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कांग्रेस के लिए कितना कारगर 'गांव-गांव' अभियान, चर्चा और चौपाल से होगी नैया पार

गांधी जयंती के मौके पर कांग्रेस ने 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चलाया. ये अभियान उत्तराखंड विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस में जान फूंकने के लिए चलाया गया था. कांग्रेस के इस तीन दिवसीय अभियान से आखिर कांग्रेस को कितना फायदा मिलेगा, आइये जानते हैं.

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'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान से पार होगी कांग्रेस की नैया
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Published : Oct 7, 2021, 6:30 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 8:29 PM IST

देहरादून: आगामी साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारियों में जुटी हुई हैं. इसी क्रम में कांग्रेस के नेताओ ने 'गांव-गांव कांग्रेस' का एक बड़ा अभियान चलाया है. इस तीन दिवसीय अभियान के बाद से ही कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में जैसे कांग्रेस के नेता गांव-गांव जाकर रात बिता रहे थे, वैसा ही उत्तराखंड के नेताओं ने तीन दिवसीय 'गांव-गांव कांग्रेस' का अभियान चलाया है. इसमें कांग्रेस के तमाम छोटे बड़े नेता गांवों में चौपाल भी लगा रहे हैं. इस कार्यक्रम से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न सिर्फ जीत का दावा कर रही है बल्कि, सत्ता पर काबिज होने की भी तैयारी भी कर रही है.

विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के सामने सत्ता पर काबिज होने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के लिए सत्ता बरकरार रखकर पुराने मिथकों को तोड़ना उससे भी बड़ी चुनौती है. जिसके कारण दोनों ही दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हैं. दोनों ही दल तमाम तरह के अभियान चलाकर जनता को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में भाजपा बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं को मजबूत कर रही है वहीं, कांग्रेस 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चलाकर अपने नेताओं को सक्रिय कर रही है. इस दौरान कांग्रेस ने नेता गांवों में जाकर सरकार की खामियां गिना रहे हैं. साथ ही वे कांग्रेस की रीति-नीति को भी सबके सामने रख रहे हैं.

'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान से पार होगी कांग्रेस की नैया

पढ़ें-लखीमपुर-खीरी जा रहे हरीश रावत पुलभट्टा बॉर्डर पर गिरफ्तार

पहले शुरू किया जाना चाहिए था 'गांव-गांव कांग्रेस' कार्यक्रम: इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार की जन विरोधी लहर का उसे फायदा मिलेगा. अभी फिलहाल यह सोचना जल्दबाजी होगा. चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल तमाम कार्यक्रम करते हैं. उसी तर्ज पर कांग्रेस ने भी 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चला रही है. उन्होंने कहा यह कार्यक्रम उस वक्त किए जा रहे हैं जब चुनाव बेहद नजदीक हैं, जबकि होना यह चाहिए कि ऐसे कार्यक्रम पहले ही हो जाने चाहिए थे. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि पिछले साढ़े चार सालों से कांग्रेस कहां थी, जबकि उस वक्त उन्हें गांव गांव जाना चाहिए था.

पढ़ें- सरकार को लोकतंत्र में विश्वास नहीं, लखीमपुर की घटना पर हरीश रावत का गुस्सा

अभियान को विस्तार देने की है जरूरत: भागीरथ शर्मा ने बताया कि इस तरह के अभियान सीमित समय के लिए चलाने से कुछ नहीं होगा बल्कि ऐसे अभियान का विस्तारीकरण भी होना चाहिए. इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस अभियान के तहत कितने गांवों को कवर किया गया है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मुश्किल से सैकड़ों गांवों तक ही कांग्रेस पहुंच पाई होगी, हालांकि, अमूमन यह देखा जाता है कि अभियान के दौरान तमाम छोटे-बड़े नेता फोटो खिंचवाने, वीडियो बनवाने में जुट जाते हैं. ऐसे में इसका फायदा नहीं होता. लिहाजा संगठन को चाहिए कि पूरी मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं को खड़ा करें. अभियान का विस्तारीकरण कर गांव-गांव तक पहुंचे.

पढ़ें- PM मोदी ने मंच से धामी को कहा 'मित्र', थपथपाई पीठ, बोले- इस सरकार में युवा उत्साह

'गाव-गांव कांग्रेस' अभियान सिर्फ एक सिंबॉलिक कार्यक्रम: यही नहीं, भागीरथ शर्मा ने बताया कि कांग्रेस ने जो तीन दिवसीय गांव-गांव कांग्रेस, अभियान चलाया है वह एक सिंबॉलिक कार्यक्रम के रूप में दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड राज्य में कई हजारों की संख्या में ग्राम सभायें हैं. जहां राजनीतिक दलों का पहुंचना आसान काम नहीं है. इसके लिए एक बेहतर रोडमैप बनाने की जरूरत है. जिसमें इस बात पर भी फोकस किया जाना चाहिए कि जितने भी उस पार्टी के पुराने नेता हैं. उनसे मुलाकात कर उन्हें सक्रिय किया जाए. हालांकि, अभी फिलहाल राजनीतिक दलों के पास समय है. अगर कांग्रेस अपने इस अभियान को विस्तार देती है और हर गांव तक पहुंचती है तो इसका फायदा संगठन को जरुर मिलेगा. साथ ही शर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में भाजपा इस मामले में भी कांग्रेस से बढ़त बनाए हुए है.

पढ़ें- PM मोदी ने देश को समर्पित किए 35 ऑक्सीजन प्लांट, बोले- देवभूमि से नाता 'मर्म' और 'कर्म' का है

कांग्रेस की जड़े गांव में हैं: वही, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि गांव-गांव कांग्रेस अभियान, एक अक्टूबर से तीन दिवसीय के लिए चलाया गया. इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव तक पहुंचकर कांग्रेस की बात, कांग्रेस की नीतियों और कांग्रेस के भविष्य की इच्छाओं का बखान किया. साथ ही जनता से जुड़े मूल मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर, उन्हें जानकारी दी गई कि सत्ता में आते हैं उनकी समस्याओं को दूर किया जाएगा. गणेश गोदियाल ने कहा कांग्रेस हमेशा गांव में रहती है, क्योकि कांग्रेस की जड़े गांव में हैं, हालांकि इस अभियान को उन्होंने हाईलाइट किया गया है.

पढ़ें- पीएम मोदी का उत्तराखंड दौरा संपन्न, बोले- देवभूमि ने उनके जीवन की धारा बदली

अभियान चलाने वाले लोग सिर्फ चुनावी हैं: कांग्रेस के गांव-गांव कांग्रेस अभियान के सवाल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि पिछले पौने 5 सालों में कांग्रेस एक बार अभियान चला रही है, जबकि भाजपा हर साल करीब 4 बार बूथ स्तर पर अभियान चलाती रही है. लिहाजा भारतीय जनता पार्टी मजबूत संगठन का आधार है जो बूथ स्तर पर काम करती है. उन्होंने कहा जनता यह बात जान चुकी है। कि कांग्रेस सिर्फ चुनावी संगठन है.

देहरादून: आगामी साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियां दमखम से तैयारियों में जुटी हुई हैं. इसी क्रम में कांग्रेस के नेताओ ने 'गांव-गांव कांग्रेस' का एक बड़ा अभियान चलाया है. इस तीन दिवसीय अभियान के बाद से ही कांग्रेस के नेता काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं. दरअसल, उत्तर प्रदेश में जैसे कांग्रेस के नेता गांव-गांव जाकर रात बिता रहे थे, वैसा ही उत्तराखंड के नेताओं ने तीन दिवसीय 'गांव-गांव कांग्रेस' का अभियान चलाया है. इसमें कांग्रेस के तमाम छोटे बड़े नेता गांवों में चौपाल भी लगा रहे हैं. इस कार्यक्रम से आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस न सिर्फ जीत का दावा कर रही है बल्कि, सत्ता पर काबिज होने की भी तैयारी भी कर रही है.

विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के सामने सत्ता पर काबिज होने की चुनौती है, वहीं, भाजपा के लिए सत्ता बरकरार रखकर पुराने मिथकों को तोड़ना उससे भी बड़ी चुनौती है. जिसके कारण दोनों ही दल पूरे जोर-शोर से तैयारियों में जुटे हैं. दोनों ही दल तमाम तरह के अभियान चलाकर जनता को अपने पक्ष में करने की कवायद में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में भाजपा बूथ लेवल तक के कार्यकर्ताओं को मजबूत कर रही है वहीं, कांग्रेस 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चलाकर अपने नेताओं को सक्रिय कर रही है. इस दौरान कांग्रेस ने नेता गांवों में जाकर सरकार की खामियां गिना रहे हैं. साथ ही वे कांग्रेस की रीति-नीति को भी सबके सामने रख रहे हैं.

'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान से पार होगी कांग्रेस की नैया

पढ़ें-लखीमपुर-खीरी जा रहे हरीश रावत पुलभट्टा बॉर्डर पर गिरफ्तार

पहले शुरू किया जाना चाहिए था 'गांव-गांव कांग्रेस' कार्यक्रम: इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा ने बताया कि कांग्रेस को उम्मीद है कि आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार की जन विरोधी लहर का उसे फायदा मिलेगा. अभी फिलहाल यह सोचना जल्दबाजी होगा. चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दल तमाम कार्यक्रम करते हैं. उसी तर्ज पर कांग्रेस ने भी 'गांव-गांव कांग्रेस' अभियान चला रही है. उन्होंने कहा यह कार्यक्रम उस वक्त किए जा रहे हैं जब चुनाव बेहद नजदीक हैं, जबकि होना यह चाहिए कि ऐसे कार्यक्रम पहले ही हो जाने चाहिए थे. ऐसे में एक बड़ा सवाल यह भी खड़ा होता है कि पिछले साढ़े चार सालों से कांग्रेस कहां थी, जबकि उस वक्त उन्हें गांव गांव जाना चाहिए था.

पढ़ें- सरकार को लोकतंत्र में विश्वास नहीं, लखीमपुर की घटना पर हरीश रावत का गुस्सा

अभियान को विस्तार देने की है जरूरत: भागीरथ शर्मा ने बताया कि इस तरह के अभियान सीमित समय के लिए चलाने से कुछ नहीं होगा बल्कि ऐसे अभियान का विस्तारीकरण भी होना चाहिए. इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस अभियान के तहत कितने गांवों को कवर किया गया है. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के दौरान मुश्किल से सैकड़ों गांवों तक ही कांग्रेस पहुंच पाई होगी, हालांकि, अमूमन यह देखा जाता है कि अभियान के दौरान तमाम छोटे-बड़े नेता फोटो खिंचवाने, वीडियो बनवाने में जुट जाते हैं. ऐसे में इसका फायदा नहीं होता. लिहाजा संगठन को चाहिए कि पूरी मजबूती के साथ कार्यकर्ताओं को खड़ा करें. अभियान का विस्तारीकरण कर गांव-गांव तक पहुंचे.

पढ़ें- PM मोदी ने मंच से धामी को कहा 'मित्र', थपथपाई पीठ, बोले- इस सरकार में युवा उत्साह

'गाव-गांव कांग्रेस' अभियान सिर्फ एक सिंबॉलिक कार्यक्रम: यही नहीं, भागीरथ शर्मा ने बताया कि कांग्रेस ने जो तीन दिवसीय गांव-गांव कांग्रेस, अभियान चलाया है वह एक सिंबॉलिक कार्यक्रम के रूप में दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड राज्य में कई हजारों की संख्या में ग्राम सभायें हैं. जहां राजनीतिक दलों का पहुंचना आसान काम नहीं है. इसके लिए एक बेहतर रोडमैप बनाने की जरूरत है. जिसमें इस बात पर भी फोकस किया जाना चाहिए कि जितने भी उस पार्टी के पुराने नेता हैं. उनसे मुलाकात कर उन्हें सक्रिय किया जाए. हालांकि, अभी फिलहाल राजनीतिक दलों के पास समय है. अगर कांग्रेस अपने इस अभियान को विस्तार देती है और हर गांव तक पहुंचती है तो इसका फायदा संगठन को जरुर मिलेगा. साथ ही शर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में भाजपा इस मामले में भी कांग्रेस से बढ़त बनाए हुए है.

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कांग्रेस की जड़े गांव में हैं: वही, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा कि गांव-गांव कांग्रेस अभियान, एक अक्टूबर से तीन दिवसीय के लिए चलाया गया. इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव तक पहुंचकर कांग्रेस की बात, कांग्रेस की नीतियों और कांग्रेस के भविष्य की इच्छाओं का बखान किया. साथ ही जनता से जुड़े मूल मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाकर, उन्हें जानकारी दी गई कि सत्ता में आते हैं उनकी समस्याओं को दूर किया जाएगा. गणेश गोदियाल ने कहा कांग्रेस हमेशा गांव में रहती है, क्योकि कांग्रेस की जड़े गांव में हैं, हालांकि इस अभियान को उन्होंने हाईलाइट किया गया है.

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अभियान चलाने वाले लोग सिर्फ चुनावी हैं: कांग्रेस के गांव-गांव कांग्रेस अभियान के सवाल पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि पिछले पौने 5 सालों में कांग्रेस एक बार अभियान चला रही है, जबकि भाजपा हर साल करीब 4 बार बूथ स्तर पर अभियान चलाती रही है. लिहाजा भारतीय जनता पार्टी मजबूत संगठन का आधार है जो बूथ स्तर पर काम करती है. उन्होंने कहा जनता यह बात जान चुकी है। कि कांग्रेस सिर्फ चुनावी संगठन है.

Last Updated : Oct 7, 2021, 8:29 PM IST
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