देहरादून: उत्तराखंड सरकार के लिए जून की डेडलाइन बड़ी चिंता बनी हुई है. दरअसल, जीएसटी व्यवस्था के लागू होने के बाद उत्तराखंड राजस्व कलेक्शन में काफी पिछड़ा है. जिसके एवज में केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को हजारों करोड़ की प्रतिपूर्ति मिल रही है. लेकिन अब जून के बाद केंद्र राज्यों को प्रतिपूर्ति देना बंद कर देगा. यही चिंता राज्य के लिए मुसीबत बनी हुई. यही कारण है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को जीएसटी काउंसिल की बैठक से पहले दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ी है.
सीएम धामी के अचानक दिल्ली पहुंचने का राज: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से एकाएक मिलना कोई सामान्य घटनाक्रम नहीं है. दरअसल धामी की दिल्ली दौड़ के पीछे की वजह जीएसटी को माना जा रहा है. इसी महीने के अंत में जीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है. इसमें देशभर के प्रतिनिधि शामिल होंगे. सीएम धामी की चिंता राज्य को मिलने वाली उस जीएसटी प्रतिपूर्ति को लेकर है, जिसका समय इसी महीने खत्म होने जा रहा है.
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GST प्रतिपूर्ति खत्म हुई तो होगा इतना नुकसान: अब सवाल यह है कि जीएसटी प्रतिपूर्ति राज्य के लिए इतनी जरूरी क्यों है कि मुख्यमंत्री को दिल्ली की दौड़ लगाकर प्रधानमंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों के सामने फरियाद करनी पड़ रही है. आपको बता दें कि उत्तराखंड में जीएसटी लागू होने के बाद राजस्व को लेकर भारी नुकसान हुआ है. इस नुकसान से राहत देने के लिए भारत सरकार प्रदेश को करीब 4,500 से 5,000 करोड़ तक की प्रतिपूर्ति देती है.
आय के नए साधन ढूंढ रही उत्तराखंड सरकार: अंदाजा लगाइए कि इतनी बड़ी रकम मिलने के बाद भी राज्य को हर साल सैकड़ों करोड़ का कर्ज लेना पड़ रहा है. ऐसे में यदि भारत सरकार यह रकम देना भी बंद कर दे, तो प्रदेश के वित्तीय हालात कहां पहुंच जाएंगे. बस यही डर है, जिसके कारण मुख्यमंत्री को दिल्ली की दौड़ लगानी पड़ी. जीएसटी को लेकर देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने अपना विरोध भी दर्ज कराया, लेकिन उत्तराखंड में जीएसटी साल 2017 जुलाई से लागू कर दी गई. उत्तराखंड की सचिव वित्त सौजन्या के मुताबिक राज्य सरकार नए प्रयासों से अधिक से अधिक राजस्व हासिल करने का प्रयास कर रही है.
5000 करोड़ का घाटा कर देगा अर्थव्यवस्था को चौपट: नई कर व्यवस्था में उत्तराखंड को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान हो रहा है. जिसके एवज में करीब 5,000 करोड़ केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को हो रहे नुकसान की प्रतिपूर्ति के रूप में दिये जा रहे हैं. अब चिंता इस बात की है कि जून के बाद से केंद्र सरकार इस प्रतिपूर्ति को देना बंद कर देगी. ऐसे में राज्य को हर साल हजारों करोड़ के नुकसान से गुजरना होगा. राज्य सरकार जानती है कि प्रतिपूर्ति नहीं मिली तो प्रदेश में तनख्वाह देने के भी लाले पड़ जाएंगे.
अब पीएम मोदी का ही सहारा है: इसके लिए वित्त मंत्री स्तर पर मुख्यमंत्री से भी बातचीत की गई है. लिहाजा अब राज्य सरकार को केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ही उम्मीद है. राज्य के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड को तवज्जो देते आए हैं. उन्हें उम्मीद है कि जब केंद्र के सामने राज्य सरकार दरख्वास्त करेगी, तब प्रधानमंत्री उत्तराखंड की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए राज्य के लिए राजस्व के रूप में कुछ विशेष व्यवस्था करेंगे.
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GST से पहले तेजी से बढ़ रही थी राज्य की अर्थव्यवस्था: आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राज्य हर साल करीब 19 फीसदी की टैक्स में बढ़ोत्तरी कर रहा था. साल 2000 से 2017 तक प्रदेश में टैक्स में करीब 31 गुना की बढ़ोत्तरी की गई थी. यानी 250 करोड़ से शुरुआत करते हुए उत्तराखंड टैक्स वसूली में ₹7,200 करोड़ तक पहुंच चुका था. लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद राज्य कर वसूली में पिछड़ता चला गया है.