीम के प्रमुख डॉ. वीके पॉल, एम्स दिल्ली के ईएनटी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश कुमार शर्मा ने संयुक्तरूप से कॉर्डियक कैथ लैब का विधिवत लोकार्पण किया. पृथक कैथ लैब की स्थापना से संस्थान में दिल की विभिन्न बीमारियों से ग्रसित मरीजों के उपचार में तेजी आएगी. इस अवसर पर एम्स के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थान में देश की पहली मॉड्यूलर कॉर्डियक कैथ लैब स्थापित होने से हृदय संबंधी रोगों से जुड़े एंजियोप्लास्टी आदि उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे मरीजों की बीमारी का निदान किया जा सके .
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प्रो. रवि कांत ने यह भी बताया कि विभाग में आधुनिक कैथ लैब की स्थापना से माह भर में होने वाले एंजियोप्लास्टी उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. एम्स के निदेशक पद्मश्री से सम्मानित प्रो. रवि कांत ने बताया कि इस सुविधा से संस्थान में करीब सालभर से किए जा रहे दिल की गति की डिजिज एबेलेशन के उपचार में भी तेजी आएगी और ऐसे रोगियों को जल्द ईलाज उपलब्ध किया जा सकेगा .
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उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में सिर्फ एम्स संस्थान में पैदायशी हृदय की बीमारी दिल में छेद का बिना ऑपरेशन दूरबीन विधि से उपचार संभव है. नई कैथ लैब में उपलब्ध सॉफ्टवेयर स्ट्रक्चरल इंटरवेंशन के द्वारा दूरबीन विधि से हार्ट में जन्मजात पाए जाने वाले सुराग का उपचार और आसान हो जाएगा. उन्होंने बताया कि संस्थान में पिडियाट्रिक कॉर्डियोलॉजी विभाग व एबेलेशन संबंधी बीमारियों के निदान के लिए इलेक्ट्रो फिजियोलॉजी एंड हार्ट फेलियर सब स्पेशलिटी विभाग जल्द स्थापित करने की योजना है.