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Navratri 2nd Day 2022: दूसरे दिन करें देवी ब्रह्माचरिणी की पूजा, जानें विधि

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्माचरिणी की पूजा का विधान है. मां दुर्गा की नव शक्तियों का दूसरा स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी का है. यहां ब्रह्म शब्द का अर्थ तपस्या से है और ‘ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली, यानी ये देवी तप का आचरण करने वाली हैं. मां दुर्गा का ये स्वरूप अनन्त फल देने वाला है.

maa brahmacharini
मां ब्रह्माचरिणी की पूजा
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Published : Apr 3, 2022, 5:36 AM IST

देहरादून: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां ब्रह्माचरिणी हिमालय की पुत्री थीं और नारद के उपदेश के बाद भगवान (Chaitra Navratri 2022) शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया, जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है. माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां का यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है.

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: कहते हैं आज जो भी व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है, वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतने की शक्ति हासिल कर सकता है. इससे व्यक्ति के अंदर संयम, धैर्य और परिश्रम करने के लिये मनोबल की भी बढ़ोत्तरी होती है. अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है- ''ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।''
पढ़ें- Chaitra Navratri 2022: हरिद्वार की अधिष्ठात्री मायादेवी के मंदिर में लगा भक्तों का तांता

आज आपको इस मंत्र की कम से कम एक माला, यानि 108 बार जाप करना चाहिए. इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी साथ ही आज माता को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है. इसके साथ ही नौ ग्रहों में से मंगल के ऊपर मां ब्रह्मचारिणी का आधिपत्य रहता है. लिहाजा मंगल सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बड़ा ही लाभदायी होगा.

माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय: आप माता को शक्कर से बनी खीर, मिठाई, हलवा आदि का भोग लगा सकते हैं. अगर आप माता को खीर का भोग लगाना चाहते हैं और आपका व्रत है जिसे आप भी प्रसाद के रूप में खाना चाहते हैं, तो आप साबूदाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. साबूदाने को व्रत के दौरान खूब खाया और पसंद किया जाता है.
पढ़ें- Hindu New Year: हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2079 की शुरुआत, जानिए अपने ग्रहों की स्थिति

माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं.

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

देहरादून: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मां ब्रह्माचरिणी हिमालय की पुत्री थीं और नारद के उपदेश के बाद भगवान (Chaitra Navratri 2022) शिव को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया, जिस कारण इनका नाम तपश्चारिणी अर्थात्‌ ब्रह्मचारिणी पड़ा. मां का यह रूप काफी शांत और मोहक है. माना जाता है कि जो भक्त मां के इस रूप की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. मां का यह स्‍वरूप आपको ब्रह्मचर्य का पालन करने के लिए प्रेरित करता है.

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: कहते हैं आज जो भी व्यक्ति मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करता है, वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में जीतने की शक्ति हासिल कर सकता है. इससे व्यक्ति के अंदर संयम, धैर्य और परिश्रम करने के लिये मनोबल की भी बढ़ोत्तरी होती है. अगर आप भी किसी कार्य में अपनी जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं, तो आज आपको देवी ब्रह्मचारिणी के इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र इस प्रकार है- ''ऊं ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम: ।''
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आज आपको इस मंत्र की कम से कम एक माला, यानि 108 बार जाप करना चाहिए. इससे विभिन्न कार्यों में आपकी जीत सुनिश्चित होगी साथ ही आज माता को शक्कर और पंचामृत का भोग लगाने से व्यक्ति को लंबी आयु का वरदान मिलता है. इसके साथ ही नौ ग्रहों में से मंगल के ऊपर मां ब्रह्मचारिणी का आधिपत्य रहता है. लिहाजा मंगल सम्बन्धी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए आज मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करना बड़ा ही लाभदायी होगा.

माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय: आप माता को शक्कर से बनी खीर, मिठाई, हलवा आदि का भोग लगा सकते हैं. अगर आप माता को खीर का भोग लगाना चाहते हैं और आपका व्रत है जिसे आप भी प्रसाद के रूप में खाना चाहते हैं, तो आप साबूदाने से बनी खीर का भोग लगा सकते हैं. साबूदाने को व्रत के दौरान खूब खाया और पसंद किया जाता है.
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माता ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि: मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने के लिए इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर साफ कपड़े पहनें. इसके बाद मंदिर को अच्छे से साफ करें. देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर उनका ध्यान करें और प्रार्थना करें. इसके बाद देवी को पंचामृत स्नान कराएं, फिर अलग-अलग तरह के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिन्दूर, अर्पित करें. देवी को सफेद और सुगंधित फूल चढ़ाएं. इसके अलावा कमल का फूल भी देवी मां को चढ़ाएं.

मां ब्रह्मचारिणी की आरती:
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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