देहरादून: जिले के कोचिंग सेंटर संचालकों ने सरकार से बिल्डिंग का किराया माफ करने की गुहार लगाई है. कोचिंग सेंटर संचालकों का कहना है कि कोरोना महामारी के चलते सभी सेंटर बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में फीस न मिलने के कारण अधिकतर कोचिंग सेंटर संचालकों को बिल्डिंग का किराया चुकाने में दिक्कते हो रही हैं. संचालकों का कहना है कि क्योंकि अधिकतर कोचिंग संस्थान किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं, ऐसे में मकान मालिक उन पर किराया देने के लिए जोर डाल रहे हैं.
देहरादून प्रेस क्लब में मीडिया से बात करते हुए उत्तराखंड कोचिंग एवं पुस्तकालय संस्थान के अध्यक्ष सविंदर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते कोचिंग संस्थान और पुस्तकालय बंद पड़े हुए हैं. इन संस्थानों से जुड़े संचालक, शिक्षक और रोजगार से जुड़े अन्य लोग बेरोजगार हो गए हैं. इससे कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है.
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उन्होंने बताया कि राज्य के अधिकतर संस्थान किराए के भवनों में चल रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते कोचिंग संस्थान बंद पड़े हुए हैं. सविंदर सिंह ने कहा कि कोचिंग संस्थान आर्थिकी का मजबूत आधार होता है, क्योंकि जो भी छात्र कोचिंग संस्थान में पढ़ने आता है, वह किराए के कमरे में रहते हुए भी अपनी रोजमर्रा की खरीदारी स्थानीय बाजार से करता है. ऐसे में कोचिंग संस्थानों की आर्थिकी को मजबूत करने में अहम भूमिका रहती है.
कोचिंग सेंटर संचालकों की मुख्य मांगें
-सरकार कोचिंग सेंटर संचालकों और पुस्तकालय के किराया माफी के लिए दिशा निर्देश जारी करे.
-कोचिंग संस्थान खुलने के 6 महीने तक 50 प्रतिशत किराया ही लिया जाए, ताकि कोचिंग संस्थानों और पुस्तकालयों को पुनः स्थापित किया जा सके.
-प्रभावित कोचिंग पुस्तकालय, संगठन के संस्थानों के लिए सरकार आर्थिक पैकेज की घोषणा करे, ताकि बेरोजगार हो चुके लोग अपनी आजीविका का निर्वहन कर सकें.