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कोरोनाकाल में स्कूल कॉलेज खोलने को लेकर कांग्रेस मुखर, बच्चों की जान से बताया खिलवाड़

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद किया. जिसमें 7 हजार से अधिक शिक्षकों और अभिभावकों ने संवाद किया. शिक्षा मंत्री के मुताबिक, जो सुझाव मिले हैं उन्हें 14 अक्टूबर को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा. वहीं, अब इस मामले में कांग्रेस मुखर हो गई है.

Congress is opposing Uttarakhand government opening of schools
कोरोनाकाल में स्कूल खोलने को लेकर कांग्रेस मुखर
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Published : Oct 11, 2020, 1:26 PM IST

Updated : Oct 11, 2020, 4:28 PM IST

देहरादून: प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही कोरोनाकाल में प्रदेश में 15 अक्टूबर से स्कूल कॉलेज खोलने की सरकार की कवायद को कांग्रेस पार्टी ने इसे बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ बताया है. स्कूल खोले जाने को लेकर जहां नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है तो वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अभिभावकों और छात्रों की भावनाओं के अनुरूप सरकार को स्कूल बंद रखने का निर्णय लेना चाहिए.

कोरोनाकाल में स्कूल कॉलेज खोलने को लेकर कांग्रेस मुखर.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना की महामारी से लड़ने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के जो दिशा-निर्देश आते हैं. राज्य सरकार उसी तरह से प्रदेश में उन निर्देशों को लागू कर देती है, ऐसे में सरकार को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी अभिभावक अपने बच्चों की जान से खिलवाड़ नहीं करना चाहता है. इसलिए सरकार को चाहिए कि कोरोना महामारी में जब तक नियंत्रण नहीं लग जाता तब तक अभिभावकों और छात्रों की भावनाओं के अनुरूप उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को विद्यालयों को बंद रखने का निर्णय लेना चाहिए.

पढ़ें-बागेश्वर से भागकर हल्द्वानी पहुंचा नाबालिग प्रेमी जोड़ा

वहीं, कांग्रेस प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने भी स्कूलों को खोले जाने का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य कोरोना महामारी की चपेट में है. एक तरफ इस संक्रमण से रचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए जाने की सलाह दी जा रही है तो वहीं राज्य सरकार द्वारा विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को खोलने का फैसला समझ से परे है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इजरायल और अमेरिका में स्कूल खोलने पर 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे संक्रमित हो गए थे, उसके बाद इन देशों को पुनः लॉकडाउन जैसे उपायों का सहारा लेना पड़ा. उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मांग करते हुए राज्य के विद्यालय को नवंबर के अंत तक बंद रखने का आग्रह किया है.

पढ़ें-जल्द विधानसभा में फहराया जाएगा 101 फीट ऊंचा तिरंगा, तैयारियां पूरी

इस मामले में नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय सचिव एडवोकेट सुदेश उनियाल ने 15 अक्टूबर को स्कूल खोले जाने के फैसले और निजी स्कूलों की ओर से रखी गई शर्तों के विरोध में उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग में अपील भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है. बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद किया. जिसमें 7 हजार से अधिक शिक्षकों और अभिभावकों ने संवाद किया. शिक्षा मंत्री के मुताबिक जो सुझाव मिले हैं उन्हें 14 अक्टूबर को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा. ऐसे में उनके मुताबिक अधिकांश शिक्षक और अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में 15 अक्टूबर से स्कूल कॉलेज खोले जाने की कवायद को बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ बताया है.

देहरादून: प्रदेश में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही कोरोनाकाल में प्रदेश में 15 अक्टूबर से स्कूल कॉलेज खोलने की सरकार की कवायद को कांग्रेस पार्टी ने इसे बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ बताया है. स्कूल खोले जाने को लेकर जहां नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स ने उत्तराखंड मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाया है तो वहीं कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अभिभावकों और छात्रों की भावनाओं के अनुरूप सरकार को स्कूल बंद रखने का निर्णय लेना चाहिए.

कोरोनाकाल में स्कूल कॉलेज खोलने को लेकर कांग्रेस मुखर.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना की महामारी से लड़ने में सरकार पूरी तरह विफल साबित हुई है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के जो दिशा-निर्देश आते हैं. राज्य सरकार उसी तरह से प्रदेश में उन निर्देशों को लागू कर देती है, ऐसे में सरकार को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए. वर्तमान परिस्थितियों में कोई भी अभिभावक अपने बच्चों की जान से खिलवाड़ नहीं करना चाहता है. इसलिए सरकार को चाहिए कि कोरोना महामारी में जब तक नियंत्रण नहीं लग जाता तब तक अभिभावकों और छात्रों की भावनाओं के अनुरूप उनके हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को विद्यालयों को बंद रखने का निर्णय लेना चाहिए.

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वहीं, कांग्रेस प्रदेश महामंत्री नवीन जोशी ने भी स्कूलों को खोले जाने का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य कोरोना महामारी की चपेट में है. एक तरफ इस संक्रमण से रचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए जाने की सलाह दी जा रही है तो वहीं राज्य सरकार द्वारा विद्यालयों एवं शिक्षण संस्थानों को खोलने का फैसला समझ से परे है. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि इजरायल और अमेरिका में स्कूल खोलने पर 70 प्रतिशत से अधिक बच्चे संक्रमित हो गए थे, उसके बाद इन देशों को पुनः लॉकडाउन जैसे उपायों का सहारा लेना पड़ा. उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से मांग करते हुए राज्य के विद्यालय को नवंबर के अंत तक बंद रखने का आग्रह किया है.

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इस मामले में नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय सचिव एडवोकेट सुदेश उनियाल ने 15 अक्टूबर को स्कूल खोले जाने के फैसले और निजी स्कूलों की ओर से रखी गई शर्तों के विरोध में उत्तराखंड मानव अधिकार आयोग में अपील भेजकर आपत्ति दर्ज कराई है. बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों और अभिभावकों से संवाद किया. जिसमें 7 हजार से अधिक शिक्षकों और अभिभावकों ने संवाद किया. शिक्षा मंत्री के मुताबिक जो सुझाव मिले हैं उन्हें 14 अक्टूबर को कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा. ऐसे में उनके मुताबिक अधिकांश शिक्षक और अभिभावक स्कूल खोले जाने के पक्ष में हैं. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश में 15 अक्टूबर से स्कूल कॉलेज खोले जाने की कवायद को बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ बताया है.

Last Updated : Oct 11, 2020, 4:28 PM IST
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