देहरादून: उत्तराखंड राज्य की सीमाएं चीन और नेपाल से लगी हुई हैं. ऐसे में केंद्र और राज्य सरकार सीमाओं पर सुरक्षा को और मजबूती देने के लिए बॉर्डर टूरिज्म (border tourism in Uttarakhand) को लेकर रोडमैप तैयार कर रही है. सरकारों का मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पर्यटकों की आवाजाही बढ़ने से वहां स्थानीय लोगों के पलायन में कमी आती है. साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में आवाजाही की वजह से देश की सीमाएं भी सुरक्षित रहती हैं.
केंद्र और राज्य सरकार उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में बॉर्डर टूरिज्म को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बताया कि केंद्र सरकार बॉर्डर टूरिज्म पर विशेष ध्यान दे रही है. जब हमारे देश के एक संत ऋषिकेश सच्चिदानंद स्वामी चीन सीमा पर अपने आश्रम बना सकते हैं, तो सरकारें भी इस दिशा में काम कर सकती हैं.
अजय भट्ट ने कहा कि सरकार की मंशा है कि देश की सीमा पर लोग बॉर्डर एरिया में आकर इन्फ्रास्ट्रक्चर को बिल्डअप करें और यहां पर गतिविधियों को बढ़ावा दें, ताकि हमारी सीमाएं सुरक्षित रहें. अजय भट्ट ने बताया कि इस दिशा में एक बड़ा शिव महोत्सव गुंजी में किया गया था.
मानसरोवर यात्रा हुई आसान: इसके अलावा मानसरोवर यात्रा अब कार से संभव हो चुकी है और एक ही दिन में आना-जाना किया जा सकता है, जिसे कि पर्यटन के रूप में बढ़ावा दिया जा रहा है. वहीं, इसके अलावा छोटा कैलाश यात्रा को लेकर के भी राज्य सरकार से प्रपोजल मांगा गया है और जल्दी इस दिशा में काम किया जाएगा.
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कोस्ट गार्ड सेंटर का मामला कोर्ट में: देहरादून में कोस्ट गार्ड सेंटर को लेकर शुरू की गई कवायद विवादों के चलते ठंडे बस्ते में जा चुकी है, जबकि मामला कोर्ट में चल रहा है. अजय भट्ट ने कहा कि उन्होंने देहरादून जिलाधिकारी को निर्देशित किया कि इस विषय को रिओपन किया जाए और कोर्ट में प्राथमिकता पर इस विषय को रखा जाए, ताकि जल्द ही कोस्ट गार्ड सेंटर के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो सके. अजय भट्ट ने कहा कि कोस्ट गार्ड सेंटर देहरादून में शुरू होना देहरादून के लिए बड़ी उपलब्धि होगी, जिसके बाद यहां के स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार की दिशा में एक बड़ा प्लेटफार्म मिलेगा.