देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत और पुरोला विधायक राजकुमार ने अलग तरीके से अपना विरोध जताया. दोनों विधायक ट्रैकिंग की पोशाक पहनकर और ट्रैकिंग बैग लेकर विधानसभा पहुंचे. सदन के भीतर जाते वक्त मार्सलों ने दोनों विधायको को अंदर जाने से रोक दिया. जिसके बाद दोनों विधायक सदन के गेट पर ही धरने पर बैठ गए. थोड़ी देर बाद दोनों विधायकों और मार्शलों के बीच जमकर धक्का-मुक्की भी हुई.
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने बुग्यालों में कैंपिंग पर रोक लगाई थी. जिसके बाद सरकार ने आश्वासन दिया था कि वो सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखकर जल्द ही बुग्यालों में कैंपिंग शुरू करेगी. लेकिन बुग्यालों और राफ्टिंग की कैंपिंग पर एक साल पहले लगाई गई रोक पर कोर्ट में पैरवी नहीं करने और वन विभाग द्वारा कोर्ट में एसएलपी दाखिल न करने के विरोध में कांग्रेस के दोनों विधायकों ने विरोध जताया. साथ ही जल्द से जल्द कैम्पिंग को दोबारा खुलवाने की मांग की.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बुग्यालों में नाइट स्टे पर रोक
उत्तराखंड के पर्यटन में जो सबसे बड़ी हिस्सेदारी है. वह राफ्टिंग और ट्रैकिंग से है. लेकिन अफसोस की बात यह है कि राफ्टिंग, कैंपिंग और बुग्यालों में ट्रैकिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी. साथ ही इन स्थानों पर रात्रि विश्राम पर भी रोक है. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद कैम्पिंग बंद हो गई. सरकार ने वादा किया था कि सरकार सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
कांग्रेस विधायकों का कहना है कि कोर्ट का आदेश आए एक साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन सरकार इस पर चुप्पी साध रखी है. सरकार पहाड़ के युवाओं के रोजगार के प्रति संवेदनशील नहीं है. इसके साथ ही कहा कि सरकार औली जैसी जगहों पर शादी कराकर उत्तराखंड की जमीन बेचना चाहती है.