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सीएम त्रिवेंद्र ने शुगर मिल को जल्द पीपीपी मोड में संचालित करने के दिए निर्देश

शुगर फेडरेशन के एमडी को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सितारगंज चीनी मिल को पीपीपी के तहत संचालित करने संबंधी प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश हैं. साथ ही सितारगंज के कैलाश नदी क्षेत्र में खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु एनओसी निर्गत करने के लिये एमडी सिडकुल को भी निर्देशित किया गया है.

देहरादून
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत बैठक
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Published : Nov 5, 2020, 9:31 PM IST

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुगर फेडरेशन के एमडी को सितारगंज चीनी मिल को पीपीपी के तहत संचालित करने संबंधी प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश हैं. साथ ही सितारगंज के कैलाश नदी क्षेत्र में खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु एनओसी निर्गत करने के लिये एमडी सिडकुल को भी निर्देशित किया गया है. मुख्यमंत्री ने सितारगंज क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.

देहरादून
सितारगंज समस्या को लेकर बैठक में चर्चा

गुरुवार को सचिवालय में सितारगंज क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने क्षेत्रीय समस्याओं के त्वरित समाधान के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सितारगंज चीनी मिल को दीर्घ कालिक लीज पर दिये जाने तथा विनिवेशक को मिल परिसर में अनुपूरक इकाईयों की स्थापना आदि के सम्बन्ध में पूर्व में सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है. ऐसे में मिल को दीर्घ कालिक लीज पर दिये जाने के साथ पीपीपी संचालित करने प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.

ये भी पढ़ें: देहरादून की आबोहवा फिर होने लगी जहरीली, जानिए शहर में प्रदूषण का स्तर

इस मामले में प्रबंध निदेशक शुगर फेडरेशन चंद्रेश यादव ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि चीनी मिल की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट एवं आरएफपी तैयार करने हेतु नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को कार्यदायी संस्था नामित किया गया था. उनके द्वारा आरएफपी तैयार कर उपलब्ध करा दी गई है. जिसे नियोजन विभाग के परामर्श से प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने हेतु निर्धारित शुल्क के साथ नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को भेजा गया है. ऐसे में 30 नवम्बर तक रिपोर्ट उपलब्ध आने की संभावना है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सितारगंज की कैलाश नदी के खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु एमडी सिडकुल को निर्देश देते हुए कहा कि नदियों की रीवर ट्रेडिंग से नदियों में एकत्र सामग्री की सफाई भी होती है. इससे सतह ऊंची होने से बरसात में नदी के बहाव से नदी क्षेत्रों को होने वाले नुकसान को भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसलिए नदी क्षेत्र में खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु जल्द ही एनओसी दी जाए.

देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शुगर फेडरेशन के एमडी को सितारगंज चीनी मिल को पीपीपी के तहत संचालित करने संबंधी प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश हैं. साथ ही सितारगंज के कैलाश नदी क्षेत्र में खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु एनओसी निर्गत करने के लिये एमडी सिडकुल को भी निर्देशित किया गया है. मुख्यमंत्री ने सितारगंज क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं.

देहरादून
सितारगंज समस्या को लेकर बैठक में चर्चा

गुरुवार को सचिवालय में सितारगंज क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं के समाधान के सम्बन्ध में आयोजित बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने क्षेत्रीय समस्याओं के त्वरित समाधान के अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि सितारगंज चीनी मिल को दीर्घ कालिक लीज पर दिये जाने तथा विनिवेशक को मिल परिसर में अनुपूरक इकाईयों की स्थापना आदि के सम्बन्ध में पूर्व में सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है. ऐसे में मिल को दीर्घ कालिक लीज पर दिये जाने के साथ पीपीपी संचालित करने प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.

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इस मामले में प्रबंध निदेशक शुगर फेडरेशन चंद्रेश यादव ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि चीनी मिल की विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट एवं आरएफपी तैयार करने हेतु नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को कार्यदायी संस्था नामित किया गया था. उनके द्वारा आरएफपी तैयार कर उपलब्ध करा दी गई है. जिसे नियोजन विभाग के परामर्श से प्री फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने हेतु निर्धारित शुल्क के साथ नेशनल शुगर इंस्टीट्यूट कानपुर को भेजा गया है. ऐसे में 30 नवम्बर तक रिपोर्ट उपलब्ध आने की संभावना है. जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

वहीं, इस बैठक में मुख्यमंत्री ने सितारगंज की कैलाश नदी के खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु एमडी सिडकुल को निर्देश देते हुए कहा कि नदियों की रीवर ट्रेडिंग से नदियों में एकत्र सामग्री की सफाई भी होती है. इससे सतह ऊंची होने से बरसात में नदी के बहाव से नदी क्षेत्रों को होने वाले नुकसान को भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसलिए नदी क्षेत्र में खनन पट्टों की स्वीकृति हेतु जल्द ही एनओसी दी जाए.

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