देहरादून: कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे के बीच उत्तराखंड पहुंचे तमाम लोगों को रिवर्स पलायन के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इसी दिशा में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गढ़वाली बोली में लिखे पत्र के जरिए प्रवासी उत्तराखंडियों को राज्य में ही रहकर स्वरोजगार की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की है.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने आज पौड़ी गढ़वाल के प्रवासियों को भेजे पत्र में लिखा कि हमारे पूर्वजों ने पहाड़ों को काटकर खेत बनाए, उन खेतों को उपजाऊ बनाकर हमारा पालन-पोषण किया है. आज यही खेती हमारी भागम-भाग की जिंदगी के कारण बंजर पड़ी है. जबकि हमारे इन खेतों के उत्पादों की मांग देश व दुनिया में हो रही है. हमारे मंडुवा, झंगोरा, दाल, गहत, राई, जौ, तिल, शहद, गाय का घी व बुरांश के जूस की मांग तेजी से बढ़ रही है. आज जब दुनिया के उद्योगपति भी अपनी खेती पर ध्यान दे रहे हैं तो हम क्यों न अपनी खेती को अपने जीवन यापन का आधार बनाएं.
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मुख्यमंत्री ने आगे लिखा कि राज्य सरकार स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए अनेक सुविधाएं दे रही है. जैसे होम स्टे, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, बागवानी, उद्यानीकरण, सब्जी उत्पादन, मसाला फसलों का उत्पादन और पुष्प उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर रही है. यही नहीं इन उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही इसके विपणन की भी व्यवस्था की जा रही है.
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मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से कहा कि मंडुआ के लड्डू, बिस्कुट, केक, झंगोरा की खीर व लड्डू की भी बाजार में बड़ी मांग है. यह मांग तभी पूरी हो सकती है, जब हम अपनी परंपरागत खेती के प्रति ध्यान देकर उसे बढ़ावा देंगे. यदि हमारे प्रवासी बंधु अपने घर में रहकर यह कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए राज्य सरकार उनकी पूर्ण रूप से मदद करने के लिए तैयार है. मुख्यमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि अपने गांव को लौटे लोग अपने स्वयं का कार्य आरंभ कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे, इसमें सरकार प्रतिबद्धता के साथ उनका सहयोगी रहेगी.