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राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग, दादा के नाम पर हो एएमयू सिटी स्कूल का नाम - राजा महेंद्र प्रताप सिंह का एएमयू कनेक्शन

देहरादून में रह रहे राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशज छत्र प्रताप सिंह ने एएमयू सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखने की मांग की है.

Raja Mahendra Pratap Singh
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग
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Published : Sep 18, 2020, 8:29 PM IST

Updated : Sep 18, 2020, 9:05 PM IST

देहरादून/अलीगढ़: अगर सब कुछ ठीक रहा तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का सिटी स्कूल भविष्य में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से जाना जाएगा. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को करीब ढाई एकड़ जमीन राजा महेंद्र प्रताप ने वर्ष 1929 में लीज पर दी थी. अब राजा महेंद्र प्रताप के वंशजों ने एएमयू प्रशासन से यह मांग की है कि अगर एएमयू सिटी स्कूल की जमीन को वह चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें इस स्कूल का नाम बदलना होगा. देहरादून में रहने वाले उनके पोते छत्र प्रताप सिंह ने एएमयू प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह मांग की है.

बता दें कि राजा महेंद्र प्रताप ने वर्ष 1929 में एएमयू को करीब ढाई एकड़ जमीन लीज पर दी थी. जमीन को 90 साल की लीज पर दिया गया था. अब लीज खत्म होने पर राजा के वंशज की ओर से विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा गया. जिसमें कहा गया कि एएमयू का तिकोनिया पार्क एवं सिटी स्कूल दोनों राजा महेंद्र प्रताप की जमीन पर बने हैं. विश्वविद्यालय को यह जमीन 90 साल पहले लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि 2018 में समाप्त हो गई है. राजा महेंद्र प्रताप ने एएमयू प्रशासन को प्रपोजल दिया गया है कि वे तिकोनिया पार्क की जमीन उनको वापस कर दें. साथ ही उनकी जमीन पर बने यूनिवर्सिटी के सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से किया जाए. वर्तमान में यह जमीन एएमयू कैंपस से लगभग चार किलोमीटर दूर पुराने शहर अलीगढ़ के जीटी रोड पर सिटी हाई स्कूल के खेल मैदान के रूप में इस्तेमाल हो रही है.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए छत्र प्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके दादा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से उत्तर प्रदेश में एक यूनिवर्सिटी और एक स्कूल भी खुलवाने वाले हैं. छत्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उनके दादा महेंद्र प्रताप ने वृंदावन मथुरा में भी इसी तरह सैकड़ों एकड़ जमीन दी है. जिनपर कई स्कूल और विश्वविद्यालय बने हुए हैं. छत्र प्रताप सिंह का कहना है कि उन्हें बेहद खुशी है कि एएमयू प्रशासन ने उनके इस पत्र पर गंभीरता से न केवल विचार किया है, बल्कि प्रपोजल पर लगभग सहमति भी बन गई है.

Raja Mahendra Pratap Singh
राजा महेंद्र प्रताप सिंह.

ये भी पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

छत्र प्रताप बताते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने और उसको जमीन देने में बड़ा योगदान उनके दादा का रहा है. लिहाजा अगर उनके नाम से अब यह शिक्षा संस्थान जाना जाएगा तो उन्हें बेहद खुशी होगी. उनका कहना है कि लीज के हिसाब से एएमयू जमीन वापस करे या दादा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर स्कूल का नाम रखे. अगर एएमयू प्रशासन उनकी इस बात को नहीं मानता तो हो सकता है कि शिक्षा संस्थान से यह जमीन वापस ले ली जाए. अगर ऐसा होता है तो एमओयू प्रशासन की हजारों एकड़ की जमीन उनके हाथों से निकल जाएगी. लिहाजा उनके पोते को यह भरोसा है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन इस पर जल्द ही कोई विचार कर उन्हें जानकारी देगा. राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग पर एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में वाइस चांसलर एएमयू के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया है.

Raja Mahendra Pratap Singh
एएमयू परिसर में राजा महेंद्र प्रताप सिंह की तस्वीर.

जीटी रोड पर तहसील के पास जिस जमीन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का सिटी स्कूल है, वह मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दो रुपए सालाना के हिसाब से 90 साल के लिए लीज पर दी थी. ढाई साल पहले लीज खत्म हो गई है. अब राजा के वंशजों ने एएमयू से जमीन के बदले राजा के नाम पर स्कूल का नाम रखने का प्रस्ताव दिया था.

उधर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि एएमयू अपने पूर्व छात्र राजा महेंद्र प्रताप के नाम को भुलाना नहीं चाहेगी. ऐसे में उनके नाम पर स्कूल का नाम होना लगभग तय माना जा रहा है. सिटी हाईस्कूल प्रतिष्ठित स्कूल है और एएमयू से जुड़ा हुआ है.

Raja Mahendra Pratap Singh
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सम्मान में जारी डाक टिकट.

जानकारी के मुताबिक सिटी स्कूल के पीछे तिकोना मैदान की जमीन भी राजा महेंद्र प्रताप द्वारा दी गई है, जो इस समय खाली पड़ी है. इस जमीन को एएमयू वापस कर सकती है. इस जमीन की कीमत आज करोड़ों रुपए में है. वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का संपत्ति विभाग इस जमीन के संबंध में लीज के प्रावधानों का अध्ययन करने में जुट गया है.

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप?

महेंद्र प्रताप का जन्म एक दिसंबर 1886 को हुआ. राजा महेंद्र प्रताप सिंह मुरसान के राजा घनश्याम सिंह के तीसरे पुत्र थे. संतान न होने पर हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें गोद ले लिया था. महेंद्र प्रताप मुरसान छोड़कर हाथरस राज्य के राजा बने. हाथरस राज्य का वृंदावन में विशाल महल था, जहां महेंद्र प्रताप का लंबा समय बीता. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजादी की लड़ाई में भी बड़ी भूमिका निभाई थी.

नेता जी के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज की स्थापना

विदेश में रहने के दौरान राजा महेंद्र प्रताप सिंह की मुलाकात नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुई. बातचीत के बाद ही नेताजी के साथ मिलकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजाद हिंद फौज की स्थापनी की. विदेश में रहकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजाद भारत की पहली सरकार का गठन किया और स्वयं राष्ट्रपति भी बनें. वर्ष 1979 में भारत सरकार ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था.

एएमयू से राजा महेंद्र प्रताप का गहरा नाता

  • राजा महेंद्र प्रताप सिंह सर सैयद द्वारा स्थापित मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के 1895 में छात्र रहे थे.
  • मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह का एएमयू से गहरा नाता रहा है.
  • उन्होंने एएमयू से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की.
  • उसके बाद 1914 में वह अफगानिस्तान चले गए और वहीं उन्होंने अपदस्थ सरकार बनाई.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में आजादी से कुछ दिन पहले वह भारत आ गए थे.
  • राजा महेंद्र प्रताप ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा देश के बाहर ही गुजारा.
  • एएमयू इंतजामियां ने 7 जनवरी 1977 को मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के सालाना जलसे में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया और उन्हें सम्मानित भी किया था.
  • राजा महेंद्र प्रताप की मृत्यु 29 अप्रैल 1979 में हो गई थी.

देहरादून/अलीगढ़: अगर सब कुछ ठीक रहा तो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का सिटी स्कूल भविष्य में राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से जाना जाएगा. दरअसल, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को करीब ढाई एकड़ जमीन राजा महेंद्र प्रताप ने वर्ष 1929 में लीज पर दी थी. अब राजा महेंद्र प्रताप के वंशजों ने एएमयू प्रशासन से यह मांग की है कि अगर एएमयू सिटी स्कूल की जमीन को वह चाहते हैं तो इसके लिए उन्हें इस स्कूल का नाम बदलना होगा. देहरादून में रहने वाले उनके पोते छत्र प्रताप सिंह ने एएमयू प्रशासन और उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर यह मांग की है.

बता दें कि राजा महेंद्र प्रताप ने वर्ष 1929 में एएमयू को करीब ढाई एकड़ जमीन लीज पर दी थी. जमीन को 90 साल की लीज पर दिया गया था. अब लीज खत्म होने पर राजा के वंशज की ओर से विश्वविद्यालय को एक पत्र लिखा गया. जिसमें कहा गया कि एएमयू का तिकोनिया पार्क एवं सिटी स्कूल दोनों राजा महेंद्र प्रताप की जमीन पर बने हैं. विश्वविद्यालय को यह जमीन 90 साल पहले लीज पर दी गई थी, जिसकी अवधि 2018 में समाप्त हो गई है. राजा महेंद्र प्रताप ने एएमयू प्रशासन को प्रपोजल दिया गया है कि वे तिकोनिया पार्क की जमीन उनको वापस कर दें. साथ ही उनकी जमीन पर बने यूनिवर्सिटी के सिटी स्कूल का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से किया जाए. वर्तमान में यह जमीन एएमयू कैंपस से लगभग चार किलोमीटर दूर पुराने शहर अलीगढ़ के जीटी रोड पर सिटी हाई स्कूल के खेल मैदान के रूप में इस्तेमाल हो रही है.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग.

ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए छत्र प्रताप सिंह ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके दादा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम से उत्तर प्रदेश में एक यूनिवर्सिटी और एक स्कूल भी खुलवाने वाले हैं. छत्र प्रताप सिंह बताते हैं कि उनके दादा महेंद्र प्रताप ने वृंदावन मथुरा में भी इसी तरह सैकड़ों एकड़ जमीन दी है. जिनपर कई स्कूल और विश्वविद्यालय बने हुए हैं. छत्र प्रताप सिंह का कहना है कि उन्हें बेहद खुशी है कि एएमयू प्रशासन ने उनके इस पत्र पर गंभीरता से न केवल विचार किया है, बल्कि प्रपोजल पर लगभग सहमति भी बन गई है.

Raja Mahendra Pratap Singh
राजा महेंद्र प्रताप सिंह.

ये भी पढ़ें: देहरादून रेलवे स्टेशन के कुली नंबर 145 की कहानी खुद की जुबानी

छत्र प्रताप बताते हैं कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बनाने और उसको जमीन देने में बड़ा योगदान उनके दादा का रहा है. लिहाजा अगर उनके नाम से अब यह शिक्षा संस्थान जाना जाएगा तो उन्हें बेहद खुशी होगी. उनका कहना है कि लीज के हिसाब से एएमयू जमीन वापस करे या दादा राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर स्कूल का नाम रखे. अगर एएमयू प्रशासन उनकी इस बात को नहीं मानता तो हो सकता है कि शिक्षा संस्थान से यह जमीन वापस ले ली जाए. अगर ऐसा होता है तो एमओयू प्रशासन की हजारों एकड़ की जमीन उनके हाथों से निकल जाएगी. लिहाजा उनके पोते को यह भरोसा है कि उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन इस पर जल्द ही कोई विचार कर उन्हें जानकारी देगा. राजा महेंद्र प्रताप सिंह के वंशजों की मांग पर एग्जीक्यूटिव काउंसिल की बैठक में वाइस चांसलर एएमयू के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया गया है.

Raja Mahendra Pratap Singh
एएमयू परिसर में राजा महेंद्र प्रताप सिंह की तस्वीर.

जीटी रोड पर तहसील के पास जिस जमीन पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) का सिटी स्कूल है, वह मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने दो रुपए सालाना के हिसाब से 90 साल के लिए लीज पर दी थी. ढाई साल पहले लीज खत्म हो गई है. अब राजा के वंशजों ने एएमयू से जमीन के बदले राजा के नाम पर स्कूल का नाम रखने का प्रस्ताव दिया था.

उधर, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जनसंपर्क विभाग के सहायक मेंबर इंचार्ज राहत अबरार ने बताया कि एएमयू अपने पूर्व छात्र राजा महेंद्र प्रताप के नाम को भुलाना नहीं चाहेगी. ऐसे में उनके नाम पर स्कूल का नाम होना लगभग तय माना जा रहा है. सिटी हाईस्कूल प्रतिष्ठित स्कूल है और एएमयू से जुड़ा हुआ है.

Raja Mahendra Pratap Singh
राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सम्मान में जारी डाक टिकट.

जानकारी के मुताबिक सिटी स्कूल के पीछे तिकोना मैदान की जमीन भी राजा महेंद्र प्रताप द्वारा दी गई है, जो इस समय खाली पड़ी है. इस जमीन को एएमयू वापस कर सकती है. इस जमीन की कीमत आज करोड़ों रुपए में है. वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का संपत्ति विभाग इस जमीन के संबंध में लीज के प्रावधानों का अध्ययन करने में जुट गया है.

कौन थे राजा महेंद्र प्रताप?

महेंद्र प्रताप का जन्म एक दिसंबर 1886 को हुआ. राजा महेंद्र प्रताप सिंह मुरसान के राजा घनश्याम सिंह के तीसरे पुत्र थे. संतान न होने पर हाथरस के राजा हरनारायण सिंह ने उन्हें गोद ले लिया था. महेंद्र प्रताप मुरसान छोड़कर हाथरस राज्य के राजा बने. हाथरस राज्य का वृंदावन में विशाल महल था, जहां महेंद्र प्रताप का लंबा समय बीता. राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजादी की लड़ाई में भी बड़ी भूमिका निभाई थी.

नेता जी के साथ मिलकर आजाद हिंद फौज की स्थापना

विदेश में रहने के दौरान राजा महेंद्र प्रताप सिंह की मुलाकात नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुई. बातचीत के बाद ही नेताजी के साथ मिलकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजाद हिंद फौज की स्थापनी की. विदेश में रहकर राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने आजाद भारत की पहली सरकार का गठन किया और स्वयं राष्ट्रपति भी बनें. वर्ष 1979 में भारत सरकार ने राजा महेंद्र प्रताप सिंह के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था.

एएमयू से राजा महेंद्र प्रताप का गहरा नाता

  • राजा महेंद्र प्रताप सिंह सर सैयद द्वारा स्थापित मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के 1895 में छात्र रहे थे.
  • मुरसान नरेश राजा महेंद्र प्रताप सिंह का एएमयू से गहरा नाता रहा है.
  • उन्होंने एएमयू से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की.
  • उसके बाद 1914 में वह अफगानिस्तान चले गए और वहीं उन्होंने अपदस्थ सरकार बनाई.
  • द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1946 में आजादी से कुछ दिन पहले वह भारत आ गए थे.
  • राजा महेंद्र प्रताप ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा देश के बाहर ही गुजारा.
  • एएमयू इंतजामियां ने 7 जनवरी 1977 को मोहम्मडन एंग्लो ओरिएंटल कॉलेज के सालाना जलसे में राजा महेंद्र प्रताप सिंह को बतौर मुख्य अतिथि बुलाया और उन्हें सम्मानित भी किया था.
  • राजा महेंद्र प्रताप की मृत्यु 29 अप्रैल 1979 में हो गई थी.
Last Updated : Sep 18, 2020, 9:05 PM IST
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