देहरादून: उत्तराखंड अखिल भारतीय प्रोफेशनल्स कांग्रेस और पैनलिस्ट सुजाता पॉल ने केदारनाथ के मंदिर के गर्भगृह में आग लगने की घटना को लेकर सरकार पर जमकर निशाना साधा है. सुजाता पॉल ने कहा कि केदारनाथ घाटी में 2013 में आई महाप्रलय के बाद जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के द्वारा यह कहा गया था कि केदारनाथ के स्ट्रक्चर के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि यह भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है लेकिन यह सरकार केदारनाथ पुनर्निर्माण के नाम पर केदारनाथ धाम के साथ खिलवाड़ कर रही है.
सुजाता ने कहा कि 2 साल पहले गर्भगृह में चांदी लगाई गई थी, जिसे अब उतार कर वहां फाइबर की शीट लगाकर उस पर सोना लगाने की तैयारी की जा रही है. उन्होंने कहा कि बदलाव को बाबा ने स्वीकार नहीं किया और चेतावनी स्वरूप बाबा की अखंड ज्योत से आग की लपटें निकली और फाइबर शीट जलकर खाक हो गई.
सुजाता पॉल का कहना है कि सरकार को यह बताना चाहिए कि सरकार वहां पर सोना लगवाने की कोशिश क्यों कर रही है? जिस कारण कल रात को जितने पंडित पुरोहित हैं वो बाबा केदार के प्रांगण में बैठे रहे, ताकि शासन प्रशासन का कोई व्यक्ति गर्भगृह में ना जा पाए और वहां पर सोना चढ़ाने की कोशिश ना करे.
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सरकार ने नहीं लिया सबक: सुजाता पॉल ने कहा कि साल 2013 की आपदा से भी सरकार ने कोई सबक नहीं लिया है. उन्होंने भाजपा की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की है कि वहां विस्फोटकों, ड्रिलिंग मशीनों, फाइबर शीट, प्लाई बोर्ड और सोने चांदी जैसी वस्तुओं को बाबा केदार से दूर रखा जाए.
केदारनाथ मंदिर की दीवारों पर छेद करने पर तीर्थ पुरोहितों में उबालः मंदिर के गर्भगृह में दीवारों पर तांबे की परतों को लगाकर डिजाइन, फिटिंग आदि का कार्य किया जाएगा. जैसे ही यह तांबे की परतें फिट बैठेंगी, उसके बाद सोने की परतें लगाई जाएंगी. उधर, जैसे ही मंदिर के भीतर सोने की परतें लगाए जाने की भनक केदारनाथ धाम के तीर्थ पुरोहितों को लगी तो उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया. इस सोने की परत लगाने के लिए मंदिर के भीतर ड्रिल मशीन से भी छेद किए जा रहे हैं. मंदिर की दीवारों पर छेद होने से तीर्थ पुरोहितों में खासी (Tirth Purohit Angry Over Gold Layering) नाराजगी देखने को मिल रही है.