देहरादूनः उत्तराखंड में इन दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच सीधी लड़ाई की चर्चाएं है. खबर है कि पार्टी हाईकमान को इन दोनों ही नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई के लिए बीच-बचाव करना पड़ा है. उधर, इस बीच सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी वापस लेने से जुड़ा ऐसा मामला सामने आया है. जिसने इन दोनों नेताओं के बीच की दूरी को लेकर चर्चाएं और भी तेज कर दी है.
बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उस मामले की एसएलपी वापस लेने का शपथ पत्र दिया है, जिसे त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने 2020 में सुप्रीम कोर्ट में लगाया था. दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट ने उमेश कुमार पर देशद्रोह (Umesh Sharma Sedition Case) से जुड़े एक मामले में निर्णय देते हुए उन्हें बरी किया था. दूसरी तरफ तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर घूस लेने से जुड़े आरोप की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां एक तरफ त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की तो वहीं उत्तराखंड सरकार ने भी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई. बताया जा रहा है कि अब इसी मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस एसएलपी को वापस लेने का निर्णय (SLP withdraw from Supreme Court) लिया है.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई है, जबकि इसी मामले में पहले से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेस उमेश कुमार और त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेस हरेंद्र सिंह रावत की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है. लिहाजा, मामला सुर्खियों में आने के बाद विपक्ष हमलावर हो गई है.
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आम आदमी पार्टी बोली आपस में लड़ रहे बीजेपी नेताः मामले को लेकर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party Uttarakhand) के नेता जोत सिंह बिष्ट का कहना है कि बीजेपी नेता आपस में लड़ रहे हैं. इससे जनता का नुकसान हो रहा है, जबकि इससे यह तय हो गया है कि पुष्कर सिंह धामी किस तरह त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्णय को बदलने में जुटे हैं और उनके खिलाफ सीबीआई जांच के भी इच्छुक हैं.
उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच की लड़ाई को विपक्षी दल जोर शोर से उठा रहा है. साथ ही इस पर कई सवाल भी खड़े कर रहा है. वहीं, सरकार से जुड़े लोग विपक्ष के इन आरोपों को गलत करार दे रहे हैं. उनकी जिस तरह से बयान बाजी हो रही है, उस पर पार्टी हाईकमान की नजर है और पार्टी हाईकमान इन नेताओं के संपर्क में भी है.
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बीजेपी को कांग्रेस की चिंताः कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी को आजकल कांग्रेस की बहुत चिंता है, क्योंकि कांग्रेस के लिए बार-बार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के बयान सामने आते रहते हैं, लेकिन कांग्रेस उनसे कुछ सवाल करना चाहती है. उन्होंने कहा कि त्रिवेंद्र रावत की ओर से सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई थी, जिसे नई सरकार वापस लेने की तैयारी कर रही है, इससे बड़ा विवाद गहरा गया है.
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत (Former CM Tirath Singh Rawat) ने भी भ्रष्टाचार को लेकर कहा कि उत्तराखंड में कमीशन खोरी बढ़ गई है. करन माहरा का कहना है कि बीजेपी के कुछ लोग उनके संपर्क में हैं और कहते हैं कि जिस तरह से यूकेएसएसएससी पेपर लीक, पुलिस भर्ती घोटाला हुआ है. विधानसभा में बैक डोर से एंट्री कराई गई.
अंकिता हत्याकांड के बाद बीजेपी कार्यकर्ता निराश, मुख्यमंत्रियों के झगड़े से राज्य को नुकसानः उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंकिता भंडारी हत्याकांड (Ankita Bhandari Murder Case) में वीआईपी को बचाने के लिए सबूत मिटाए गए, इससे बीजेपी का कार्यकर्ता टूट गया है. उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान मुख्यमंत्री के झगड़े की वजह से प्रदेश का नुकसान हो रहा है.
कांग्रेस का कहना है कि सरकार को विकास और अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की दिशा में काम करना चाहिए. लोगों ने विश्वास करके बीजेपी की सरकार बनाई है. ऐसे में बीजेपी का काम विकास करना और लोगों को रोजगार देना है. कांग्रेस ने सवाल उठाते हुए कहा कि बीजेपी सरकार को इस बात का भी जवाब देना चाहिए कि त्रिवेंद्र रावत ने जो एसएलपी दाखिल की थी, उसको वापस लेने का निर्णय नई सरकार ने क्यों लिया?