देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय में अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में तराई क्षेत्र से उच्च हिमालयी क्षेत्रों तक टाइगर की उपस्थिति स्थानीय निवासियों की सक्रिय संरक्षण भागीदारी का परिणाम है.
कार्यक्रम में सीएम ने कहा राज्य में 2006 में 178 बाघों की संख्या थी, जो 2018 में 442 दर्ज की गई है. जो राज्य वासियों की टाइगर संरक्षण में निभाई जा रही भागीदारी को दर्शाता है. मुख्यमंत्री ने मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के दिशा निर्देश दिए.
अंतरराष्ट्रीय टाइगर दिवस के मौके पर उन्होंने राज्य में बाघों की बढ़ती संख्या पर खुशी जाहिर की. मुख्यमंत्री ने प्रदेश में मानव वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिये अन्य राज्यों द्वारा की जा रही व्यवस्थाओं एवं उपायों का भी अधिकारियों को अध्ययन करने को कहा.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड के पहले नर टाइगर, जिसका कार्बेट से राजाजी में रि-इन्ट्रोडक्शन किया गया था, उसके चित्र का अनावरण किया. मुख्यमंत्री ने राज्य में टाइगरों की संख्या में बढ़ोत्तरी तथा टाइगर सफारी को पर्यटन के लिये भी सुखद बताया. उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पर्यटकों का आवागमन प्रदेश की आर्थिकी को भी मजबूती प्रदान करेगा.
वहीं, वन मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के तराई-भाबर क्षेत्र के टाइगर रिजर्व में बाघों का घनत्व देश में सर्वाधिक है. प्रदेश में टाइगरों की उपस्थिति तराई-भाबर के अलावा उच्च हिमालयी क्षेत्र, केदारनाथ एवं अस्कोट वन्य जीव विहार के कैमरों में ट्रेप की गई है. यह टाइगरों के निवास स्थलों के बढ़ने के भी संकेत है. वन मंत्री ने कहा कि पारस्थितिकी तंत्र में वन्य जीवों के उच्च स्तर पर भोजन श्रृंखला, निचले स्तर भोजन स्तर की सुदृढ़ता का परिचायक है. उन्होंने कहा कि टाइगर सफारी पाखरो से भी आर्थिकी को बढ़ावा मिलेगा.