देहरादून: किसानों पर इस बार दोहरी मार पड़ी है. कोरोना और लॉकडाउन की वजह से किसान समय से अपनी फसल नहीं काट पाए तो खेतों में तैयार खड़ी फसल बारिश और ओलावृष्टि के कारण बर्बाद हो गई थी. ऐसे में छोटे किसानों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. किसानों की इन्हीं समस्याओं को लेकर कांग्रेस नेताओं ने सूबे के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा.
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि लॉकडाउन में मौसम की मार और मजदूरों के न मिलने के कारण राज्य के बड़े और छोटे किसानों की खड़ी फसलें खेतों में बर्बाद हो गई हैं. बेमौसम ओलावृष्टि से फसलों (सब्जियों) को नुकसान पहुंचने के साथ ही पेड़ों पर फल आने से पहले ही फूल झड़ गए हैं. ऊपर से जंगली जानवरों ने भी किसानों की फसलों को खासा नुकसान पहुंचाया है.
राज्य के किसान इस समय बहुत बड़ी त्रासदी से गुजर रहे हैं. ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की तरफ से राज्य के कृषि मंत्री को एक पत्र भी सौंपा गया है. पत्र में किसानों के नुकसान की भरपाई राज्य सरकार से अपने संसाधनों से करने के अलावा किसानों को कर्ज पर ब्याज माफी देने की मांग की गई है.
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बिष्ट ने कहा कि किसानों से ऋण वसूली स्थगित करते हुए उनसे दो साल बाद लंबी किस्तों पर वसूली की जाए. वहीं जो प्रवासी बेरोजगार होकर अपने घर लौटे हैं उन्हें कृषि क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने के लिए कृषि कार्यों को मनरेगा में शामिल किया जाए. इसके साथ ही जिन परिवारों के मकान रहने लायक नहीं हैं और जर्जर हो चुके हैं, उनके मकानों के पुनर्निर्माण के लिए श्रमिक मद धन मनरेगा से देने का प्रावधान करने के लिए भारत सरकार से अनुमति प्राप्त की जाए.
बिष्ट के मुताबिक इन सब मामलों पर कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने केंद्रीय कृषि मंत्री से दूरभाष पर वार्ता करके एक पत्र भी लिखकर भेजा है. उन्होंने आशा जताई कि मनरेगा को कृषि कार्य से जोड़ने के साथ ही मनरेगा मद में जर्जर आवासीय भवनों के पुनर्निर्माण का फैसला होने के बाद राज्य में पलायन रोकने के साथ ही प्रवासी बेरोजगारों को रोजगार भी उपलब्ध होंगे.