देहरादून: राज्य निर्माण आंदोलन के समय से ही आंदोलनकारियों की प्राथमिकता में रहा गैरसैंण त्रिवेंद्र सरकार की प्राथमिकता से बाहर दिखाई दे रहा है. शायद इसीलिए प्रदेश के 20वें राज्य स्थापना सप्ताह कार्यक्रमों में गैरसैण को नजरअंदाज किया गया. कुछ ऐसे ही आरोपों के साथ राज्य निर्माण आंदोलनकारी सरकार के कार्यक्रमों को लेकर बेहद खफा हैं और अब इस नाराजगी को उन्होंने विरोध के जरिये जताना भी शुरू कर दिया है.
उत्तराखंड में बीजेपी चुनाव के दौरान गैरसैंण को अपने मुख्य एजेंडे में बताती रही है लेकिन सरकार आने के बाद गैरसैंण उनकी प्राथमिकता में ही नहीं है. ऐसे ही कुछ आरोप राज्य आंदोलनकारी इन दिनों राज्य स्थापना सप्ताह कार्यक्रमों को देखकर लगा रहे हैं. दरअसल, उत्तराखंड सरकार 9 नवंबर को होने वाले स्थापना दिवस से पहले ही राज्य स्थापना सप्ताह मना कर तमाम कार्यक्रम आयोजित कर रही है. खास बात यह है कि तमाम जिलों में होने वाले इन कार्यक्रमों में गैरसैंण को जगह नहीं दी गयी है, जबकि राज्य आंदोलनकारी मानते हैं कि अगर सरकार में आंदोलन को लेकर थोड़ी भी संवेदनाएं होती तो राज्य स्थापना सप्ताह का पहला कार्यक्रम गैरसैण में ही आयोजित किया जाता.
राज्य आंदोलनकारी त्रिवेंद्र सरकार से गैरसैंण में कार्यक्रम नहीं होने और कार्यक्रमों में आंदोलनकारियों को निमंत्रण नहीं मिलने से खफा हैं. उधर, कांग्रेस भी सरकार के इस जश्न को पैसों की फिजूलखर्ची मान रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट की मानें तो प्रदेश में तमाम घटनाएं हो रही है और सरकार जश्न में डूबी है. उनका मानना है कि सरकार ऐसा मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए कर रही है.
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राज्य आंदोलनकारियों और विपक्षी दल कांग्रेस के सीधे हमलों के जवाब में खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सामने आकर इसका जवाब दे रहे हैं. सीएम त्रिवेंद्र सिंह बताते हैं कि सरकार का प्रयास सभी जिलों में स्थापना सप्ताह के कार्यक्रमों को करना था लेकिन बाहर से आने वाले लोग कई जिलों में जाने में दिक्कतें महसूस कर रहे हैं. हालांकि, उनका यह बयान भी तर्क से परे नजर आ रहा है. क्योंकि, गैरसैंण में कार्यक्रम आयोजित करने के लिए किसी सेलिब्रिटी की जरूरत नहीं.