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ईसाई समुदाय ने कब्रिस्तान को लेकर जताई नाराजगी, बोले- धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ है निर्णय

कैरल का कहना है कि एंग्लो इंडियन विधायक द्वारा ईसाई कब्रिस्तान में विद्युत संचालित मशीनों को लगाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, क्योंकि ईसाई समुदाय में अंतिम संस्कार की यह परंपरा नहीं रही है.

Dehradun
एंग्लो इंडियन विधायक द्वारा लिए गए निर्णय पर जताई नाराजगी
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Published : Aug 11, 2021, 8:29 AM IST

Updated : Aug 11, 2021, 9:09 AM IST

देहरादून: ईसाई समुदाय ने कब्रिस्तान में एंग्लो इंडियन विधायक के हस्तक्षेप पर नाराजगी व्यक्त की है. इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह कब्रिस्तान ईसाई समुदाय का है. ऐसे में एंगलो इंडियंस का इसमें हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

गौर हो कि देहरादून स्थित इसाई समुदाय का कब्रिस्तान है, जिसका इतिहास 200 साल पुराना है. चंदन नगर स्थित समुदाय के ग्रेव्यार्ड को देहरादून सेमेट्री यानी अंग्रेजी कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है और जिस का संचालन समय-समय पर कई समितियों द्वारा किया जाता रहा है. लेकिन विगत 20 वर्षों और उससे अधिक समय से इन कब्रिस्तानों के संचालन में कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं.

ईसाई समुदाय ने कब्रिस्तान को लेकर जताई नाराजगी.

वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल से कैरल ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में एंग्लो इंडियन विधायक ने अपने पत्र में ईसाई समुदाय के चंदन नगर स्थित देहरादून सैमेट्री और उत्तराखंड शासन द्वारा स्वीकृत समुदाय की कब्रिस्तान हेतु मिली भूमि पर विद्युत संचालित शवदाह मशीन को स्थापित करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें-'हैट्रिक गर्ल' से मिले तीरथ रावत, कहा- वंदना ने देवभूमि को दिलाई नई पहचान

इस संबंध में ईसाई समुदाय से ना तो कोई सुझाव लिए गए और ना ही उनके साथ कोई बैठक की गई. जो अपने आप में आश्चर्यजनक है. कैरल का कहना है कि एंग्लो इंडियन विधायक द्वारा ईसाई कब्रिस्तान में विद्युत संचालित मशीनों को लगाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, क्योंकि ईसाई समुदाय में अंतिम संस्कार की यह परंपरा नहीं रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि 200 वर्ष पुराने कब्रिस्तान को एंग्लो इंडियन विधायक ने कैसे अपने कब्जे में कर लिया और कब्रिस्तान के कोषाध्यक्ष कब्रिस्तान समिति की सहमति से एक बड़ी रकम दफन क्रिया के लिए लेते हैं.

पढ़ें-निजी अस्पतालों ने मरीजों को जमकर लूटा, सरकार की पहल पर वापस मिले डेढ़ करोड़ रुपए

जिसकी रसीदें उनके पास मौजूद हैं.उन्होंने कब्रिस्तान के संचालन में घोर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कब्रिस्तान समिति और उनके पदाधिकारियों द्वारा वित्तीय लेखा परीक्षण के अलावा 20 वर्षों के आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से की जानी चाहिए.

इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ समय पूर्व दोनों कब्रिस्तान समिति के सदस्यों ने एक ईसाई समुदाय की महिला को मिट्टी देने से मना कर दिया था. जिसके बाद इस विषय को सिटी मजिस्ट्रेट और कोतवाल के समक्ष रखा गया तब जाकर कहीं महिला का अंतिम संस्कार किया गया, ऐसे में गरीबों के लिए काफी दिक्कत खड़ी हो गई है. अपनी इस पीड़ा को लेकर इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल ने मुख्य सचिव, देहरादून के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को भी एक पत्र प्रेषित किया है.

देहरादून: ईसाई समुदाय ने कब्रिस्तान में एंग्लो इंडियन विधायक के हस्तक्षेप पर नाराजगी व्यक्त की है. इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा कि यह कब्रिस्तान ईसाई समुदाय का है. ऐसे में एंगलो इंडियंस का इसमें हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

गौर हो कि देहरादून स्थित इसाई समुदाय का कब्रिस्तान है, जिसका इतिहास 200 साल पुराना है. चंदन नगर स्थित समुदाय के ग्रेव्यार्ड को देहरादून सेमेट्री यानी अंग्रेजी कब्रिस्तान के नाम से जाना जाता है और जिस का संचालन समय-समय पर कई समितियों द्वारा किया जाता रहा है. लेकिन विगत 20 वर्षों और उससे अधिक समय से इन कब्रिस्तानों के संचालन में कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आई हैं.

ईसाई समुदाय ने कब्रिस्तान को लेकर जताई नाराजगी.

वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल से कैरल ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड सरकार में एंग्लो इंडियन विधायक ने अपने पत्र में ईसाई समुदाय के चंदन नगर स्थित देहरादून सैमेट्री और उत्तराखंड शासन द्वारा स्वीकृत समुदाय की कब्रिस्तान हेतु मिली भूमि पर विद्युत संचालित शवदाह मशीन को स्थापित करने का निर्णय लिया है.

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इस संबंध में ईसाई समुदाय से ना तो कोई सुझाव लिए गए और ना ही उनके साथ कोई बैठक की गई. जो अपने आप में आश्चर्यजनक है. कैरल का कहना है कि एंग्लो इंडियन विधायक द्वारा ईसाई कब्रिस्तान में विद्युत संचालित मशीनों को लगाने का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है, क्योंकि ईसाई समुदाय में अंतिम संस्कार की यह परंपरा नहीं रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि 200 वर्ष पुराने कब्रिस्तान को एंग्लो इंडियन विधायक ने कैसे अपने कब्जे में कर लिया और कब्रिस्तान के कोषाध्यक्ष कब्रिस्तान समिति की सहमति से एक बड़ी रकम दफन क्रिया के लिए लेते हैं.

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जिसकी रसीदें उनके पास मौजूद हैं.उन्होंने कब्रिस्तान के संचालन में घोर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है. उन्होंने मांग करते हुए कहा कि कब्रिस्तान समिति और उनके पदाधिकारियों द्वारा वित्तीय लेखा परीक्षण के अलावा 20 वर्षों के आय-व्यय की ऑडिट रिपोर्ट की जांच न्यायिक मजिस्ट्रेट के माध्यम से की जानी चाहिए.

इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि कुछ समय पूर्व दोनों कब्रिस्तान समिति के सदस्यों ने एक ईसाई समुदाय की महिला को मिट्टी देने से मना कर दिया था. जिसके बाद इस विषय को सिटी मजिस्ट्रेट और कोतवाल के समक्ष रखा गया तब जाकर कहीं महिला का अंतिम संस्कार किया गया, ऐसे में गरीबों के लिए काफी दिक्कत खड़ी हो गई है. अपनी इस पीड़ा को लेकर इंडियन क्रिश्चियन काउंसिल ने मुख्य सचिव, देहरादून के जिलाधिकारी और नगर आयुक्त को भी एक पत्र प्रेषित किया है.

Last Updated : Aug 11, 2021, 9:09 AM IST
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