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चकराता में शहीद वीर केसरी चंद मेले में उमड़ा देश प्रेमियों का हुजूम, पुष्प अर्पित कर किया याद

मां भारती के सपूत हिंदुस्तान की जंग-ए-आजादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीद केसरी चंद का स्मरण चकराता के रामतल गार्डन में उनकी मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर किया गया. उन्होंने सिर्फ 24 साल की अल्पायु में देश की आजादी के लिये फांसी के फंदे को चूमा था.

शहीद केसरी चंद मेले में विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने की शिरकत
शहीद केसरी चंद मेले में विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने की शिरकत
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Published : May 4, 2023, 10:03 AM IST

Updated : May 16, 2023, 1:12 PM IST

शहीद वीर केसरी चंद मेले में उमड़ा देश प्रेमियों का हुजूम

विकासनगर: प्रदेश भर में हो रही घनघोर वर्षा के बीच भी लोगों का शहीदों के प्रति प्रेम और जज्बा कम नहीं हुआ. दरअसल हर वर्ष 3 मई को चकराता के रामतल गार्डन में वीर शहीद केसरी चंद के नाम का मेला लगता है. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. इस साल बेमौसम बारिश के होने के बाद भी सैकड़ों लोगों ने शहीद केसरी चंद की प्रतिमा पर फूल अर्पित किये. इस मौके पर विकासनगर के भाजपा विधायक मुन्ना चौहान ने भी केसरी चंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

आजाद हिन्द फौज में हुये थे शामिल: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर केसरी चंद का जन्म जौनसार बावर क्षेत्र के क्यावा गांव में 1 नवंबर 1920 को एक साधारण परिवार में हुआ. जब वह 6 वर्ष के थे तभी उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया. हाईस्कूल के बाद पढ़ाई के लिए केसरी चंद ने देहरादून के डीएवी इंटर कॉलेज में दाखिला लिया. 10 अप्रैल 1941 को बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर वह रॉयल इंडिया आर्मी सर्विस कोर में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हो गए. इन्हीं दिनों नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आव्हान पर आजाद हिंद फौज का गठन हुआ. देश को आजाद कराने का सपना केसरी चंद के मन में भी घर कर गया, जिसके बाद वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.
यह भी पढे़ें: प्रेमचंद अग्रवाल से मारपीट को महेंद्र भट्ट ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण, सीएम धामी ने किया तलब, SSP को निष्पक्ष जांच करने के आदेश

देश की स्वतंत्रता के लिये दी कुर्बानी: हर वर्ष लगने वाले चकराता के रामतल गार्डन में वीर शहीद केसरी चंद के मेले में हजारों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. लेकिन इस साल बारिश व ठंड के कारण लोगों की संख्या काफी कम देखने को मिली. इसके बावजूद लोगों में भरपूर उत्साह देखने को मिला. सैकड़ों लोगों ने शहीद केसरी चंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर देश की स्वतंत्रता में दिये गये उनके योगदान को याद कर उन्हें नमन किया. 28 जून 1944 को अंग्रेजों ने केसरी चंद को बंदी बना लिया. अंग्रेज हुकूमत ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाते हुये 12 फरवरी 1945 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई दी. जंग-ए-आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद के रग-रग में देश प्रेम का जुनून भरा था. वे कभी भी अपने देश की आन बान और शान के लिए अंग्रेजों के आगे नहीं झुके और देश के लिए शहीद हो गए.

शहीद वीर केसरी चंद मेले में उमड़ा देश प्रेमियों का हुजूम

विकासनगर: प्रदेश भर में हो रही घनघोर वर्षा के बीच भी लोगों का शहीदों के प्रति प्रेम और जज्बा कम नहीं हुआ. दरअसल हर वर्ष 3 मई को चकराता के रामतल गार्डन में वीर शहीद केसरी चंद के नाम का मेला लगता है. इसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं. इस साल बेमौसम बारिश के होने के बाद भी सैकड़ों लोगों ने शहीद केसरी चंद की प्रतिमा पर फूल अर्पित किये. इस मौके पर विकासनगर के भाजपा विधायक मुन्ना चौहान ने भी केसरी चंद की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

आजाद हिन्द फौज में हुये थे शामिल: स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर केसरी चंद का जन्म जौनसार बावर क्षेत्र के क्यावा गांव में 1 नवंबर 1920 को एक साधारण परिवार में हुआ. जब वह 6 वर्ष के थे तभी उनकी माताजी का स्वर्गवास हो गया. हाईस्कूल के बाद पढ़ाई के लिए केसरी चंद ने देहरादून के डीएवी इंटर कॉलेज में दाखिला लिया. 10 अप्रैल 1941 को बीच में ही पढ़ाई छोड़ कर वह रॉयल इंडिया आर्मी सर्विस कोर में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हो गए. इन्हीं दिनों नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आव्हान पर आजाद हिंद फौज का गठन हुआ. देश को आजाद कराने का सपना केसरी चंद के मन में भी घर कर गया, जिसके बाद वे आजाद हिंद फौज में शामिल हो गए.
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देश की स्वतंत्रता के लिये दी कुर्बानी: हर वर्ष लगने वाले चकराता के रामतल गार्डन में वीर शहीद केसरी चंद के मेले में हजारों की संख्या में लोग उमड़ते हैं. लेकिन इस साल बारिश व ठंड के कारण लोगों की संख्या काफी कम देखने को मिली. इसके बावजूद लोगों में भरपूर उत्साह देखने को मिला. सैकड़ों लोगों ने शहीद केसरी चंद की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर देश की स्वतंत्रता में दिये गये उनके योगदान को याद कर उन्हें नमन किया. 28 जून 1944 को अंग्रेजों ने केसरी चंद को बंदी बना लिया. अंग्रेज हुकूमत ने उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाते हुये 12 फरवरी 1945 को उन्हें फांसी की सजा सुनाई दी. जंग-ए-आजादी के वीर सिपाही शहीद केसरी चंद के रग-रग में देश प्रेम का जुनून भरा था. वे कभी भी अपने देश की आन बान और शान के लिए अंग्रेजों के आगे नहीं झुके और देश के लिए शहीद हो गए.

Last Updated : May 16, 2023, 1:12 PM IST
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