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बदरीनाथ: SDM विवाद पर चारधाम यात्रा परिषद ने जताई नाराजगी, CM से की बात

23 मई को बदरीनाथ धाम में जोशीमठ के उपजिलाधिकारी वैभव गुप्ता गुजरात धर्मशाला स्थित सीईओ के कक्ष में पहुंचे और उनकी कुर्सी पर बैठ गए थे. जिस पर सीईओ ने आपत्ति जताई थी. इसी बात पर दोनों अधिकारियों के बीच बहस हो गई थी.

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Published : May 25, 2019, 2:55 PM IST

Badrinath Temple

देहरादून: कुर्सी पर बैठने को लेकर जोशीमठ के उपजिलाधिकारी और बीकेटीसी के सीईओ बीच हुए विवाद पर चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष पंडित शिव प्रसाद ममगाईं ने नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इस विवाद के चलते मंदिर से जुड़ी प्रक्रिया करीब दो घंटे तक प्रभावित रही थी. जिस कारण भगवान बदरीनाथ को करीब 2 घंटे की देरी से भोग लगाया गया था. इस दौरान श्रद्धालु भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाए थे, जो गंभीर विषय है.

पढ़ें- बदरीनाथ धाम में न हो चंदन की कमी, इसलिए मुकेश अंबानी ने दान किए 2 करोड़ रुपये और जमीन

ममगाईं ने कहा कि इस को लेकर वे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर चुके हैं. चार धाम विकास परिषद का उपाध्यक्ष होने के नाते उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लिया है. इस तरह के विवाद से बदरी-केदार मंदिर समिति के साथ चारधाम विकास परिषद भी बदनाम होता है. इससे बाहर के आए श्रद्धालुओं को गलत संदेश जाता है. हालांकि उन्होंने उपजिलाधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें भी बीकेटीसी के सीईओ की कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए था.

चारधाम यात्रा परिषद ने जताई नाराजगी

पढ़ें- CM त्रिवेंद्र को आया हाईकमान से बुलावा, नवनिर्वाचित सांसदों के साथ पहुंचे दिल्ली

बता दें कि 23 मई को बदरीनाथ धाम में जोशीमठ के उपजिलाधिकारी वैभव गुप्ता गुजरात धर्मशाला स्थित सीईओ के कक्ष में पहुंचे और उनकी कुर्सी पर बैठ गए थे. जिस पर सीईओ ने आपत्ति जताई थी. इसी बात पर दोनों अधिकारियों के बीच बहस हो गई थी. मामले की सूचना मिलते ही मंदिर समिति के कर्मचारी व आचार्य ब्राह्मण मौके पर पहुंचे और उपजिलाधिकारी के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इस दौरान मंदिर में होने वाली सभी प्रक्रिया रोक दी गई थी. मामला बढ़ता देख उपजिलाधिकारी ने लिखित खेद जताया तब जाकर मामला शांत हुआ था. इसके बाद श्रद्धालुओं को दर्शन करने दिए गए थे.

देहरादून: कुर्सी पर बैठने को लेकर जोशीमठ के उपजिलाधिकारी और बीकेटीसी के सीईओ बीच हुए विवाद पर चारधाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष पंडित शिव प्रसाद ममगाईं ने नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इस विवाद के चलते मंदिर से जुड़ी प्रक्रिया करीब दो घंटे तक प्रभावित रही थी. जिस कारण भगवान बदरीनाथ को करीब 2 घंटे की देरी से भोग लगाया गया था. इस दौरान श्रद्धालु भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाए थे, जो गंभीर विषय है.

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ममगाईं ने कहा कि इस को लेकर वे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात कर चुके हैं. चार धाम विकास परिषद का उपाध्यक्ष होने के नाते उन्होंने इस विषय को गंभीरता से लिया है. इस तरह के विवाद से बदरी-केदार मंदिर समिति के साथ चारधाम विकास परिषद भी बदनाम होता है. इससे बाहर के आए श्रद्धालुओं को गलत संदेश जाता है. हालांकि उन्होंने उपजिलाधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि उन्हें भी बीकेटीसी के सीईओ की कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए था.

चारधाम यात्रा परिषद ने जताई नाराजगी

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बता दें कि 23 मई को बदरीनाथ धाम में जोशीमठ के उपजिलाधिकारी वैभव गुप्ता गुजरात धर्मशाला स्थित सीईओ के कक्ष में पहुंचे और उनकी कुर्सी पर बैठ गए थे. जिस पर सीईओ ने आपत्ति जताई थी. इसी बात पर दोनों अधिकारियों के बीच बहस हो गई थी. मामले की सूचना मिलते ही मंदिर समिति के कर्मचारी व आचार्य ब्राह्मण मौके पर पहुंचे और उपजिलाधिकारी के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इस दौरान मंदिर में होने वाली सभी प्रक्रिया रोक दी गई थी. मामला बढ़ता देख उपजिलाधिकारी ने लिखित खेद जताया तब जाकर मामला शांत हुआ था. इसके बाद श्रद्धालुओं को दर्शन करने दिए गए थे.

Intro: बद्रीनाथ धाम में बीकेटीसी के सीईओ जोशीमठ के एसडीएम के बीच हुए विवाद के बाद चार धाम विकास परिषद के उपाध्यक्ष पंडित शिव प्रसाद ममगाई ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है, उन्होंने कहा कि मंदिर से जुड़ी प्रक्रिया विवाद के चलते 2 घंटे तक प्रभावित रही, और भगवान बद्रीनाथ को 2 घंटे से भी अधिक देरी पर भोग लगाया गया जो कि गंभीर विषय है


Body:चार धाम विकास परिषद उपाध्यक्ष ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि बीती 23 तारीख को बद्रीनाथ धाम मे सीईओ की कुर्सी पर उपजिलाधिकारी के बैठने पर हंगामा हो गया था जिसके बाद वहां आए श्रद्धालुओं को करीब 2 घंटे से भी अधिक देरी तक दर्शनों के लिए इंतजार करना पड़ा, उन्होंने कहा कि इस दौरान लोगों ने उनको कई बार फोन किया कि दर्शन नहीं करने दे जा रहे हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि या तेरे को 2 घंटे से भी अधिक समय तक बद्री विशाल के दर्शन नहीं करने दिए गए, चार धाम उपाध्यक्ष होने के नाते इस मामले को गंभीरता से लिया गया की आखिरी नौबत क्यों आई की यात्रा को दर्शनों के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा यदि इस तरह की घटनाएं मांग घटित हुई है तो इससे बद्री केदार मंदिर समिति के साथ ही चार धाम विकास परिषद भी बदनाम होते हैं। उन्होंने कहा कि एचडी में जैसे अधिकारी जाकर सीओ की कुर्सी में बैठ जाते हैं ऐसे में चाहे कोई भी कर्मचारी अधिकारी हो उसे किसी की भी कुर्सी पर बैठने का कोई भी अधिकार नहीं है, बद्रीनाथ धाम मे पूजा और यात्रियों को विलम से दर्शन कराना और भी बड़ी गलती है। चार धाम विकास परिषद उपाध्यक्ष ने बताया कि महा संपर्क करने की लगातार कोशिश की जा रही है और अन्य लोगों से जानकारी हासिल करने के बाद पता चला है कि 2 घंटे मंदिर को बंद रखा गया जो कि एक गंभीर विषय है ,जिसका गलत संदेश पूरे विश्व में जाएगा , इस विषय को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता हो चुकी है और वहां संपर्क साधा जा रहा है।

बाईट-आचार्य शिव प्रसाद ममगाई, उपाध्यक्ष, चार धाम विकास परिषद।


Conclusion: गौरतलब है कि बीती 23 मई को सीईओ की कुर्सी पर जोशीमठ के एसडीएम के बैठने के बाद हंगामा हो गया था बीकेटीसी के कर्मचारियों ने इसका विरोध करते हुए कार्य बहिष्कार किया, जिसके परिणाम स्वरूप वहां पहुंचे श्रद्धालुओं को भगवान बद्री विशाल के दर्शनों को करीब 2 घंटे तक इंतजार करना पड़ा, वहां वे इस विवाद के बाद चार धाम विकास परिषद उपाध्यक्ष ने अपनी घोर नाराजगी व्यक्त की है और इस संबंध में मुख्यमंत्री से मुलाकात की है।
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