देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए सरकार ने चारधाम यात्रा स्थगित कर दी है. मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का कहना है कि धामों के कपाट तय समय पर ही खुलेंगे और तीर्थ पुरोहित मंदिरों में नियमित रूप से पूजा-पाठ करेंगे. ऐसे में कांग्रेसी नेताओं ने भी चारधाम यात्रा स्थगित किए जाने पर अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए चारधाम यात्रा स्थगित किए जाने के निर्णय का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था वाले उत्तराखंड में इस निर्णय के बाद लाखों परिवारों की आजीविका पर घोर संकट उत्पन्न हो जाएगा. ऐसे में सरकार इन परिवारों की जीविका सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करे.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी चारधाम यात्रा स्थगित किए जाने को सामयिक निर्णय बताया है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस निर्णय के बाद यात्रा में जो जन भागीदारी है वह नहीं होगी. लेकिन सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अति आवश्यक रिचुअल्स हैं, वो यथावित और यथा मुहूर्त किए जाएंगे. क्योंकि यह आध्यात्मिक परंपराएं हैं, जो सांकेतिक तौर पर ही सही लेकिन उनका निर्वहन करना आवश्यक है.
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए सरकार के इस फैसले को एक उचित कदम बताया है. लेकिन साथ ही कहा है कि राज्य व केंद्र सरकार चारधाम यात्रा के स्थगित होने से प्रभावित होने वाले तमाम व्यवसाइयों को आर्थिक मदद मुहैया करवाए. क्योंकि उत्तराखंड में आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं से करीब 5 लाख परिवारों की रोजी-रोटी चलती है. लेकिन लगातार दूसरे वर्ष यात्रा में पहुंच रही बाधा के कारण यात्रा से जुड़े होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, डंडी-कंडी वाले, टैक्सी-मैक्सी चालक, गाइड, फोटोग्राफर आदि के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में अगर सरकार इन लोगों की मदद नहीं करेगी तो उत्तराखंड में बेरोजगारी और अधिक बेकाबू हो जाएगी.
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कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि कोरोना की दूसरी लहर से पर्यटन व्यवसाय पूरी तरह चौपट हुआ है. ऐसे में पर्यटन कारोबारियों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई है. कोरोना के कारण होटल बंद हैं. होटल व्यवसाय से जुड़े टैक्सी चालक, पर्यटकों से आजीविका चलाने वाले फड़, चाय बेचने वाले, छोटे दुकानदारों की स्थिति दयनीय हो गई है. चारधाम यात्रा निरस्त किए जाने के फैसले के बाद यह लोग और प्रभावित होंगे. सबसे बड़ी चुनौती होटल कारोबारियों के सामने है. जिनको बिजली और पानी के बिलों का भुगतान करना है. कोरोना संक्रमण काल में यह व्यवसायी बिजली-पानी के बिलों को देने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में सरकार पर्यटन व्यवसाय से जुड़े लोगों को एकमुश्त राहत प्रदान करते हुए होटल व्यवसायियों के बिजली और पानी के बिल माफ करे.