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सीएम बोले-हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत, लागू होगी मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना

देहरादून में हिमालयी औषधी को लेकर एक सेमिनार का आयोजन किया गया. इस मौके पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आयुष क्षेत्र में अभी और शोध की जरूरत है.

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Published : Nov 10, 2019, 8:29 PM IST

हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत

देहरादून: आरोग्य भारती, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय एवं राज्य औषधीय पादप बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में 'लोक स्वास्थ्य परम्परा में हिमालयी क्षेत्र की वनौषधियां' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई. कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आयुष के क्षेत्र में अभी भी शोध किए जाने की जरूरत है, तभी वैश्विक स्वास्थ्य की हमारी संकल्पना को पूर्ण किया जा सकता है. कार्यक्रम में हिमालयी वनस्पतियों के संरक्षण पर चिंतन किया गया.

हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत

पढ़ेंः सीएम त्रिवेंद्र ने तोड़ी 18 सालों से चली आ रही परंपरा, आंदोलनकारियों ने बताया शहीदों का अपमान

संगोष्ठी में पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेशभर में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे पाए जाते हैं. राज्य सरकार भी आयुष को बढ़ावा देने के लगातार प्रयास कर रही है. कृषि क्षेत्र में विकास के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के समान ही मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना लागू होगी. इससे किसानों को तो सुविधा होगी ही साथ ही सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए तहसीलों में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना लाई जाएगी. इससे पहाड़ों और दूरस्थ क्षेत्रों से पलायन रुक सकेगा.

देहरादून: आरोग्य भारती, उत्तराखंड आयुर्वेद विश्विद्यालय एवं राज्य औषधीय पादप बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में 'लोक स्वास्थ्य परम्परा में हिमालयी क्षेत्र की वनौषधियां' विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई. कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि आयुष के क्षेत्र में अभी भी शोध किए जाने की जरूरत है, तभी वैश्विक स्वास्थ्य की हमारी संकल्पना को पूर्ण किया जा सकता है. कार्यक्रम में हिमालयी वनस्पतियों के संरक्षण पर चिंतन किया गया.

हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत

पढ़ेंः सीएम त्रिवेंद्र ने तोड़ी 18 सालों से चली आ रही परंपरा, आंदोलनकारियों ने बताया शहीदों का अपमान

संगोष्ठी में पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि प्रदेशभर में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे पाए जाते हैं. राज्य सरकार भी आयुष को बढ़ावा देने के लगातार प्रयास कर रही है. कृषि क्षेत्र में विकास के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के समान ही मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना लागू होगी. इससे किसानों को तो सुविधा होगी ही साथ ही सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए तहसीलों में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना लाई जाएगी. इससे पहाड़ों और दूरस्थ क्षेत्रों से पलायन रुक सकेगा.

Intro:summary- देहरादून में आरोग्य भारती, उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्विद्यालय एवं राज्य औषधीय पादप बोर्ड, उत्तराखण्ड, देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘लोक स्वास्थ्य परम्परा में हिमालयी क्षेत्र की वनौषधियां‘‘ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित हुई...इस दौरान हिमालयी वनस्पतियों पर चिंतन किया गया....


Body:पिछले कुछ समय में आयुष चिकित्सा का बेहद तेजी से प्रचार-प्रसार हुआ है...आयुष पद्दति में साइड इफेक्ट न होने के कारण इस पद्धति को विदेशों ने भी अपनाना शुरू कर दिया है। इसके लिए विदेशों में वैलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं। 
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेशभर में विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे पाए जाते हैं। आयुष के क्षेत्र में अभी भी शोध किए जाने की जरूरत है, तभी वैश्विक स्वास्थ्य की हमारी संकल्पना को पूर्ण किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी आयुष को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में विकास के लिए राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के समान ही मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना लागू होगी। इससे किसानों को काफी सुविधा होगी। इसके साथ ही सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए सीमांत तहसीलों में मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना लाई जाएगी। इससे पहाड़ों और दूरस्थ क्षेत्रों से पलायन रुक सकेगा और इससे रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा मिलेगा। इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि इसका सुझाव उन्हें सैनिक सम्मेलन में प्राप्त हुआ था। 

बाइट-त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री , उत्तराखंड


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