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हरेला पर सीएम धामी की लोगों से अपील, 'मुझे बुके नहीं बल्कि पौधा करें भेंट' - हरेला पर्व पर पौधारोपण

हरेला पर्व (harela festival) पर आज पूरे उत्तराखंड में पौधरोपण (plantation on harela festival) किया गया. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) ने कई कार्यक्रमों को शिरकत कर पौधरोपण (plantation) किया. इस दौरान उन्होंने लोगों से अपील की वे उन्हें बुके नहीं, बल्कि पौधा भेंट करें.

CM pushkar singh dhami
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
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Published : Jul 16, 2021, 3:37 PM IST

देहरादून: हरेला पर्व (harela festival) पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) ने सहस्त्रधारा हेलीपैड के पास एमडीडीए सिटी पार्क में पौधरोपण (plantation) किया. इस दौरान मुख्यमंत्री धामी (pushkar singh dhami) ने सभी को हरेला पर्व की बधाई दी और कहा कि उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला सम्पन्नता, हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का पर्व है. इस मौके पर वन और पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत मौजूद थे.

सीएम धामी ने कहा कि यह पर्व (harela festival) हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का प्रतीक है. पर्यावरण संरक्षण सब सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. पौधरोपण (plantation) का कार्यक्रम केवल सरकारी कार्यक्रम तक ही सीमित न रहे. इसे जन-जन का कार्यक्रम बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए.

पढ़ें- हरेला पर्व पर CM धामी ने किया पौधरोपण, पारंपरिक विरासत को आगे बढ़ाने का दिया संदेश

मुख्यमंत्री ने कहा कि पौधरोपण के साथ ही उनका संरक्षण हो इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. सीएम पुष्कर सिंह धामी (ushkar singh dhami) ने जनता से आग्रह किया कि उन्हें भेंट के दौरान लोग बुके नहीं, बल्कि पौधा दें. उसकी वे नर्सरी में रखेगे और लोगों से लगवाने का काम करेगे. हरेला पर्व (harela festival) पर सभी को पौधरोपण करने को लेकर संकल्प लेना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए. हमारी भावी पीढ़ी को हरा भरा उत्तराखंड मिले, इस दिशा में हमें लगातार प्रयास करने होंगे. जल स्रोतों के सूखने पर मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में प्रयास करने होंगे.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृति और प्रकृति का केंद्र भी है. उत्तराखंड की धरती से पर्यावरण संरक्षण का संदेश विश्वभर में जाए. वृक्षारोपण और अनेक सामाजिक कार्यों से हम सबको अपना योगदान देना होगा. उत्तराखंड बनने के बाद यहां की धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाज का व्यापक प्रसार-पसार हुआ है.

पढ़ें- पर्यावरण के संरक्षण का पर्व हरेला आज, जानिए इसका महत्व और परंपरा

इस दौरान वन और पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार विकास के साथ पर्यावरण संतुलन के लिए प्रयास कर रही हैं. उत्तराखंड का संतुलित विकास हो यह सबकी जिम्मेदारी है. कुछ कार्य आत्म संतुष्टि के लिए भी होने चाहिए. मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम आज सबके सामने है. प्रकृति अनेक रूपों में बदला जरूर लेती है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती लोगों की आस्था का केंद्र है.

देहरादून: हरेला पर्व (harela festival) पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM pushkar singh dhami) ने सहस्त्रधारा हेलीपैड के पास एमडीडीए सिटी पार्क में पौधरोपण (plantation) किया. इस दौरान मुख्यमंत्री धामी (pushkar singh dhami) ने सभी को हरेला पर्व की बधाई दी और कहा कि उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला सम्पन्नता, हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का पर्व है. इस मौके पर वन और पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत मौजूद थे.

सीएम धामी ने कहा कि यह पर्व (harela festival) हमारी सांस्कृतिक धरोहर और परंपरा का प्रतीक है. पर्यावरण संरक्षण सब सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. पौधरोपण (plantation) का कार्यक्रम केवल सरकारी कार्यक्रम तक ही सीमित न रहे. इसे जन-जन का कार्यक्रम बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि पौधरोपण के साथ ही उनका संरक्षण हो इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. सीएम पुष्कर सिंह धामी (ushkar singh dhami) ने जनता से आग्रह किया कि उन्हें भेंट के दौरान लोग बुके नहीं, बल्कि पौधा दें. उसकी वे नर्सरी में रखेगे और लोगों से लगवाने का काम करेगे. हरेला पर्व (harela festival) पर सभी को पौधरोपण करने को लेकर संकल्प लेना चाहिए.

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक सराहनीय प्रयास किए गए. हमारी भावी पीढ़ी को हरा भरा उत्तराखंड मिले, इस दिशा में हमें लगातार प्रयास करने होंगे. जल स्रोतों के सूखने पर मुख्यमंत्री ने चिंता जताते हुए कहा कि जल स्रोतों के पुनर्जीवन की दिशा में प्रयास करने होंगे.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृति और प्रकृति का केंद्र भी है. उत्तराखंड की धरती से पर्यावरण संरक्षण का संदेश विश्वभर में जाए. वृक्षारोपण और अनेक सामाजिक कार्यों से हम सबको अपना योगदान देना होगा. उत्तराखंड बनने के बाद यहां की धार्मिक परंपराओं और रीति रिवाज का व्यापक प्रसार-पसार हुआ है.

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इस दौरान वन और पर्यावरण मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि सरकार विकास के साथ पर्यावरण संतुलन के लिए प्रयास कर रही हैं. उत्तराखंड का संतुलित विकास हो यह सबकी जिम्मेदारी है. कुछ कार्य आत्म संतुष्टि के लिए भी होने चाहिए. मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का परिणाम आज सबके सामने है. प्रकृति अनेक रूपों में बदला जरूर लेती है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की धरती लोगों की आस्था का केंद्र है.

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