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कोरोना तय करेगा महाकुंभ-2021 का स्वरूप, जानिए क्यों?

कावंड़ यात्रा निरस्त होने के बाद हरिद्वार कुंभ का आयोजन भी कोरोना पर टिका हुआ है. ऐसे में अगले साल कोरोना वायरस की स्थिति ही महाकुंभ मेला के स्वरूप को तय करेगा.

Haridwar Kumbh 2021
हरिद्वार महाकुंभ 2021
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Published : Jun 27, 2020, 3:53 PM IST

Updated : Jun 27, 2020, 9:26 PM IST

देहरादून: कोरोना वायरस के मद्देनजर कावंड़ यात्रा निरस्त होने के बाद हरिद्वार कुंभ पर भी संशय बना हुआ है. महाकुंभ 2021 को लेकर उत्तराखंड सरकार की तैयारियां तेज गति से चल रही है. हरिद्वार के मेला क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. साधु-संतों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की हुई बैठक में तय समय पर कुंभ कराए जाने का निर्णय लिया गया था. इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए भी निर्णय लेने पर सहमति बनी थी. ऐसे में अगले साल कोरोना वायरस की स्थिति ही महाकुंभ मेला के स्वरूप को तय करेगा.

कुंभ की तैयारियों पर बोलते हुए उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि महाकुंभ मेले को लेकर जो स्वीकृतियां की गईं थीं, उसके अनुसार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार की योजना के तहत नेशनल हाईवे के कार्य भी हो रहे हैं. मदन कौशिक का कहना है कि अखाड़ा परिषद और धार्मिक संस्थाएं महाकुंभ के स्वरूप को तय करती हैं. अखाड़ा परिषद और गंगा सभा की बैठक के बाद जो तय होता है, राज्य सरकार उसी फैसले के हिसाब से तैयारियां करती हैं.

मदन कौशिक के मुताबिक मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों की डेडलाइन दिसंबर 2020 तय की गई थी. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों में हो रही देरी के चलते डेडलाइन को थोड़ा आगे बढ़ाया गया है. इसके साथ ही मेला क्षेत्र में स्थानीय कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.

कोरोना तय करेगा महाकुंभ-2021 का स्वरूप.

ये भी पढ़ें: PM मोदी बोले- पता नहीं कब बनेगी कोरोना की दवा, इसीलिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि महाकुंभ का अपना एक धार्मिक महत्व है. आध्यात्मिक दृष्टि से उसकी एक तिथि तय की जाती है. जिस तरह चारधाम के कपाट खुल गए हैं, उसी तरह महाकुंभ के अनुष्ठान और पूजा यथावत रहना चाहिए. हालांकि महाकुंभ में श्रद्धालु कितने आएंगे, क्या स्वरूप होगा यह राज्य सरकार तय करती है. कोरोना संकट को देखते हुए महाकुंभ का स्वरूप तत्कालीन परिस्थितियां ही तय करेंगी. लेकिन सरकार को अपनी तैयारियां पूरी तरह से मुकम्मल कर लेनी चाहिए.

विशेष ग्रह नक्षत्र के संयोग पर ही कुंभ का आयोजन

वास्तव में कुंभ आयोजित करने के लिए ग्रह नक्षत्रों का एक विशेष समय निर्धारित होता है. जब मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होता है, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यह संयोग 2021 में दिखाई दे रहा है, लेकिन 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है. इसी कारण अखाड़ा परिषद में हरिद्वार महाकुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला है.

हरिद्वार कुंभ में होने हैं 4 शाही स्नान

हरिद्वार में अगले साल 2021 में होने जा रहे कुंभ में चार शाही स्नान होने हैं. पहला शाही स्नान गुरुवार 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन होगा. दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर आयोजित होगा. वहीं, तीसरा शाही स्नान 13 अप्रैल मेष संक्रांति पर आयोजित होगा और आखिरी शाही स्नान वैशाखी 27 अप्रैल चैत्र माह की पूर्णिमा को होगा.

हरिद्वार कुंभ में 6 अन्य स्नान भी प्रस्तावित

हरिद्वार कुंभ में 4 शाही स्नान के अलावा भक्तों के लिए कई अन्य दिन तय हो चुके हैं. प्रमुख स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी को, मौनी अमावस्या 11 फरवरी को दूसरा स्नान, बसंत पंचमी 16 फरवरी को तीसरा स्नान, 27 फरवरी माघ पूर्णिमा को, 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दी नववर्ष के दिन और 21 अप्रैल राम नवमी को भी स्नान के दिन तय किए जा चुके हैं.

देहरादून: कोरोना वायरस के मद्देनजर कावंड़ यात्रा निरस्त होने के बाद हरिद्वार कुंभ पर भी संशय बना हुआ है. महाकुंभ 2021 को लेकर उत्तराखंड सरकार की तैयारियां तेज गति से चल रही है. हरिद्वार के मेला क्षेत्र में स्थायी और अस्थायी निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. साधु-संतों के साथ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की हुई बैठक में तय समय पर कुंभ कराए जाने का निर्णय लिया गया था. इसके साथ ही जरूरत के हिसाब से तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए भी निर्णय लेने पर सहमति बनी थी. ऐसे में अगले साल कोरोना वायरस की स्थिति ही महाकुंभ मेला के स्वरूप को तय करेगा.

कुंभ की तैयारियों पर बोलते हुए उत्तराखंड सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि महाकुंभ मेले को लेकर जो स्वीकृतियां की गईं थीं, उसके अनुसार निर्माण कार्य किए जा रहे हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार की योजना के तहत नेशनल हाईवे के कार्य भी हो रहे हैं. मदन कौशिक का कहना है कि अखाड़ा परिषद और धार्मिक संस्थाएं महाकुंभ के स्वरूप को तय करती हैं. अखाड़ा परिषद और गंगा सभा की बैठक के बाद जो तय होता है, राज्य सरकार उसी फैसले के हिसाब से तैयारियां करती हैं.

मदन कौशिक के मुताबिक मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों की डेडलाइन दिसंबर 2020 तय की गई थी. लेकिन कोरोना और लॉकडाउन के चलते मेला क्षेत्र में निर्माण कार्यों में हो रही देरी के चलते डेडलाइन को थोड़ा आगे बढ़ाया गया है. इसके साथ ही मेला क्षेत्र में स्थानीय कार्यों को समय पर पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है.

कोरोना तय करेगा महाकुंभ-2021 का स्वरूप.

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कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि महाकुंभ का अपना एक धार्मिक महत्व है. आध्यात्मिक दृष्टि से उसकी एक तिथि तय की जाती है. जिस तरह चारधाम के कपाट खुल गए हैं, उसी तरह महाकुंभ के अनुष्ठान और पूजा यथावत रहना चाहिए. हालांकि महाकुंभ में श्रद्धालु कितने आएंगे, क्या स्वरूप होगा यह राज्य सरकार तय करती है. कोरोना संकट को देखते हुए महाकुंभ का स्वरूप तत्कालीन परिस्थितियां ही तय करेंगी. लेकिन सरकार को अपनी तैयारियां पूरी तरह से मुकम्मल कर लेनी चाहिए.

विशेष ग्रह नक्षत्र के संयोग पर ही कुंभ का आयोजन

वास्तव में कुंभ आयोजित करने के लिए ग्रह नक्षत्रों का एक विशेष समय निर्धारित होता है. जब मेष राशि में सूर्य तथा कुंभ राशि में बृहस्पति का प्रवेश होता है, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है. यह संयोग 2021 में दिखाई दे रहा है, लेकिन 2022 में ऐसा कोई संयोग नहीं बनता नजर आ रहा है. इसी कारण अखाड़ा परिषद में हरिद्वार महाकुंभ को 2021 में ही आयोजित किए जाने का फैसला है.

हरिद्वार कुंभ में होने हैं 4 शाही स्नान

हरिद्वार में अगले साल 2021 में होने जा रहे कुंभ में चार शाही स्नान होने हैं. पहला शाही स्नान गुरुवार 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन होगा. दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या पर आयोजित होगा. वहीं, तीसरा शाही स्नान 13 अप्रैल मेष संक्रांति पर आयोजित होगा और आखिरी शाही स्नान वैशाखी 27 अप्रैल चैत्र माह की पूर्णिमा को होगा.

हरिद्वार कुंभ में 6 अन्य स्नान भी प्रस्तावित

हरिद्वार कुंभ में 4 शाही स्नान के अलावा भक्तों के लिए कई अन्य दिन तय हो चुके हैं. प्रमुख स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी को, मौनी अमावस्या 11 फरवरी को दूसरा स्नान, बसंत पंचमी 16 फरवरी को तीसरा स्नान, 27 फरवरी माघ पूर्णिमा को, 13 अप्रैल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा यानी हिन्दी नववर्ष के दिन और 21 अप्रैल राम नवमी को भी स्नान के दिन तय किए जा चुके हैं.

Last Updated : Jun 27, 2020, 9:26 PM IST
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