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14 वर्ष बाद जानकी सेतु का सपना हुआ साकार, CM आज करेंगे लोकार्पण - janki setu rishikesh news

आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जानकी सेतु का लोकार्पण करेंगे. ऋषिकेश में कैलाश गेट के पास बने जानकी सेतु का निर्माण 2006 में शुरू होना था. राजनीतिक उठापटक के कारण इस पुल को बनने में 14 वर्ष लग गए.

janki setu rishikesh
जानकी सेतु बनकर तैयार.
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Published : Nov 20, 2020, 10:14 AM IST

ऋषिकेश: 14 वर्ष बाद जानकी सेतु का सपना साकार हुआ है. जी हां 2006 में मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी के द्वारा स्वर्ग आश्रम और मुनि की रेती को जोड़ने के लिए जानकी सेतु बनाने का ऐलान किया गया था. लेकिन राजनीतिक उठापटक के कारण इस पुल को बनने में 14 वर्ष लग गए. हालांकि अब जानकी सेतु बनकर तैयार हो गया है. आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जानकी सेतु का लोकार्पण करेंगे और लोगों को इसकी सौगात मिलेगी.

जानकी सेतु बनकर तैयार.

जानें कैसे लग गए इतने वर्ष-

कैलाश गेट के पास बनाये गये जानकी सेतु का निर्माण 2006 में शुरू होना था. जिस समय इस पुल को बनाने की स्वीकृति मिली थी उस समय 15 करोड़ का एस्टीमेट इसके लिए पास किया गया था. लेकिन एनडी तिवारी की सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री बने बीसी खंडूरी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद इस पुल का काम लटक गया. हालांकि एक बार फिर 2012 में कांग्रेस की सरकार बनी तो 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक बार फिर से जानकी सेतु को बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए बजट रिवाइज कर 33 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया.

हरीश रावत ने नहीं दिया ध्यान, त्रिवेंद्र सरकार ने कराया पूरा

हालांकि कुछ समय तक कार्य होने के बाद एक बार फिर इस पुल का कार्य अधर में लटक गया. क्योंकि विजय बहुगुणा की कुर्सी जाने के बाद हरीश रावत ने प्रदेश की कमान संभाली. हरीश रावत ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस उठापटक के बाद अब वर्तमान में बनी भाजपा की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान दिया. इसको बनाने के लिए एक बार फिर बजट को बढ़ाकर लगभग 49 करोड़ रुपये किया गया. इस तरह 14 वर्ष बाद अब जानकी सेतु बनकर तैयार हुआ है.

यह भी पढे़ं-मसूरी में आज से शुरू होगा 'वैली ऑफ वर्ड्स' कार्यक्रम, अवधेशानंद गिरि महाराज करेंगे शिरकत

दरअसल वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री बने सुबोध उनियाल का जानकी सेतु एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. यही कारण है कि लगातार इस ब्रिज को बनाने के लिए सुबोध उनियाल ने हर संभव प्रयास किए.

आकर्षण के साथ रोजगार देगा जानकी पुल
जानकी सेतु के बनने के बाद ऋषिकेश के लोगों के साथ-साथ स्वर्गाश्रम और लक्ष्मण झूला के लोगों को भी काफी सहूलियत मिलेगी. इसके साथ ही कांवड़ मेले के दौरान लोगों को सबसे अधिक जाम की समस्या झेलनी पड़ती है, जिस से निजात मिलने की उम्मीद है. वहीं इस सेतु के बनने के बाद इसके दोनों तरफ लोगों को रोजगार भी मिलेगा. लोग अपने छोटे-छोटे रोजगार इसके आसपास कर सकेंगे. गंगा के ऊपर बना जानकी सेतु काफी आकर्षित करने वाला भी है.

48 करोड़ 85 लाख में बना जानकी पुल
आपको बता दें कि जानकी पुल की कुल लंबाई 346 मीटर है. इसकी चौड़ाई 3.9 मीटर है, जिसको तीन भागों में बांटा गया है. बीच का भाग लोगों की पैदल आवाजाही के लिए रखा गया है. इसके अलावा दोनों किनारों से एक ओर से दोपहिया वाहनों के आने और जाने के लिए व्यवस्था की गई है. इसकी कुल लागत 48 करोड़ 85 लाख आई है.

ऋषिकेश: 14 वर्ष बाद जानकी सेतु का सपना साकार हुआ है. जी हां 2006 में मुख्यमंत्री रहे एनडी तिवारी के द्वारा स्वर्ग आश्रम और मुनि की रेती को जोड़ने के लिए जानकी सेतु बनाने का ऐलान किया गया था. लेकिन राजनीतिक उठापटक के कारण इस पुल को बनने में 14 वर्ष लग गए. हालांकि अब जानकी सेतु बनकर तैयार हो गया है. आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जानकी सेतु का लोकार्पण करेंगे और लोगों को इसकी सौगात मिलेगी.

जानकी सेतु बनकर तैयार.

जानें कैसे लग गए इतने वर्ष-

कैलाश गेट के पास बनाये गये जानकी सेतु का निर्माण 2006 में शुरू होना था. जिस समय इस पुल को बनाने की स्वीकृति मिली थी उस समय 15 करोड़ का एस्टीमेट इसके लिए पास किया गया था. लेकिन एनडी तिवारी की सरकार जाने के बाद मुख्यमंत्री बने बीसी खंडूरी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके बाद इस पुल का काम लटक गया. हालांकि एक बार फिर 2012 में कांग्रेस की सरकार बनी तो 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक बार फिर से जानकी सेतु को बनाने का निर्णय लिया. इसके लिए बजट रिवाइज कर 33 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया.

हरीश रावत ने नहीं दिया ध्यान, त्रिवेंद्र सरकार ने कराया पूरा

हालांकि कुछ समय तक कार्य होने के बाद एक बार फिर इस पुल का कार्य अधर में लटक गया. क्योंकि विजय बहुगुणा की कुर्सी जाने के बाद हरीश रावत ने प्रदेश की कमान संभाली. हरीश रावत ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. इस उठापटक के बाद अब वर्तमान में बनी भाजपा की सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस ओर ध्यान दिया. इसको बनाने के लिए एक बार फिर बजट को बढ़ाकर लगभग 49 करोड़ रुपये किया गया. इस तरह 14 वर्ष बाद अब जानकी सेतु बनकर तैयार हुआ है.

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दरअसल वर्तमान सरकार में कृषि मंत्री बने सुबोध उनियाल का जानकी सेतु एक ड्रीम प्रोजेक्ट है. यही कारण है कि लगातार इस ब्रिज को बनाने के लिए सुबोध उनियाल ने हर संभव प्रयास किए.

आकर्षण के साथ रोजगार देगा जानकी पुल
जानकी सेतु के बनने के बाद ऋषिकेश के लोगों के साथ-साथ स्वर्गाश्रम और लक्ष्मण झूला के लोगों को भी काफी सहूलियत मिलेगी. इसके साथ ही कांवड़ मेले के दौरान लोगों को सबसे अधिक जाम की समस्या झेलनी पड़ती है, जिस से निजात मिलने की उम्मीद है. वहीं इस सेतु के बनने के बाद इसके दोनों तरफ लोगों को रोजगार भी मिलेगा. लोग अपने छोटे-छोटे रोजगार इसके आसपास कर सकेंगे. गंगा के ऊपर बना जानकी सेतु काफी आकर्षित करने वाला भी है.

48 करोड़ 85 लाख में बना जानकी पुल
आपको बता दें कि जानकी पुल की कुल लंबाई 346 मीटर है. इसकी चौड़ाई 3.9 मीटर है, जिसको तीन भागों में बांटा गया है. बीच का भाग लोगों की पैदल आवाजाही के लिए रखा गया है. इसके अलावा दोनों किनारों से एक ओर से दोपहिया वाहनों के आने और जाने के लिए व्यवस्था की गई है. इसकी कुल लागत 48 करोड़ 85 लाख आई है.

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