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देहरादून में बेशकीमती जमीन हड़पने का मामला, बिल्डर सहित कई पर मुकदमा दर्ज - देहरादून प्रॉपर्टी फर्जीवाड़ा का मामला

देहरादून में बेशकीमती जमीन को दोबारा से फर्जीवाड़ा तरीके से हड़पने का मामला सामने आया है. आरोप है कि बिल्डर सुधीर विंडलास ने रजिस्ट्रार कार्यालय से मिलीभगत कर एक ही प्रॉपर्टी की दो बार रजिस्ट्री करवाकर कब्जाने की कोशिश कर रहा था. मामले में शिकायकर्ता की तहरीर पर बिल्डर सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

Case registered against many accused including builder
बेशकीमती जमीन हड़पने का मामला
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Published : Jan 29, 2022, 7:57 PM IST

Updated : Jan 29, 2022, 8:28 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी में लंबे समय से हर दूसरा अपराधिक मामला प्रॉपर्टी फर्जीवाड़े से जुड़ा सामने आ रहा है. एक बार फिर राजस्व विभाग (रजिस्ट्रार कार्यालय) की मिलीभगत से करोड़ों की बेशकीमती जमीन के फर्जीवाड़ा का मामला इन दिनों चर्चाओं में आ रहा है. आरोप है कि नामी बिल्डर सुधीर विंडलास ने रजिस्ट्रार कार्यालय से मिलीभगत कर एक ही प्रॉपर्टी की दो बार रजिस्ट्री करवाया है.

मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. मुकदमे में नामजद दर्ज बिल्डर सहित कई लोग फरार चल रहे हैं. जिनकी पुलिस तलाश कर रही है. इस फर्जीवाड़े में संजय चौधरी ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी 1985 में खरीदी गई 20 बीघा जमीन जालसाजी रजिस्ट्री के माध्यम से कब्जाने का प्रयास दो बार हो चुका है.

संजय चौधरी ने बताया कि 2010 में उत्तराखंड के नामी बिल्डर सुधीर विंडलास ने संजय चौधरी और उनके परिवार के लोगों को फर्जी तरीके से विक्रेता दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री करवाई थी. मामले का खुलासा 5 वर्ष बाद 2015 में होने के बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस को तहरीर दी. जिसके बाद जांच में इस फर्जीवाड़े में आरोपी सुधीर और बिल्डर कंपनी कर्मचारियों ने पुलिस के समक्ष अपना गुनाह कबूल कर लिया.

बेशकीमती जमीन हड़पने का मामला

मामले में उस समय रजिस्ट्री कैंसिल करवाई गई थी. शिकायतकर्ता संजय चौधरी ने इस पूरे फर्जीवाड़े में रजिस्ट्रार कार्यालय अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच की मांग की है. शिकायतकर्ता के मुताबिक वर्ष 2015 में यह मामला पुलिस जांच में सही पाए जाने पर आरोपियों की रजिस्ट्री कैंसिल करा, मामले का निस्तारण कराया गया, लेकिन हद तो तब हो गई जब जून 2021 में एक बार फिर षड्यंत्र के तहत बिल्डर सुधीर विंडलास ने उसी 20 बीघा जमीन के पुराने मालिक गंग बहादुर के वारिसों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली.

ये भी पढ़ें: खटीमा: आबकारी विभाग की टीम ने 10 हजार लीटर कच्ची शराब नष्ट की

संजय के मुताबिक इस पूरे जालसाजी में रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों ने असल रजिस्ट्री-दाखिल खारिज दस्तावेजों में हेराफेरी कर आरोपी बिल्डर के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. जबकि थाना राजपुर के अंतर्गत आने वाले जोहड़ी गांव स्थित इस प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिक गंग बहादुर ने 1983 में उषा गुप्ता मालती देवी को जमीन बेच दी थी. जिसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट और दाखिल खारिज पहले से मौजूद है. संजय चौधरी का कहना है कि 20 बीघा जमीन को उन्होंने 1985 में उषा गुप्ता मालती देवी से बकायदा रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी कर खरीदी थी. मामले में जनपद पुलिस को शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

जिसके बाद डीजीपी अशोक कुमार के संज्ञान में मामला आते ही एक पुलिस टीम से जांच कराई गई तो, पता चला कि आरोपी सुधीर विंडलास ने एक ही जमीन पर दो बार फर्जीवाड़ा कर कब्जाने का प्रयास किया है. पुलिस जांच में आरोपी बिल्डर सुधीर विंडलास सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया है. वर्तमान में सभी आरोपित फरार चल रहे हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है.

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी में लंबे समय से हर दूसरा अपराधिक मामला प्रॉपर्टी फर्जीवाड़े से जुड़ा सामने आ रहा है. एक बार फिर राजस्व विभाग (रजिस्ट्रार कार्यालय) की मिलीभगत से करोड़ों की बेशकीमती जमीन के फर्जीवाड़ा का मामला इन दिनों चर्चाओं में आ रहा है. आरोप है कि नामी बिल्डर सुधीर विंडलास ने रजिस्ट्रार कार्यालय से मिलीभगत कर एक ही प्रॉपर्टी की दो बार रजिस्ट्री करवाया है.

मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है. मुकदमे में नामजद दर्ज बिल्डर सहित कई लोग फरार चल रहे हैं. जिनकी पुलिस तलाश कर रही है. इस फर्जीवाड़े में संजय चौधरी ने शिकायत दर्ज कराई है. शिकायतकर्ता का आरोप है कि रजिस्ट्रार कार्यालय के कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से उनकी 1985 में खरीदी गई 20 बीघा जमीन जालसाजी रजिस्ट्री के माध्यम से कब्जाने का प्रयास दो बार हो चुका है.

संजय चौधरी ने बताया कि 2010 में उत्तराखंड के नामी बिल्डर सुधीर विंडलास ने संजय चौधरी और उनके परिवार के लोगों को फर्जी तरीके से विक्रेता दिखाकर जमीन की रजिस्ट्री करवाई थी. मामले का खुलासा 5 वर्ष बाद 2015 में होने के बाद शिकायतकर्ता ने पुलिस को तहरीर दी. जिसके बाद जांच में इस फर्जीवाड़े में आरोपी सुधीर और बिल्डर कंपनी कर्मचारियों ने पुलिस के समक्ष अपना गुनाह कबूल कर लिया.

बेशकीमती जमीन हड़पने का मामला

मामले में उस समय रजिस्ट्री कैंसिल करवाई गई थी. शिकायतकर्ता संजय चौधरी ने इस पूरे फर्जीवाड़े में रजिस्ट्रार कार्यालय अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी जांच की मांग की है. शिकायतकर्ता के मुताबिक वर्ष 2015 में यह मामला पुलिस जांच में सही पाए जाने पर आरोपियों की रजिस्ट्री कैंसिल करा, मामले का निस्तारण कराया गया, लेकिन हद तो तब हो गई जब जून 2021 में एक बार फिर षड्यंत्र के तहत बिल्डर सुधीर विंडलास ने उसी 20 बीघा जमीन के पुराने मालिक गंग बहादुर के वारिसों से मिलीभगत कर फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली.

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संजय के मुताबिक इस पूरे जालसाजी में रजिस्ट्रार कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों ने असल रजिस्ट्री-दाखिल खारिज दस्तावेजों में हेराफेरी कर आरोपी बिल्डर के फर्जीवाड़े को अंजाम दिया. जबकि थाना राजपुर के अंतर्गत आने वाले जोहड़ी गांव स्थित इस प्रॉपर्टी के वास्तविक मालिक गंग बहादुर ने 1983 में उषा गुप्ता मालती देवी को जमीन बेच दी थी. जिसका रजिस्टर्ड एग्रीमेंट और दाखिल खारिज पहले से मौजूद है. संजय चौधरी का कहना है कि 20 बीघा जमीन को उन्होंने 1985 में उषा गुप्ता मालती देवी से बकायदा रजिस्ट्री प्रक्रिया पूरी कर खरीदी थी. मामले में जनपद पुलिस को शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

जिसके बाद डीजीपी अशोक कुमार के संज्ञान में मामला आते ही एक पुलिस टीम से जांच कराई गई तो, पता चला कि आरोपी सुधीर विंडलास ने एक ही जमीन पर दो बार फर्जीवाड़ा कर कब्जाने का प्रयास किया है. पुलिस जांच में आरोपी बिल्डर सुधीर विंडलास सहित कई लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज कराया गया है. वर्तमान में सभी आरोपित फरार चल रहे हैं, जिनकी पुलिस तलाश कर रही है.

Last Updated : Jan 29, 2022, 8:28 PM IST
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