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निकाय और सहकारिता चुनावों में हो रही देरी, शुरू हुई सियासत, कांग्रेस ने धामी सरकार को घेरा

Politics on delay in elections in Uttarakhand प्रदेश में निकाय चुनाव के बाद अब सहकारिता चुनाव में भी देरी हो रही है. जिसे लेकर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस ने चुनावों में देरी को भाजपा के डर से जोड़ा है. वहीं, भाजपा तकनीकी कारणों को चुनावों में देरी वी वजह बता रही है.

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निकाय और सहकारिता चुनावों में हो रही देरी
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 11, 2023, 8:01 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में धामी सरकार पर अब चुनावों में जानबूझकर देरी करने के आरोप लग रहे हैं. एक तरफ पहले ही निकाय चुनाव को समय से नहीं करने को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विपक्षी दलों के निशाने पर है. वहीं अब सहकारीता के चुनाव में भी देरी हो रही है. यह भी भाजपा पर विरोधियों के हमले की वजह बन गई है.

उत्तराखंड में सहकारिता के चुनावों में हो रही देरी अब न केवल सहकारिता मंत्री के खिलाफ विपक्ष की तरफ से मोर्चा खोलने की वजह बन गई है बल्कि धामी सरकार को भी कांग्रेस ने आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. दरअसल पहले ही उत्तराखंड में निकाय चुनाव को समय पर नहीं कराए जाने को लेकर पुष्कर सिंह धामी सरकार कांग्रेस के आरोपों को झेल रही है, उधर अब सहकारिता चुनाव में भी विभाग की चुनाव कराने को लेकर सुस्ती नया मुद्दा बन गई है.

पढ़ें- कुम्हारों के बीच पहुंचे सीएम धामी, वोकल फ़ॉर लोकल का दिया संदेश, शनि मंदिर में जलाए दिये

सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने हाल ही में सहकारी समितियों के चुनाव समय पर कराए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे. ऐसे में विरोधी दलों ने सवाल उठाया है कि जिस चुनावी प्रक्रिया को काफी पहले ही शुरू कर दिया जाना चाहिए था उसे पर अब जाकर सहकारिता मंत्री औपचारिकताएं पूरा करने की बात कह रहे हैं.राज्य में सहकारी समितियों के चुनाव से पहले सदस्यता अभियान पूरा करने के लिए कहा गया है. जिसके तहत करीब 2 लाख सदस्य बनाए जाने हैं.

पढ़ें-आगामी चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस, देवप्रयाग में पार्टी का जिला स्तरीय सम्मेलन 30 नवंबर से शुरू

उत्तराखंड में बात केवल सहकारी समितियों के चुनाव में देरी की ही नहीं है बल्कि राज्य में निकाय चुनाव भी समय पर नहीं हो पाए हैं. सरकार की तरफ से इनके लिए जरूरी औपचारिकताओं को पूरा नहीं किया गया है. जिसमें आरक्षण तय करना भी शामिल है. राज्य में निकायों का कार्यकाल 4 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. उससे पहले राज्य सरकार को निकाय के चुनाव कराने हैं. उधर दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी निर्वाचन आयोग जुटा हुआ है. ऐसे में निकाय चुनाव कैसे समय पर होंगे यह एक सवाल बना हुआ है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए कांग्रेस हमलावर होकर इसे भाजपा के डर के रूप में जाहिर कर रही है.

पढ़ें- Lok Sabha Election 2024: उमेश कुमार ने संत लोकेश दास से चुनाव में जीत के लिए मांगा आशीर्वाद, युवाओं से किए कई वाद

उधर भाजपा ने भी अपनी सरकार का बचाव करते हुए इस पूरी प्रक्रिया में देरी के लिए कुछ तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताया है. हालांकि, भाजपा यह भी साफ कर रही है कि सहकारिता चुनाव को लेकर विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाएंगे. इसमें देरी नहीं होने दी जाएगी.

देहरादून: उत्तराखंड में धामी सरकार पर अब चुनावों में जानबूझकर देरी करने के आरोप लग रहे हैं. एक तरफ पहले ही निकाय चुनाव को समय से नहीं करने को लेकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी विपक्षी दलों के निशाने पर है. वहीं अब सहकारीता के चुनाव में भी देरी हो रही है. यह भी भाजपा पर विरोधियों के हमले की वजह बन गई है.

उत्तराखंड में सहकारिता के चुनावों में हो रही देरी अब न केवल सहकारिता मंत्री के खिलाफ विपक्ष की तरफ से मोर्चा खोलने की वजह बन गई है बल्कि धामी सरकार को भी कांग्रेस ने आड़े हाथों लेना शुरू कर दिया है. दरअसल पहले ही उत्तराखंड में निकाय चुनाव को समय पर नहीं कराए जाने को लेकर पुष्कर सिंह धामी सरकार कांग्रेस के आरोपों को झेल रही है, उधर अब सहकारिता चुनाव में भी विभाग की चुनाव कराने को लेकर सुस्ती नया मुद्दा बन गई है.

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सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने हाल ही में सहकारी समितियों के चुनाव समय पर कराए जाने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे. ऐसे में विरोधी दलों ने सवाल उठाया है कि जिस चुनावी प्रक्रिया को काफी पहले ही शुरू कर दिया जाना चाहिए था उसे पर अब जाकर सहकारिता मंत्री औपचारिकताएं पूरा करने की बात कह रहे हैं.राज्य में सहकारी समितियों के चुनाव से पहले सदस्यता अभियान पूरा करने के लिए कहा गया है. जिसके तहत करीब 2 लाख सदस्य बनाए जाने हैं.

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उत्तराखंड में बात केवल सहकारी समितियों के चुनाव में देरी की ही नहीं है बल्कि राज्य में निकाय चुनाव भी समय पर नहीं हो पाए हैं. सरकार की तरफ से इनके लिए जरूरी औपचारिकताओं को पूरा नहीं किया गया है. जिसमें आरक्षण तय करना भी शामिल है. राज्य में निकायों का कार्यकाल 4 दिसंबर को समाप्त हो रहा है. उससे पहले राज्य सरकार को निकाय के चुनाव कराने हैं. उधर दूसरी तरफ लोकसभा चुनाव की तैयारी में भी निर्वाचन आयोग जुटा हुआ है. ऐसे में निकाय चुनाव कैसे समय पर होंगे यह एक सवाल बना हुआ है. इन्हीं स्थितियों को देखते हुए कांग्रेस हमलावर होकर इसे भाजपा के डर के रूप में जाहिर कर रही है.

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उधर भाजपा ने भी अपनी सरकार का बचाव करते हुए इस पूरी प्रक्रिया में देरी के लिए कुछ तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताया है. हालांकि, भाजपा यह भी साफ कर रही है कि सहकारिता चुनाव को लेकर विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद जल्द से जल्द चुनाव करवाए जाएंगे. इसमें देरी नहीं होने दी जाएगी.

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