देहरादून: सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारंभ कर दिया है. योजना के तहत पहले चरण में लाभार्थी बच्चों को प्रत्येक माह डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के जरिए 3 हजार रुपये दिए जाएंगे. इस पैसे से सभी लाभार्थी बच्चों को आर्थिक सहायता के साथ-साथ उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं की प्रदान की जाएंगी. उत्तराखंड में कोविड में अनाथ हुए कुल 2347 बच्चों को योजना का लाभ मिलेगा. अभी शुरुआत में 640 बच्चों के सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो गई है, इन बच्चों के बैंक अकाउंट भी खोल दिए गये हैं. अन्य बच्चों का संबंधित जिलों के जिलाधिकारियों के माध्यम से सत्यापन कराया जा रहा है.
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना (Mukhyamantri Vatsalya Yojana) उत्तराखंड सरकार की महत्वकांक्षी योजना है. इस योजना के तहत कोविड-19 या अन्य बीमारियों से माता-पिता या संरक्षक की मृत्यु से प्रभावित बच्चों के कल्याण के लिए है. इस योजना के अंतर्गत सभी प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल-अचल संपत्ति और उत्तराधिकारों की रक्षा के लिए समस्त जिलाधिकारियों संरक्षक अधिकारी नामित किया गया है. इस योजना का प्रदेश के सभी जिलों में एक साथ शुभारंभ किया गया है.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली योजना होगी, जिसमें हम चाहते हैं कि योजना में आच्छादित बच्चों की संख्या इतनी ही बनी रहे और किसी बच्चे को इसकी जरूरत न हो, फिर भी हम इनकी पूरी देखभाल करेंगे. ये बच्चे पूरे प्रदेश की पहचान बनेंगे. अपने-अपने क्षेत्र में वे लीडर बनेंगे. पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का उदाहरण देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि अभावों में संघर्ष करने वाले अपनी संकल्प शक्ति से आसमान को छूते हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में चयनित बच्चों को प्रति माह 3-3 हजार रूपए की सहायता राशि दी जा रही है. इसके साथ ही इन्हें निःशुल्क राशन, निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है. जिलों के डीएम इन बच्चों की संपत्ति का संरक्षण भी करेंगे. अनाथ बच्चों के लिए नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. सरकार इन बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान देगी.
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के संचालन के लिए एमआईएस पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसमें समस्त बच्चों का विवरण जनपदों द्वारा ऑनलाइन भरा जाएगा. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजनान्तर्गत प्रतिमाह 3 हजार रुपए के मानकानुसार जुलाई, 2021 से प्रारम्भ करते हुए निदेशालय द्वारा पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी के माध्यम से सीधे चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में धनराशि भेजी जायेगी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इण्टरमीडिएट की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाली बालिका निकेतन की कुमारी तारा एवं कुमारी स्मृति को सम्मानित भी किया. बालिका निकेतन की छात्राओं ने मुख्यमंत्री एवं अतिथियों को स्वनिर्मित पेंटिंग भेंट की.
योजना का बढ़ाया दायरा: वहीं, योजना का दायरा बढ़ाते हुए कोविड के अलावा अन्य बीमारियों से माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मौत पर अनाथ हुए बच्चों को भी उत्तराखंड सरकार योजना का लाभ दे रही है. वात्सल्य योजना का दायरा इसलिए बढ़ाया गया है. क्योंकि कुछ लोगों की कोविड जांच रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो गई थी. ऐसे में पीड़ितों को राहत देने के लिए कोविड काल में जो भी बच्चा अनाथ हुआ है उसे इस दायरे में लाया जा रहा है.
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देहरादून जिले से सबसे ज्यादा चिन्हित: राज्य सरकार की तरफ से प्रत्येक बच्चे को ₹3000 देते हुए अब तक कुल 31 लाख 86 हजार की रकम लाभार्थियों के खातों में स्थानांतरित की जा चुकी है. कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों में देहरादून में सबसे अधिक 561 बच्चे चिन्हित किये गए हैं. वहीं, बागेश्वर में 68, नैनीताल में 216, चमोली में 54, उधम सिंह नगर में 242, चंपावत में 98, टिहरी गढ़वाल में 252, पिथौरागढ़ में 65, रुद्रप्रयाग में 76, अल्मोड़ा में 152, हरिद्वार में 230, पौड़ी गढ़वाल 213 और उत्तरकाशी में 120 निराश्रित बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में चयनित किया गया है.
मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना: कोरोना या किसी अन्य बीमारी से जिन बच्चों के माता-पिता का निधन हो चुका है. मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के तहत प्रत्येक चयनित लाभार्थी को प्रति माह ₹3000 हजार आर्थिक सहायता दी जाएगी. लाभार्थी की आयु 21 वर्ष से कम होनी चाहिए. योजना के तहत 1 मार्च 2020 से 31 मार्च 2022 की अवधि में कोरोना या अन्य बीमारी से माता-पिता दोनों की मृत्यु होना, माता- पिता में से किसी एक की कोरोना से मृत्यु होना, बच्चे के माता-पिता की पूर्व में मृत्यु हो चुकी हो व उसके संरक्षक की भी मृत्यु हो गई हो.
पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन: इसके अलावा पीएम केयर्स फॉर चिल्ड्रन योजना के तहत भी कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खो चुके बच्चों को सहायता दी जा रही है. इन बच्चों को 18 साल की उम्र तक आयुष्मान भारत योजना के तहत पांच लाख का हेल्थ इंश्योरेंस दिया जा रहा है. इसके अलावा 18 साल की उम्र में मासिक छात्रवृत्ति एवं 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख का फंड दिया जाएगा.